बिहार में कांग्रेस की सवर्ण वोटरों को साधने की कोशिश
अखिलेश सिंह को मिली प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी
नई दिल्ली/पटना। कांग्रेस ने बिहार में वरिष्ठ नेता राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। इस नियुक्ति के साथ ही लंबे अर्से से सूबे में पार्टी के नए नेतृत्व पर चल रही दुविधा खत्म हो गई है। इतना नहीं कांग्रेस ने यह भी साफ कर दिया है कि बिहार में राजनीतिक वापसी के लिए वह सवर्ण नेतृत्व के चेहरे पर ही एक बार फिर दांव लगाएगी। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बयान जारी कर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा मदन मोहन झा की जगह अखिलेश सिंह को बिहार प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष तत्काल प्रभाव से नियुक्त किए जाने की घोषणा की। बिहार विधानसभा के दो साल पहले हुए चुनाव में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के बाद झा ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा पार्टी हाईकमान को भेज दिया था। लेकिन पहले कोरोना महामारी में ठप हुई सियासी गतिविधियों और उसके बाद सियासी वजहों से नए अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला लगातार टलता रहा।
दलित चेहरे से वरिष्ठ नेताओं को एतराज
खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने से कुछ महीने पूर्व नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए सूबे के प्रभारी भक्त चरण दास ने पार्टी नेतृत्व को दलित चेहरे पर दांव लगाने के लिए लगभग सहमत कर लिया था। लेकिन किशोर कुमार झा सरीखे प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने सूबे में पार्टी की राजनीतिक वापसी के लिए वोट बैंक के सामाजिक समीकरण का ध्यान रखने की बात कहते हुए हाईकमान के सामने एतराज जताया। इसकी वजह से प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला टल गया और इस बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई। जबकि इसी दौरान कांग्रेस नेतृत्व ने उत्तरप्रदेश में पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने के लिए दलित समुदाय के चेहरे बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
कांग्रेस का सवर्ण वोटरों को साधने का दांव
उत्तरप्रदेश में दलित वर्ग को पार्टी का नेतृत्व सौंपने के बाद यह स्वाभाविक माना जा रहा था कि अब बिहार में कांग्रेस सवर्ण वोटरों को साधने का दांव चलेगी। यूपीए वन सरकार में कृषि राज्यमंत्री रहे अखिलेश सिंह कांग्रेस में आने के बाद से लगातार प्रदेश में पार्टी के सबसे सक्रिय नेताओं में शामिल रहे हैं। हालांकि सूबे में पार्टी की अंदरूनी खटपट के चलते वे कुछ समय के लिए कांग्रेस के असंतुष्ट जी 23 नेताओं में एक थे मगर नेतृत्व से संवाद के बाद इस गुट से खुद को अलग कर लिया। कांग्रेस के राजनीतिक कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी और प्रभावी भूमिका को देखते हुए भी नेतृत्व ने उनको बिहार की कमान सौंपी है। with thanks from jagran
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