यदि लापरवाही हुई, तो तीसरी लहर के लिए रहें तैयार
निशिकांत ठाकुर
कोरोना के दैनिक संक्रमण में उतार चढ़ाव जारी है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भी स्वीकार कर रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर अभी भी देश में है। कोरोना टीकाकरण अभियान जारी है। चिंता की बात यह भी है कि लोगों में लापरवाही भी देखी जा रही है। जिन राज्यों में कोरोना संक्रमण दर कम हुआ है, वहां भीड़-भाड़ पहले जैसा हो गया है। लोग घूमने के लिए बेधड़क निकल रहे हैं।
आजकल जिधर जाइए कोरोना की तीसरी लहर के समय पर बात हो रही है। कोई कहता है कि यह सितंबर में आएगी तो कुछ लोग इसके अक्टूबर में आने की संभावना जता रहे हैं। असल में, यह आपके व्यवहार पर निर्भर करता है कि आप इसे कब बुलाते हैं? जिस प्रकार से लोग बेपरवाह हो गए हैं, कोरोना के लिए जरूरी दिशा-निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं, उससे तो यही अंदेशा हो रहा है कि यह किसी भी समय आ सकती है।
लोगों को यह समझना होगा कि कोरोना की तीसरी लहर मानसून नहीं है कि आप उसका अनुमान लगाए और वह नियत समय पर ही आ जाए। न ही कोरोना की तीसरी लहर कोई पर्व-त्यौहार है कि जो तय तिथि ही उसके लिए निर्धारित है। असल में, यह एक बीमारी है। जो हमारी और आपकी लापरवाही से अपनी गति तेज कर देती है। लोगों को यदि कोरोना संक्रमण से दूर रहना है, तो उन्हें स्वयं और अपने परिजनों को समझाना होगा कि अभी के समय में सभी को वैक्सीन लगवाना और कोरोना अनुरूप व्यवहार करना ही एकमात्र उपाय है।
तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए तेज टीकाकरण, लोगों के बीच संकोच को खत्म करने जैसे संघर्ष जारी है। इसी बीच हिल स्टेशन, बाजार, मॉल जैसी जगहों पर खतरों को दरकिनार कर नियमों का उल्लंघन भी चल रहा है। विशेषज्ञ भी इस बात की चेतावनी दे चुके हैं कि अगर कोविड संबंधी नियमों का पालन नहीं हुआ, तो केस बढ़ सकते हैं।
सरकार की ओर से तमाम व्यवस्था की गई है। वैक्सीन उपलब्ध कराई जा रही है। सुदूर गांवों तक दुर्गम रास्तों को पार करके स्वास्थ्यकर्मी वैक्सीनेशन के लिए जा रहे हैं। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाई पहुंचाई गई हैं। स्वास्थ्यकर्मी बिना आराम किए लगातार काम पर हैं। यूं तो देशभर में कोरोना की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन बहुत जोरो-शोरो से चल रहा है। लेकिन अब भी कई लोग हैं जिन्होंने वैक्सीनेशन नहीं कराया है। जिसकी वजह से वायरस को फैलने का मौका मिल सकता है। कोरोना के सभी म्यूटेंट से इम्यूनिटी हासिल करने का एकमात्र तरीका वैक्सीनेशन ही है। दिक्कत यह है कि कई क्षेत्रों में अभी भी लोग कोविड वैक्सीन लगवाने से हिचकिचा रहे हैं। सरकारी स्तर पर जागरूक करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं।
देश के तमाम विशेषज्ञ कहते हैं कि सरकारी स्तर जो तैयारियां और व्यवस्था होनी थी, वह कर दी गई है। अब इसमें जनता की भागीदारी सबसे अहम है। यदि जनता ने साथ दिया तो कोरोना के खिलाफ जंग को आसानी से जीता जा सकता है। वहीं, लोगों ने लापरवाह रवैया बनाए रखा, तो कई बुरे परिणाम के लिए भी तैयार होना होगा।
बीते कुछ हफ्तों में एयरपोट्र्स और फ्लाइट में यात्रियों की भीड़ में इजाफा हुआ है। कोविड के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली एयरपोर्ट पर सोशल डिस्टेंसिंग नियमों को तोड़ रहे लोगों पर जुर्माना लगाया जा रहा है। राजधानी के स्थानीय बाजारों में भी लोगों को कोविड नियमों का उल्लंघन करते देखा जा सकता है। शादी का सीजन होने के चलते मॉल और अन्य दुकानों पर भीड़ ज्यादा हो रही है। तीसरी लहर के खतरे के बावजूद महिलाए, बच्चे और अन्य लोग लापरवाही कर रहे हैं. इसके अलावा महिलाएं अपने बच्चों को बगैर मास्क पहनाए बाजार लेकर आ रही हैं।
मनाली जैसे मशहूर हिल स्टेशन के रास्ते में ट्रैफिक जाम जैसे हालात के फोटो-वीडियो सामने आए थे, जिसके बाद लोगों ने काफी नाराजगी जाहिर की थी। बड़ी संख्या में लोग बगैर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के खरीदारी करने निकल रहे हैं। स्वास्थ्य ने कहा था कि हिल स्टेशन पहुंच रहे पर्यटक कोविड-19 संबंधी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इसे लेकर चेतावनी भी जारी की थी।
तमिलनाडु में कोडईकनाल हिल स्टेशन पर कई बगीचों को 6 जुलाई से दोबारा बंद कर दिया गया है। राज्य में लॉकडाउन में दी जा रही ढील के एक दिन बाद यह फैसला लिया गया. स्थानीय अधिकारियों का कहना कि लापरवाह पर्यटकों की भीड़ केचलते यह कदम उठाना पड़ा था।
अनलॉक की प्रक्रिया के शुरू होते ही ऐसा लग रहा है, जैसे कोरोना खत्म हो गया है। लोग बिना मास्क और सोशल डिस्टेंसिग के ही घरों से निकल रहे हैं। घूमने के लिए दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। जबकि हमें कोरोना की दूसरी लहर से कुछ ऐसी बातें साथ रखनी चाहिए थी, जो भविष्य और वर्तमान में हमें इस महामारी से बचा सकें। इसलिए जब तक कोरोना पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाता तब तक ज्यादा जरूरी ना हो तो बाहर ना निकले। वहीं अगर बाहर जाना भी हो तो दो गज की दूरी और मास्क पहनना ना भूले। साथ ही बार बार हाथ अवश्य धोते रहें।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)
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