नेपाल से बनी सहमति, बनेगा सप्त कोसी उच्च बांध, रूकेगा बाढ़, बिहार सरकार के सभी प्रस्तावों को मंजूरी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बिहार में बाढ़ और सूखे की समस्या से निपटने के लिए सप्त कोसी उच्च बांध के निर्माण का पूरा करने के लिए नेपाल के साथ सार्थक बातचीत करके सहमति बना ली है। सप्त-कोसी हाईडेम निर्माण कार्य दोनों देशों की संयुक्त परियोजना है। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्री सुश्री उमा भारती ने मंगलवार को यहां कहा कि केंद्र सरकार ने बिहार में बाढ़ की विभीषिका को अत्याधिक कम करने के लिए नेपाल सरकार से सार्थक बातचीत की है और सप्त-काशी हाईडैम के निर्माण हेतु विचार-विमर्श के बाद बनी सहमति को एक उल्लेखनीय प्रगति कहा जा सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस संयुक्त परियोजना के तहत बांध निर्माण कार्य पूरा हो सकेगा। इस परियोजना के जरिए बिहार राज्य को सूखे से निजात मिलने के साथ बाढ़ जैसी विभीषिका से भी राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि यह सर्वविदित है कि राज्य के कुछ भाग ऐसे हैं जिन पर तत्काल बाढ़ राहत कार्य प्रोटेक्शीन के द्वारा बाढ़ राहत निदान करना जरूरी है और इसके लिए केंद्र ने बिहार सरकार के भेजे गये प्रस्ताव को भी मंजूर कर लिया है। इस प्रस्ताव के तहत सूबे में लगभग सात लाख हेक्टेयर क्षेत्र को संरक्षित किया जाएगा, जिससे करीब 132 लाख लोगों को लाभ मिलेगा।
बिहार सरकार के सभी प्रस्तावों को मंजूरी
केंद्र सरकार बिहार राज्य की समस्याओं के समाधान के लिए जिस प्रकार सप्त कोसी उच्च बांध के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने की कवायद कर रहा है उसी प्रकार जल संसाधन मंत्रालय ने अपने विभाग संबंधी योजनाओं का पिटारा बिहार के लिए खोल दिया है। बकौल उमा भारती उनके मंत्रालय ने केंद्रीय भूमि जल परिषद की मदद से राज्य में आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्र में 28 गहरे नलकूप तैयार करके स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग को हस्तांतरित कर दिए हैं। मंत्रालय ने दावा किया है कि राज्य सरकार के प्रस्तावित अंतर्राज्यीय नदी जोड़ने वाली परियोजनाओं राष्ट्रीय जल विकास अधिकरण तेजी से काम कर रहा है। इस परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कोसी-मेची और बूढ़ी-गंडक गंगा लिंक परियोजना की वृहत परियोजना तैयार कर ली गई है। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से बिहार में लगभग 3.30 लाख हेक्टेयर वर्ग के किसानों को लाभ मिलेगा और बूढ़ी गंडक नदी से 492 क्यूगसेक का बाढ़ का खतरा कम किया जा सकेगा। यही नहीं बिहार राज्य में सिंचाई परियोजनाओं के तहत त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके तहत औरंगाबाद जिले में पुनपुन बैराज परियोजना अन्तर्गत 13680 हेक्टेयर क्षेत्र में हैडवर्क्स और नहर प्रणाली निर्माण करने का प्रावधान के तहत नौ करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता मंजूर कर ली गई है। इसी प्रकार बिहार राज्य के कैमूर और रोहताश जिलों में फैली दुर्गावती जलाशय परियोजना से 9190 हेक्टेयर सूखा प्रभावित क्षेत्र तथा 23277 हेक्टेयर गैर-सूखा प्रभावित क्षेत्र की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए वर्ष 2014-2015 के दौरान 38.75 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता हेतु के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जबकि वित्त वर्ष 2015-2016 में करीब 7.605 करोड़ रुपए की आंशिक राशि जारी की गई है। इसके अलावा राज्य में लघु सिंचाई परियोजनाएं, मरम्मत, पुर्नरूद्धार एवं नवीनीकरण, कमांड एरिया विकास तथा जल प्रबंधन कार्यक्रम के अलावा बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम जैसे बिहार सरकार के सभी प्रस्तावों को मंजूर करके केंद्र सरकार ने निधि जारी करने का दावा किया है।
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