भाजपा के साथ आए मांझी, लालू से मिले शत्रुघन
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जहां नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ मोचेर्बंदी में लगे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी भी नीतीश के वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है। गुरुवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात में जीतन राम मांझी ने बिहार में विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ने की इच्छा जताई है। अमित शाह से मुलाकात के बाद मांझी ने कहा कि हम बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अभी सीटों पर बात नहीं हुई है। मांझी ने कहा कि बिहार में लालू और नीतीश के गठबंधन को नाकाम करना हमारे लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। कहा जा रहा है कि मांझी की पार्टी हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा जल्द ही एनडीए में औपचारिक रूप से शामिल हो जाएगी। दूसरी तरफ एक नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद से मुलाकात की। हालांकि सिन्हा ने कहा कि लालू उनके दोस्त हैं और वह उन्हें जन्मदिन की बधाई देने गए थे। इस मुलाकात पर लालू ने कहा कि अलग पार्टी में होने के बावजूद शत्रुघ्न सिन्हा हमेशा मेरे सुख और दुख में साथ रहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक मांझी ने बीजेपी से 50 सीटें मांगी हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि बीजेपी मांझी को 30 सीटें देने पर राजी हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल से बाहर निकाले गए सांसद पप्पू यादव भी एनडीए में शामिल हो सकते हैं। अमित शाह ने गुरुवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के चीफ और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा से भी बिहार चुनाव को लेकर बातचीत की है।
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि मांझी दिल्ली में चुनाव आयोग के पास हैंडपंप चुनाव चिन्ह पर दावा पेश करने गए थे। मांझी को लालू ने भी साथ लाने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने ने साफ कर दिया था कि जिस गठबंधन में नीतीश होंगे वह उसमें शामिल नहीं होंगे। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मांझी एक अहम दलित चेहरा के रूप में उभरे हैं। वह कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिल चुके हैं। भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि बिहार में गठबंधन को लेकर सभी विकल्प खुले हैं। भाजपा मांझी के जरिए प्रदेश की आबादी में 22 पर्सेंट दलितों के पास पहुंचना चाह रही है।
नीतीश को झटका
मांझी का भाजपा के साथ जाना नीतीश के लिए करारा झटका होगा। नीतीश ने अपने पहले कार्यकाल में दलितों में एक महादलित कैटिगरी बनाई थी। इसमें अनुसूचित जाति की कई जातियों को शामिल किया गया था। नीतीश के इस कदम से दलितों का बड़ा हिस्सा उनके पक्ष में आ गया था। नीतीश ने जब बिहार में दोबारा जीत हासिल की थी तो इसमें दलितों का बड़ा योगदान था। मांझी को भी नीतीश ने दलित वोट आकर्षित करने के लिहाज से ही सीएम की कुर्सी सौंपी थी। हालांकि इस मामले में नीतीश की रणनीति सफल नहीं रही और मांझी उनके लिए मुश्किल बन गए। मांझी का बीजेपी के साथ आना नीतीश के लिए मुश्किल स्थिति है। भाजपा रामविलास पासवान और जीतन राम मांझी के जरिए दलितों वोटों को आकर्षित करेगी।
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