कल्याण सिंह एक बहादुर योद्धा हैं और राजनाथ सिंह एक कायर साजिशकर्ता
संजय तिवारी
भारत का समाज श्रद्धांजलि देनेवाला समाज है। जैसे हम लोगों के मरने की प्रतीक्षा करते रहते हैं। कब मरे और कब हम श्रद्धांजलि देकर अपनी श्रद्धा प्रकट करें।
कल्याण सिंह भी इस मानसिकता के शिकार बन रहे हैं। जीते जी कल्याण सिंह की जैसा दुर्दशा पार्टी ने किया है उसे कल्याण सिंह एकदम से तो भूल नहीं गये होंगे? लखनऊ से लेकर दिल्ली तक राजनाथ सिंह ने कल्याण सिंह की कब्र खोदने का काम किया और दुर्भाग्य से राजनाथ सिंह इसमें सफल भी रहे।
कल्याण सिंह राजनाथ सिंह के ट्रैप में फंस गये। राजनाथ सिंह उनके खिलाफ स्टोरी प्लांट करवाते, अफवाहें फैलाते और कल्याण सिंह चिढकर अनाप शनाप बकते। इसमें कल्याण सिंह का कोई दोष नहीं था। कल्याण सिंह एक सत्यनिष्ठ व्यक्तित्व हैं। राम मंदिर के लिए उन्होंने कुर्सी का जैसा बलिदान किया, वैसा शायद ही कोई दूसरा राजनेता करता। उनके पहले कार्यकाल में सत्ता की जैसी हनक कल्याण सिंह ने कायम किया वैसा आज तक उत्तर प्रदेश में कोई नहीं कर पाया।
लेकिन ऐसे मजबूत और सत्यनिष्ठ व्यक्ति को राजनाथ सिंह ने अपनी राजनीति के लिए कीचड़ में धकेला। कुसुम राय से संबंधों की अफवाह को इतनी हवा दी कल्याण सिंह का व्यक्तित्व ही कलंकित हो गया। पर्दे के पीछे से इन सभी अफवाहों का संचालन राजनाथ सिंह कर रहे थे क्योकि उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना था। राजनाथ सिंह ने अपनी अफवाहों के घेरे में अटल बिहारी वाजपेयी को भी घसीट लिया और अटल बिहारी वाजपेयी और कल्याण सिंह के बीच ऐसी कड़वाहट पनपी कि कल्याण सिंह को पार्टी से बाहर जाना पड़ा।
उत्तर प्रदेश में ही नहीं भारत में भाजपा के उत्थान में कल्याण सिंह नींव के पत्थर थे। लेकिन इसी भाजपा ने उन्हें पत्थरों से मारकर लहुलुहान किया। हां, मोदी के आने के बाद जरूर कुछ गलतियों को सुधारा गया और कल्याण सिंह को भी सम्मान दिया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जो व्यक्तित्व देश का प्रधानमंत्री होने की क्षमता रखता था उसे राज्यपाल बनाकर पार्टी को क्या मिलने वाला था?
कल्याण सिंह एक बहादुर योद्धा हैं और राजनाथ सिंह एक कायर साजिशकर्ता। राजनाथ सिंह कल्याण सिंह के खिलाफ शीतयुद्ध में विजेता हुए और केन्द्र का चेहरा बन गये और कल्याण सिंह गुमनामी के बियाबान में खो गये। कल्याण सिंह को भाजपा ने उतना नहीं दिया जितना कल्याण सिंह ने भाजपा को दिया। लेकिन अब देने की जल्दबाजी इतनी है कि कल्याण सिंह के जीते जी श्रद्धांजलि जरूर दिये जा रहे हैं।
( संजय तिवारी के फेसबुक टाइमलाइन से साभार )
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