माइक्रो मैनेजमेंट से बिहार जीतेगी भाजपा, बनाया वॉर रूम

bjp biharविशेष संवाददाता, नई दिल्ली
बिहार में चल रही कांटे की लड़ाई को भांपते हुए बीजेपी ने इस बार चुनाव का माइक्रो मैनेजमेंट शुरू कर दिया है। दरअसल, पार्टी भी यह मानकर चल रही है कि राज्य में महागठबंधन के साथ उसकी टक्कर होने जा रही है। ऐसे में पार्टी नहीं चाहती कि मैनेजमेंट लेवल पर कोई ऐसी खामी रह जाए, जो चुनाव के नजरिए से उसके लिए नुकसानदायक हो। इसी वजह से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर पटना में एक वॉर रूम बनाया गया है, जहां से लगातार राज्य की राजनीतिक स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
बीजेपी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने बताया कि इस वॉर रूम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि बिहार के हर हिस्से की नियमित तौर पर रिपोर्ट आती रहे। इस वॉर रूम को इसलिए भी बनाया गया है, क्योंकि खुद शाह भी चाहते हैं कि चुनाव का माइक्रो मैनेजमेंट हो ताकि अगर किसी स्तर पर कोई गड़बड़ी नजर आए तो फौरन उसे दुरुस्त किया जा सके। शाह के निर्देश पर ही जब राज्य में प्रचार के लिए 160 रथ उतारे गए थे तो उनमें खासतौर पर जीपीएस लगाया गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रथों को जिन क्षेत्रों तक पहुंचना चाहिए, वहां वे हर हालत में पहुंचें।
पार्टी ने इस वॉर रूम में सभी तरह का डेटा भी उपलब्ध कराया है और यह देखा जा रहा है कि राज्य के किस हिस्से में राजनीतिक हालात किस तरह से बदल रहे हैं। यही नहीं, कार्यकतार्ओं से फीडबैक भी लिया जा रहा है ताकि देखा जा सके कि जमीनी हकीकत कैसी है? वहां से जो जानकारियां मिल रही हैं, उनका विश्लेषण भी किया जा रहा है और इस विश्लेषण का इस्तेमाल टिकटों के बंटवारे को लेकर भी किया जाएगा। पार्टी को लग रहा है कि अब चुनाव के अगले चरण में काफी कुछ इस बात पर भी निर्भर होगा कि कौन सी पार्टी किस तरह के उम्मीदवारों का चयन करती है। इसी वजह से पार्टी बेहद सोच-समझकर उम्मीदवार उतारना चाहती है। इसके अलावा पार्टी ने हर क्षेत्र में यह भी आकलन कराया है कि वहां प्रमुख विरोधी दल का कौन-कौन उम्मीदवार हो सकता है। इसका फायदा यह होगा कि उसके आधार पर पार्टी वहां जातिगत समीकरणों के आधार पर उम्मीदवार तय कर सकेगी। पार्टी की नजर एमआईएम के ए औवेसी पर भी है। बीजेपी को लगता है कि अगर औवेसी की पार्टी उम्मीदवार खड़े करती है तो इससे उसे ही फायदा हो सकता है। -नवभारत टाइम्स से






Related News

  • मोदी को कितनी टक्कर देगा विपक्ष का इंडिया
  • राजद व जदयू के 49 कार्यकर्ताओं को मिला एक-एक करोड़ का ‘अनुकंपा पैकेज’
  • डॉन आनंदमोहन की रिहाई, बिहार में दलित राजनीति और घड़ियाली आंसुओं की बाढ़
  • ‘नीतीश कुमार ही नहीं चाहते कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, वे बस इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं’
  • दाल-भात-चोखा खाकर सो रहे हैं तो बिहार कैसे सुधरेगा ?
  • जदयू की जंबो टीम, पिछड़ा और अति पिछड़ा पर दांव
  • भाजपा के लिए ‘वोट बाजार’ नहीं हैं जगदेव प्रसाद
  • नड्डा-धूमल-ठाकुर ने हिमाचल में बीजेपी की लुटिया कैसे डुबोई
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com