हर थोड़े दिन में बदल रहे चुनावी नारे,जनता अभी मौन

67बिहार कथा.पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव में हर थोड़े दिनों पर मुद्दे, नारे और स्लोगन बदल रहे हैं। इसके गवाह हैं शहर की सड़कें, चौराहे और वाहनों पर लगे होर्डिंग, बैनर और पोस्टर। बैनर-पोस्टर पर चेहरे तो एक ही रहते हैं, लेकिन उस पर लिखे नारे और स्लोगन बदल जा रहे हैं। जनता इन स्लोगनों को देख-सुन रही है, पर मौन है। नेता कन्फ्यूज हैं। लेकिन कोई भी पार्टी स्लोगनों में कमी नहीं रखना चाहती। सबसे पहले जदयू का स्लोगन आया ह्यबिहार में बहार हो-फिर नीतीश कुमार होह्ण। भाजपा का जवाब आया ह्यअपराध, भ्रष्टाचार और अहंकार, क्या इस गठबंधन से बढ़Þेगा बिहार, अबकी बार भाजपा सरकारह्ण। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुजफ्फरपुर के भाषण के बाद ह्यडीएनएह्ण मुद्दा बना। महागठबंधन और एनडीए की ओर से इस मुद्दे पर बहस छिड़ी। इसे बिहार के सम्मान के साथ भी जोड़ा गया। हालांकि यह मुद्दा अभी भी बरकरार है। पर, इसी बीच जोर पकड़ लिया है विशेष पैकेज का मुद्दा। नरेंद्र मोदी के सवा लाख करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा को एनडीए राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण मान रहा है। वहीं नीतीश और लालू इसे छलावा बता रहे हैं। बजाप्ता विज्ञापन जारी कर पैकेज का सच बताया जा रहा है।
अब आया नया स्लोगन
अबएक नया स्लोगन आया है। बिहार के विकास में नहीं रहेगी बाधा, मोदी जी ने दिया है वादे से ज्यादा। कोने-कोने से यही ललकार, परिवर्तन रथ पर चला बिहारह्ण। एक स्लोगन यह भी है- ह्यलालू-नीतीश एक हुए दोनों भाई, अब कहां भाजपा की सुनवाईह्ण। अभी चुनाव तक और कौन-कौन से नारे और स्लोगन आते हैं, यह देखने वाली बात होगी। नारे और स्लोगन के जरिए सभी पार्टियां एक-दूसरे के वादे की पोल भी खोल रही हैं। हर चौक-चौराहे, सड़कें और कॉमर्शियल-निजी वाहनों पर होर्डिंग-पोस्टर के जरिए पार्टियों का मकसद यही है कि लोगों की जुबान पर स्लोगन जाय और इसका फायदा उन्हें विस चुनाव में मिले।






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