मेरे सीएम बनने से पहले बदहाल थे थाने, गर्मी में गरमा गया है अपराधियों का दिमाग, उन्हें ठंडा रखिए

नीतीश

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पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया कि जब 2005 में उन्होंने सत्ता संभाली थी, तब राज्य में थानों की स्थिति दयनीय है। उससे पहले बमुश्किल कोई उपयुक्त बुनियादी ढांचा था। यहां एक पुलिस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि थानों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कागज तक नहीं थे और वाहन धक्का मारे जाने के बाद ही चल पाते थे। उन्होंने कहा कि अब पुलिसकर्मियों को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वाहन तथा हथियार दिए गए हैं। चौबीस घंटे चौकसी के लिए थानों में कम से कम 40 पुलिसकर्मी होना चाहिए। उन्होंने कहा, किसी को भी कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। कानून का शासन ही शासन की बुनियाद है। यदि बुनियाद ही कमजोर होगा तो पूरा ढांचा भी कमजोर हो जाएगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि गर्मी में अगर अपराधी गरमा गए हैं तो पुलिस के पास उन्हें ठंठा करने का नुस्खा है। उसका इस्तेमाल करिए। जो बदमाशी करे उसे ठंडा कर दीजिए। उनकी गर्मी झाड़ दीजिए। संवाद में पुलिस अफसरों व कर्मियों को मेडल वितरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि गवर्नेंस की बुनियाद रूल आॅफ लॉ है। हम इससे समझौता नहीं कर सकते। उन्होंने डीजीपी पी.के.ठाकुर को कहा कि जिस थाना क्षेत्र में लगातार अपराध हो रहा है वहां के थानेदार से लेकर एसपी तक को ठीक करिए। अपराध के ट्रेंड पर भी पुलिस नजर रखे। पुलिस की सुविधा के लिए हम सब काम कर रहे हैं तो फिर पुलिस वालों का भी कर्तव्य है कि कानून का पालन हो। पुलिस के हाथों में कानून की ताकत है। बड़े से बड़ा अपराधी कानून के हाथ से बच के नहीं निकल सकता है।
उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से वे अपराध के आंकड़ों को देख रहे हैं। गर्मी में अपराध बढ़Þ जाते हैं। शायद गर्मी में दिमाग भी गरम रहता है लोगों का। लेकिन अगर ऐसा है तो उसे ठंडाए रखिए। पुलिस अपने कर्तव्यों का निर्वहन कानून संगत ढंग से करे, सरकार उसमें पूरा सहयोग करेगी। कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। बाहरी दबाव हो या अंदरूनी मोह माया पुलिस किसी को स्वीकार न करे। अपराध पर नियंत्रण हर सूरत-ए-हाल में बहाल रहना चाहिए। जिस थाना क्षेत्र में लगातार क्राइम हो रहा है उसे ठीक करिए। एसपी तक को दुरूस्त कीजिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता के मन में भरोसा जगा है कि वह सुरक्षित है। यह भरोसा टूटना नहीं चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में बिहार पुलिस ने अच्छा काम करके अपना नाम कमाया है। जो नाम कमाया है उसे गंवाइए मत। पुलिस के अनुसंधान में भी किसी तरह का भेदभाव न हो। पिछले नौ वर्षों में बिहार में इसी तरह की कार्य संस्कृति का विकास किया है। इसके पहले मुख्यमंत्री ने 36 पुलिस अफसरों व कर्मियों को वीरतापूर्ण कार्य व सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति वीरता पदक व सराहनीय सेवा पदक देकर सम्मानित किया। इनमें 11 आईपीएस, 3 डीएसपी, 1 सार्जेंट मेजर, 4 सब इंस्पेक्टर, 6, एएसआई, 6 हवलदार व चार कांस्टेबल शामिल थे।






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