बिहार : 5 फैक्टर तय करेंगे सियासी रुझान
नरेंद्र नाथ, नई दिल्ली
अब बिहार विधानसभा चुनाव अपने उस मुकाम की ओर बढ़Þ रहा है, जहां राज्य के वोटर रुझान तय करने की कोशिश करेंगे। किसी चुनाव से पहले यह सभी दलों के लिए सबसे नाजुक वक्त होता है। ऐसे में आपको बताते हैं कि वह 5 राजनीतिक घटनाक्रम, जो बिहार के वोटर और चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाले फैक्टर हो सकते हैं
पप्पू यादव, ओवैसी और एनसीपी
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी से निकाले गए पप्पू यादव, एनसीपी और एमआईएम पार्टी के हेड ओवैसी के अगले कदम से बहुत कुछ राजनीतिक दिशा तय होगी। आरजेडी से अलग होने के बाद पप्पू यादव के एनडीए से जुड़ने की संभावना बताई जा रही थी, लेकिन पप्पू यादव के गढ़ सहरसा में पीएम मोदी की रैली में उन्हें जगह न मिलने से यह साफ संकेत गया है कि उन्हें एनडीए में जगह नहीं मिलेगी। अब पप्पू यादव एनसीपी और दूसरे दलों के बीच एक और मोर्चा खोलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। वहीं ओवैसी सीमांचल में 25 सीटों पर लड़ने की तैयारी में हैं। एनसीपी भी इनसे गठबंधन करने की फिराक में है।
किसकी बड़ी रैली होगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार में 3 बड़ी रैलियों के बाद बीजेपी ने बिहार में बढ़Þत लेने की कोशिश की तो जनता परिवार ने भी 30 अगस्त को पटना में बड़ी रैली करने की घोषणा कर दी। वहीं पीएम मोदी 1 सितंबर को भागलपुर में चौथी रैली करने वाले हैं। दोनों गठबंधनों को पता है कि रैली की तुलना होगी। ऐसे में जिसकी रैली बड़ी और प्रभावी होगी,वह इससे बढ़Þत लेने की कोशिश करेगी।
घोषणा पत्र के लुभावने वादे
चुनाव से पहले दोनों गठबंधनों का घोषणा पत्र किस तरह का होगा और जनता को लुभाने के लिए किस तरह के वादे किए जाएंगे, इससे भी फैसले प्रभावित हो सकते हैं। बीजेपी बिहार के लिए 1 लाख 25 करोड़ के पैकेज के बाद आकर्षक घोषणा पत्र से लोगों के बीच प्रो गवर्नेंस कार्ड से जाने की कोशिश करेगी वहीं जनता परिवार के लिए भी बदले परिवेश में घोषणा पत्र तैयार करना चुनौतीपूर्ण होगा। सूत्रों के अनुसार नीतीश-लालू और कांग्रेस आपस में विचार कर रहे हैं कि वे एक संयुक्त घोषणा पत्र के साथ अपने-अपने दलों का भी अलग से घोषणा पत्र जारी करे। घोषणा पत्र की बात वोटरों तक जिस तरह आगे बढ़Þेगी,उससे भी नतीजा तय हो सकता है।
किसका कुनबा कितना एकजुट?
सीटों और टिकटों के बंटवारे में भी दोनों गठबंधन में पेंच फंसा है। दोनों को बगावत की आशंका है। सीट बंटवारे पर एनडीए में खींचतान तेज होने लगी है। उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी और रामविलास पासवान की लोकजन शक्ति ने बीजेपी पर जल्द और अधिक सीट देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। दबाव की राजनीति के तहत शुक्रवार को देर रात उपेंद्र कुशवाहा और रामविलास पासवान ने दिल्ली में बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा की। सीट बंटवारे को लेकर दोनों के बीच यह पहली मीटिंग थी। सूत्रों के अनुसार दोनों ने बीजेपी को साफ संदेश देने का फैसला लिया है कि अगर सीट बंटवारे में और देरी हुई तो इससे गठबंधन को चुनाव में नुकसान हो सकता है। सूत्रों के अनुसार दोनों मिलकर कम से कम 110 सीट चाहते हैं।
5-मोदी बनाम नीतीश-लालू
बिहार में चुनाव अंतिम दौर में किन मुद्दों पर आगे बढ़Þता है, इससे भी परिणाम प्रभावित हो सकता है। बीजेपी चाहेगी कि चुनाव उनके सबसे बड़े राजनीतिक मोहरे मोदी के इर्द-गिर्द घूमे, जिससे चुनाव में उनके नाम पर वोट मिल सके। वहीं जनता परिवार इसे राज्य का चुनाव बताकर स्थानीय मुद्दे की ओर ले जाने की कोशिश कर रही है और एनडीए से अपना सीएम उम्मीदवार बताने को कह रही है। वहीं नीतीश कुमार डीएनए और बीमारू जैसे शब्दों पर बिहारी अस्मिता का कार्ड भी फेंक रहे हैं। लेकिन अंत में वोटर तक जो मुद्दा प्रभावी तौर पर पहुंचेगा, चुनाव का परिणाम भी उसी रूप में तब्दील होगा। from nbt
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