विधानपरिषद चुनाव में उतरे करीब आधे उम्मीदवार हैं करोड़पति : कर रहे हैं आपराधिक मामलों का सामना

bihar election wathchपटना। बिहार विधानपरिषद की 24 सीटों के लिए सात जुलाई को हो रहे चुनाव में उतरे 170 उम्मीदवारों में करीब आधे आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं या फिर उनके पास करोड़ों रूपए की संपत्ति है। बिहार इलेक्शन वाच (बीईडब्ल्यू) और एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) द्वारा उम्मीदवारों के हलफनामों का किए गए अध्ययन के अनुसार कम से कम 74 उम्मीदवार यानी 44 फीसदी उम्मीदवार आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं जबकि 77 यानी 45 फीसदी उममीदवारों के पास करोड़ों रूपए की संपत्ति है। एडीआर की रिपोर्ट खुलासा करती है कि 74 उम्मीदवार आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। उनमें 41 के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, डकैती, और महिलाओं के विरूद्ध अपराध समेत गंभीर आरोप हैं। ऐसे उम्मीदवारों में भाजपा शीर्ष पर है। उसके 18 में से 10 उम्मीदवार आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं जबकि जदयू के 10 में से छह उम्मीदवार ऐसे मामलों से घिरे हैं। लालू प्रसाद का राष्ट्रीय जनता दल (राजद) तीसरे नंबर है। उसके दस में पांच उम्मीदवार पर विभिन्न अपराधों को लेकर मामले दर्ज हैं। जो प्रत्याशी स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विधान परिषद पहुंचने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं, वे भी पीछे नहीं है। रिपोर्ट बताती है कि 104 ऐसे उम्मीदवारों में 32 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। आंकड़े का विश्लेषण करते हुए बीईडब्ल्यू संयोजक राजीव कुमार ने कहा, कुल 20 उम्मीदवारों ने अपने हलफनामों में घोषणा की है कि उनके विरूद्ध अदालतों में हत्या एवं हत्या के प्रयास के मामले विभिन्न चरणों में लंबित हैं। ये उम्मीदवार विभिन्न दलों के हैं। उनमें से कुछ ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में भी नामांकन दाखिल किए हैं। कुल 170 उम्मीदवारों में 77 करोड़पति हैं और हर उम्मीदवार की औसत संपत्ति करीब 5.28 करोड़ रूपए की है। जार्टी हिसाब से भाजपा के सभी उम्मीदवार करोड़पति हैं। हर भाजपा उम्मीदवार की औसत संपत्ति 29.33 करोड़ रूपए की है। जदयू करोड़पतियों की सूची में दूसरे नंबर है। उसके भी सभी दस उम्मीदवारों में हर की संपत्ति औसत 14.27 करोड़ रूपए की है। दूसरे सबसे अधिक धनी उम्मीदवार अनिल सिंह जदयू से हैं और उनके पास 74 करोड़ रूपए की संपत्ति है। राजद ऐसे उम्मीदवारों में तीसरे नंबर है। उसके सभी 10 उम्मीदवारों में हर की संपत्ति पांच करोड़ रुपए की हैं।
कुमार ने कहा, विधानमंडल का ऊपरी सदन बुद्धिजीवियों और मशहूर व्यक्तियों के लिए है जो राज्य की राजनीति को प्रभावित नहीं कर सकते। यदि लोग अपने धन और बाहु बल के आधार पर विधान परिषद में पहुंचते हैं तो यह लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। इन 170 उम्मीदवारों में 80 यानी 47 फीसदी स्नातक या उच्च डिग्रीधारी हैं। कुल 129 उम्मीदवार 25-50 वर्ष के उम्रवर्ग के हैं। आंकड़ा बताता है कि महिलाएं इस सूची में पिछड़ गई गई है। केवल 19 प्रत्याशी यानी 11 फीसदी ही महिलाएं हैं।






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