क्या बिहार की सरकार को अवाम की चिंता नहीं है?
नई दिल्ली/पटना। बिहार में मुख्यमंत्री निवास में लगे पेड़ों की सुरक्षा को लेकर राजनीति गर्मा गई है। मुख्यमंत्री निवास में अभी जीतन राम मांझी रह रहे हैं और उनका आरोप है कि नीतीश कुमार ने वहां आम के पेड़ों की सुरक्षा के लिए पुलिस वालों को तैनात कर रखा है। विवाद के बाद नीतीश कुमार जब मीडिया के सामने आए तो फोर्स तैनाती की जानकारी से ही इनकार कर दिया। नीतीश ने इसे तुच्छ मुद्दा बताया है। कहने को तो आम के पेड़ मुख्यमंत्री के सरकारी बंगले में लगे हैं, लेकिन इस बंगले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी रह रहे हैं। मांझी का आरोप है कि नीतीश ने इन पेड़ों पर पुलिस का पहरा लगा दिया है और दलित होने की वजह से इसके इस्तेमाल से रोका जा रहा है। नीतीश जानकारी से इनकार कर रहे हैं । लेकिन मांझी की पार्टी की ओर से एबीपी न्यूज को एक सर्कुलर पेश किया गया है जिसमें आम की सुरक्षा में 24 पुलिस वालों की तैनाती की बात कही गई है। इनमें 8 दारोगा और 16 सिपाही शामिल हैं।
आम और अवाम की सुरक्षा के सवाल पर नीतीश विरोधियों के निशाने पर इसलिए भी हैं क्योंकि बिहार में लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं। 100 पेडों की रखवाली के लिए 24 पुलिस वालों की तैनाती की गई है, जबकि 2012 का सरकारी आंकड़ा बताता है कि बिहार में 1492 लोगों की सुरक्षा एक पुलिस वाले के जिम्मे है। यानी 1 लाख लोगों की सुरक्षा में 67 पुलिस वाले तैनात हैं, जो कि देश में सबसे कम है, जबकि यहां आम के 4 पेड़ की रखवाली के लिए 1 पुलिस वाले की तैनाती की गई है, फरवरी महीने में नीतीश के सत्ता संभालने के बाद राज्य में अपराध का ग्राफ बढ़ा है।
फवरी में जहां हत्या के 211 मामले दर्ज हुए थे वहीं मार्च में 274 केस दर्ज किए गए। फरवरी में अपहरण के 561 केस दर्ज किए गए जबकि मार्च में आंकड़ा 619 का हो गया। इसी तरह रेप, डकैती और लूट की घटनाओं में भी फरवरी की तुलना में मार्च में बढ़Þोतरी हुई है। इसके बाद भी नीतीश दावा कर रहे हैं कि उनकी सरकार अवाम की चिंता कर रही है न कि आम की। लेकिन आंकड़ें नीतीश के दावे के उलट है तो क्या वाकई में बिहार की सरकार को अवाम की चिंता नहीं है? आम का एक झगड़ा दस साल पुराना है। राबड़ी देवी ने तब मुख्यमंत्री निवास छोड़ा था लेकिन आम का स्वाद वो भूल नहीं पाई थी, तभी तो नीतीश से इस बात की शिकायत थी कि आम लगाए उन्होंने और स्वाद नीतीश कुमार ले रहे हैं। जब राबड़ी ने ताना मारा था तो नीतीश ने भी जवाब दिया कि आम तो खराब हो गया, लेकिन कुरेदने पर उन्होंने कह दिया कि वो आम भिजवा देंगे। उस वक्त नीतीश ने आम भिजवाए थे या नहीं यह तो पता नहीं लेकिन आम का विवाद हुआ है तो नीतीश फिर कह रहे हैं कि वो आम भिजवा देंगे।
कितना बड़ा है बगीचा ?
सीएम आवास में इस वक्त आम के 14, लीची के 10, कटहल के 8,
अमरूद 20, और मेडिसिनल प्लांट लगे हैं। नियम के मुताबिक मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जीतन राम मांझी सीएम निवास में एक महीना तक रह सकते हैं। मांझी ने इसी साल 20 फरवरी को उन्होंने इस्तीफा दिया था लेकिन अभी तक उन्होंने बंगला खाली नहीं किया है।
सीएम आवास के फल खाने का नियम क्या है ?
नियम के मुताबिक कैंपस की फल सब्जियों पर सीएम का अधिकार है। सीएम अगर इस्तेमाल नहीं करते तो बेचने का पैसा खजाने में जाएगा। कोई दूसरा अगर इस्तेमाल करेगा तो उसे खरीदना होगा। यानी नीतीश इन आमों को फ्री में खा सकते हैं लेकिन मांझी को पैसे देने पड़ेंगे? एवीबीपी न्यूज से
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नीतीश को अवाम की बजाय, ‘आम, लीची, कटहल’ की परवाह है : भाजपा
नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बंगले में लगे आम के पेड़ों के फलों का कथित रूप से उनके द्वारा उपयोग करने से रोकने के लिए वहां 24 पुलिसकर्मी तैनात किए जाने के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले को ‘घटिया कदम’ बताते हुए भाजपा ने आज कहा कि राज्य की गिरती कानून व्यवस्था से परेशान अवाम की चिंता करने की बजाय वह आम की फिक्र कर रहे हैं। नीतीश कुमार को सीधे निशाने पर लेते हुए भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने यहां कहा, नीतीश कुमार किसी से लड़ने पर उसके प्रति अत्यधिक पूर्वाग्रही होकर राजनीति को बहुत निचले स्तर पर ले जाते हैं। महादलित जीतन राम मांझी को पहले मुख्यमंत्री बनाया फिर पद से हटाया और अब उन्हें उनके आवास पर लगे आम के पेड़ों की आम की चटनी तक खाने का अधिकार नहीं है।
इस सिलसले में उन्होंने 2010 की उस घटना का भी उल्लेख किया जब पटना में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित हुई थी और नीतीश कुमार ने भाजपा नेतृत्व को भोज पर आमंंत्रित किया था लेकिन तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी एक फोटो को शहर के चौराहों पर लगाए जाने से नाराज होकर उन्होंने वह दावत रद्द कर दी थी। मांझी के निवास 1 अणे मार्ग पर कथित रूप से आम के पेड़ों के फलों की रखवाली के लिए पुलिसकर्मियों को तैनात किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए शाहनवाज ने कहा, नीतीश कुमार ने ये जो घटिया कदम उठाया है इससे उन्होंने अपना ही नहीं, बल्कि बिहार और बिहार के लोगों का भी मजÞाक बनाया है। उन्होंने कहा, नीतीश कुमार के वर्तमान शासन में बिहार में डकैती, हत्याओं और लूट जैसे अपराधों के सारे रिकार्ड टूट गए हैं और वहां अब ‘जंगल राज-2 ’ स्थापित हो चुका है। लेकिन नीतीश कुमार को अवाम की चिंता नहीं बल्कि आम, लीची और कटहल की ही चिंता है। मांझी ने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार ने उनके सरकारी निवास पर 24 पुलिसकर्मी इसलिए तैनात किए हैं जिससे कि उन्हें और उनके परिवार को बंगले में लगे आम के पेड़ों के फल का इस्तेमाल करने से रोका जा सके।
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