बेरोजगार युवकों को नई राह दिखा रहे नरेश

fatehpur block gaya distic nareshसुधीर कुमार. फतेहपुर (गया)
फतेहपुर प्रखंड के सुदूर दक्षिणी इलाके में जंगलों की गोद में बसा है पिछड़ी जाति का एक गांव रंगुनगर। यहां अभावों के सपनों का अंकुर साकार हो रहा है। पहाड़पुर में रेलवे में इलेक्ट्रिशियन की नौकरी करनेवाले नरेश कुमार भारती ने जो चार साल पहले सपना देखा था, वह अब साकार हो चला है। अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा खर्च करके नरेश बेरोजगार युवकों को पढ़ाने में जुटे हैं। नरेश ने कठिन रास्ता उस समय चुना, जब रंगुनगर गांव के छात्र गरीबी की मार से उबर नहीं रहे थे। वैसे में उसने साल 2010 में गांव के बाहर सुनसान जगह पर झोपड़ीनुमा एक कुटिया बनाई और उनका नाम गुरुकुल रखा। यहां पढ़-लिख कर घर बैठे विद्यार्थियों को लाकर उन्हें फिर से प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने लगे। एक साल बाद इनमें से कई छात्र राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने लगे।
2010 में शुरू हुआ था सफर
गुरुकुल की स्थापना गुरपा के जंगली इलाका में स्थित रंगुनगर में वर्ष 2010 में की गई थी। एक वर्ष की मेहनत से 2011 में 10 छात्रों ने नौकरी प्राप्त करने में सफलता पाई। इसमें बिहार पुलिस, बीएसएफ, आर्मी, एसएससी, रेलवे ग्रुप-डी सहित अन्य विभाग मुख्य हैं। वर्ष 2012, 13 और 14 में 30 छात्र इसी तरह हर क्षेत्र में सफल हुए। छात्रों को यहां दो-दो घंटे सुबह-शाम गणित, सामान्य ज्ञान एवं रीजनिंग पढ़ाया जाता है। हर रविवार को टेस्ट परीक्षा ली जाती है। from livehindustan.com






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