कोयले की काली कमाई से बनती-गिरती थी पटना की सरकार
कोयले की काली कमाई से बनती-गिरती थी पटना की सरकार
— बिहार-झारखंड: राजनेताओं की रंगरेलियां 3 —
वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ पत्रकार, पटना
बिहार विधानमंडल की पूर्व सदस्य रमणिका गुप्ता अपनी आत्मकथा में लिखती हैं कि पटना में बनने वाली सरकार में कोयले की काली कमाई की बड़ी भूमिका होती थी। कोलियरी के नेता और ठेकेदारों के हितों के अनुकूल कानून भी बनाये जाते थे। रमणिका गुप्ता ने कोयले के राजनीतिक कारोबार के एक प्रसंग में लिखा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री दो कारणों से विचलित थीं। एक तो धनबाद के पैसे का पटना की कांग्रेसी सरकार के बनाने या हटाने में जबदरस्त दखल था। देश और राज्य में कांग्रेस का एकछत्र राज था। इस कारण गुटबाजी की वजह से सरकार नहीं बदलती थी, लेकिन मुख्यमंत्री बदलते रहते थे। इससे राजनीतिक अस्थिरता कायम हो गयी थी। बाद में दूसरे दलों के लोग भी धनबाद के खजाने में हिस्सा बांटकर सरकार को बनाना और गिराना सीख गये थे। प्रधानमंत्री की बेचैनी की दूसरी वजह थी देश के विकास में ऊर्जा की जरूरत और वह कोयले से ही संभव था। इसके लिए खदानों का विस्तार जरूरी था। कोल एरिया के आर्थिक ढांचे और वर्चस्व की लड़ाई की चर्चा करते हुए रमणिका गुप्ता लिखती हैं कि ऐसे हालात में सरकार ने खदानों के सरकारीकरण का फैसला लिया और 1970 में कुकिंग कोल वाली खदानों का राष्ट्रीयकरण किया गया और धनबाद में बीसीसीएल का कार्यालय बना।
वे लिखती हैं कि 1972 में कांग्रेसी सरकार में वे एमएलसी बनी थीं। कोलियरी में जातीय वर्चस्त की चर्चा करते हुए बताती हैं कि भूमिहार और राजपूत की लड़ाई में ब्राह्मणों की कूटनीति सदैव से दूसरों को लड़ाकर स्वयं नेता बने रहना रही, ताकि कोई फैसला नहीं हो सके। वे आपस में लड़ते रहे और ब्राह्मण नेता बने रहे। जातीय नेतृत्व को लेकर वह लिखती हैं कि संगठन में नेतृत्वकारी भूमिका या हस्तक्षेप करने की क्षमता रखने वालों में भूमिहार ही ज्यादा थे। राजपूत या पिछड़ा वर्ग कम था।
अपने शारीरिक संबंधों को लेकर वह कहती हैं कि वह सात बार गर्भपात करा चुकी थीं। इसके बाद उन्होंने ऑपरेशन करा लिया ताकि गर्भपात धारणा की समस्या ही समाप्त हो जाये। वह पुस्तक में लिखती हैं कि मैं बच्चा होने के भय से मुक्त हो चुकी थी। बच्चे नहीं होंगे तो मुझे अपने शौक पूरे करने, नृत्य सीखने और करने का मौका मिलेगा। अभिनय और साहित्य के लिए समय मिलेगा। हर समय एक डर सा बना रहता था कि कहीं गड़बड़ हो गई तो बच्चा पैदा करने और उसे पालने के लिए घर में कैद रहना पड़ेगा। ऑपरेशन के बाद वह डर खत्म हो गया था। (जारी)
—
आत्मकथा को प्राप्त करने के लिए आप 9199910924 पर संपर्क कर सकते हैं।
—
https://www.facebook.com/kumarbypatna
Related News
मणिपुर : शासन सरकार का, ऑर्डर अलगावादियों का
(नोट : यह ग्राउंड रिपोर्टिंग संजय स्वदेश ने 2009 में मणिपुर में इंफाल, ईस्ट इम्फालRead More
सत्यजीत राय की फिल्मों में स्त्रियां
सत्यजीत राय की फिल्मों में स्त्रियां सुलोचना वर्मा (फेसबुक से साभार) आज महान फिल्मकार सत्यजीतRead More
Comments are Closed