शराब बंदी पर कोई सुनने को नहीं था तैयार, इसीलिए तोड़ दी माइक
विवेक कुमार.पटना। पंद्रहवीं विधानसभा का आखरी सत्र 7 अगस्त को समाप्त हो गया। इस सत्र ने कुछ ऐसे दृश्य दिखा दिए जो लंबे समय तक याद रखे जाएंगे। एक ऐसा ही सीन था गुरुवार को डेहरी असेंबली सीट से इंडिपेंडेंट एमएलए ज्योति रश्मि द्वारा माइक और कुर्सियां तोड़ा जाना और उसके बाद महिला मार्शलों द्वारा उन्हें जबरदस्ती बाहर कर दिया जाना। मार्शलों द्वारा सदन से बाहर निकाले जाने के दौरान ज्योति को चोटें आई और उनके हाथ पर जख्म लग गया। घटना के एक दिन बाद 7 अगस्त शुक्रवार को रिपोर्टर उनसे मिलने पहुंचे। राजधानी के बेली रोड स्थित अपने आवास पर ज्योति स्वास्थ लाभ कर रहीं थी। उन्होंने बताया कि मार्शलों ने मुझे बेरहमी से सदन से बाहर निकाला था। मुझे कई जगह चोटें आईं, हाथ पर गहरा जख्म हो गया और खून से कपड़ा लाल हो गया था। विधायक कहती हैं कि सदन में महिला की आवाज दबाई जाती है। मैं पिछले दो साल से अकेले ही शराब बंदी के लिए आवाज उठाती आ रही हूं। बुधवार को भी शराब पर रोक की अपील वाला पोस्टर लेकर विधानसभा गई थी। गुरुवार को मैं सदन में शराब बंदी के संबंध में बोलना चाहती थी, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। इसी गुस्से में माइक तोड़ने वाली घटना हो गई।
शराब के खिलाफ आवाज उठा रहीं हैं, कोई खास वजह
ज्योति- आज शराबखोरी महिलाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या है। गांव हो या शहर 90 फीसदी महिलाएं परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा शराब पीने के चलते परेशान हैं। पुरुष रात में शराब पीकर घर आते हैं और पत्नी के साथ मारपीट करते हैं। इससे घर का माहौल खराब होता है। बच्चे भी बड़े होकर शराब के आदी हो जाते हैं। मर्द अपने कमाए पैसे शराब में खर्च कर देते हैं और महिलाओं को घर चलाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। घरेलू हिंसा के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार शराब ही है।
सीएम ने कहा है कि अगली बार सरकार बनने पर शराब पर रोक लगा देंगे, फिर उन्हें सपोर्ट क्यों नहीं करतीं?
ज्योति- अगली बार सरकार में आएंगे तभी न नीतीश जी शराब पर रोक लगाएंगे। मुख्यमंत्री को अभी शराब पर रोक लगाने में क्या दिक्कत है। असल बात यह है कि सरकार शराब से हो रही कमाई रोकने की हिम्मत नहीं जुटा रही है। शराब से भले ही लोगों के घर बर्बाद हो जाए, लेकिन सरकार को अपनी आमदनी से मतलब है।
क्या आप शराब बंदी के लिए भाजपा से अपील करेंगी?
ज्योति- भाजपा तो चाहती है कि शराब बिकती रहे। उन्हें लगता है कि शराब पर रोक लगाएंगे तो वोटर खफा हो जाएंगे। जिस राज्य में शराब देकर वोट लिया जाता है उस राज्य की पार्टियां शराब के खिलाफ कदम उठाने से डरती हैं।
क्या शराब के खिलाफ संघर्ष में सदन की महिलाओं से सपोर्ट मिलता है?
ज्योति- विधानसभा में महिलाओं की संख्या बहुत कम है। जो महिलाएं हैं वह भले ही शराब बंदी की जरूरत महसूस करे, लेकिन पार्टी के डर से कुछ बोलने को तैयार नहीं होती।
अकेले कब तक विरोध करेंगी?
ज्योति- पिछले दो साल से अकेले विधानसभा के अंदर और बाहर जहां मौका मिले शराब के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हूं। मैं अकेले भले हूं, लेकिन कमजोर नहीं। मैं अकेले की संघर्ष करती रहूंगी, जबतक शराब पर रोक न लग जाए। from dainikbhaskar.com
Related News
इसलिए कहा जाता है भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर
स्व. भिखारी ठाकुर की जयंती पर विशेष सबसे कठिन जाति अपमाना / ध्रुव गुप्त लोकभाषाRead More
पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल के लिए ‘कार्तिकी छठ’
त्योहारों के देश भारत में कई ऐसे पर्व हैं, जिन्हें कठिन माना जाता है, यहांRead More
Comments are Closed