यह करके देश में हो सकती है गौ क्रांति

क्या आप ब्रह्मन गाय के बारे में जानते हैं ?
संजय तिवारी
नेहरु जी के समाजवाद ने गांव को दो अनमोल उपहार दिये। एक, यूकेलिप्टस का पेड़ और दूसरा जर्सी नस्ल की गाय। गांव के विकास के लिए नेहरु जी के समाजवादी झोले से जो दो अनमोल उपहार निकले थे उन दोनों की कहानी ये हुई कि जर्सी नस्ल की गाय आज कोई पालना नहीं चाहता। यूकेलिप्टस जरूर कुछ लोग लगाते हैं ताकि अतिरिक्त आमदनी हो जाए। लेकिन ये पेड़ इतना पानी पीता है कि आसपास की भूमि को बंजर करने की ताकत रखता है।
खैर, जर्सी नस्ल की गाय भारत के गांवों में इसलिए पहुंचाई गयी ताकि किसानों का दुग्ध उत्पादन बढे। दूध तो जर्सी गाय में बहुत था लेकिन किसी काम का नहीं। आम जनमानस में ये धारणा है कि जर्सी नस्ल की गाय सूअर और गाय का क्रॉस ब्रीड है। इसलिए इसका दूध पीने से भी लोग बचते हैं। बाकी दूध बहुत पतला है और साइंटिफिक टर्म में देशी गाय के दूध से भी कमतर है। घी बहुत कम निकलता है। ऊपर से गाय के रख रखाव का खर्च भी अधिक है। इसलिए जर्सी गाय भारतीय समाज में घाटे का सौदा साबित हो गयी।
इसके उलट ब्राजील और अमेरिका एक अलग प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने भारत की तीन नस्ल का क्रॉस ब्रीड तैयार किया। नेल्लोर नस्ल, गुजरात नस्ल और गीर नस्ल के क्रॉस ब्रीड से एक नयी गाय को जन्म दिया और नाम दिया ब्रह्मन गाय। ये ब्रह्मन गाय ब्राजील की गौवंश का आधार है। वो इसका दूध, मांस और चमड़ा तीनों का व्यापार करते हैं। अमेरिका में भी इस ब्रह्मन नस्ल की गाय का चलन चल पड़ा है और उसे बढावा दिया जा रहा है।
हालांकि ये दोनों ही देश ब्रह्मन गाय को काटते भी हैं और उसके मांस और चमडे का व्यापार भी करते हैं। कोई आश्चर्य नहीं। भारत में भी गाय काटने का चलन ब्रिटिशों ने ही शुरु किया और बाद में मुसलमानों ने इसे अपने धर्म से जोड़ लिया। लेकिन चमड़े और मांस के अलावा ब्रह्मन नस्ल की गाय दूध के लिए भी विख्यात है। औसत 25 लीटर दूध प्रतिदिन एक ब्रह्मन गाय देती है। हालांकि भारत की गीर नस्ल आज भी सर्वाधिक दूध देने वाली गोवंश है लेकिन गीर, नेल्लोर और गुजरात का क्रॉस ब्रीड होने के कारण ब्रह्मन गाय में दूध भी बहुत अच्छा है और देखने में कामधेनु का अवतार लगती है।
क्या भारत सरकार अमेरिकी ब्रह्मन गाय को भारत में बढावा दे सकती है? हम तो वो नहीं कर पाये जो हमें करना था, लेकिन अमेरिका ने कर दिया। जब सारी तकनीकि अमेरिका से आयात हो रही है तो क्या ब्रह्मन गाय का आयात नहीं किया जा सकता ? अगर सरकार ऐसा करती है तो ये भारत में गौक्रांति जैसा होगा। इस गाय का दूध उत्कृष्ट होने के साथ साथ यह भारत की जलवायु में बहुत आराम से रह सकती है।






Related News

  • लोकतंत्र ही नहीं मानवाधिकार की जननी भी है बिहार
  • भीम ने अपने पितरों की मोक्ष के लिए गया जी में किया था पिंडदान
  • कॉमिक्स का भी क्या दौर था
  • गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र
  • वह मरा नहीं, आईएएस बन गया!
  • बिहार की महिला किसानों ने छोटी सी बगिया से मिटाई पूरे गांव की भूख
  • कौन होते हैं धन्ना सेठ, क्या आप जानते हैं धन्ना सेठ की कहानी
  • यह करके देश में हो सकती है गौ क्रांति
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com