विधानमंडल में तीन पीढि़यों का पीढ़ा
विधानमंडल में तीन पीढि़यों का पीढ़ा
वीरेंद्र यादव न्यूज बिहार विधान मंडल शताब्दी संवाद – 2
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बिहार विधान मंडल के सौ साल के इतिहास में कई ऐसे परिवार हैं, जिनकी तीन पीढियां विधानमंडल में प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। गोरियाकोठी के विधायक देवेश कांत सिंह की चार पीढ़ी विधान सभा में प्रतिनिधित्व कर चुकी है। देवेशकांत सिंह के परदादा, दादा और पिता भी विधायक रह चुके हैं। विधानमंडल में तीन पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने वाले अब तक सात परिवार की तलाश पूरी हो चुकी है। हमारे पाठक भी इस संबंध में इनपुट दे सकते हैं। वीरेंद्र यादव न्यूज अपना फरवरी अंक विधान मंडल शताब्दी विशेषांक के रूप में प्रकाशित कर रहा है। उस विशेषांक में विधानमंडल के सौ साल पर पढ़ने को विशेष सामग्री मिलेगी। कॉपी प्राप्त करने के लिए 9431094428 पर संपर्क कर सकते हैं।
शाहपुर से विधायक राहुल तिवारी के दादा रामानंद तिवारी पांच बार और पिता शिवानंद तिवारी तीन बार विधायक रहे थे। दोनों राज्य सरकार में मंत्री भी रहे थे और बाद में सांसद निर्वाचित हुए थे। राहुल तिवारी दूसरी बार विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए हैं।
बरबीघा के विधायक सुदर्शन कुमार के दादा राजो सिंह और पिता संजय सिंह व माता सुनीला देवी भी विधायक रहे थे। राजो सिंह और संजय सिंह दोनों राज्य सरकार में मंत्री भी रहे थे। सुदर्शन दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं। सिमरी बख्तियारपुर के विधायक युसुफ सलाहउद्दीन के दादा चौधरी सलाहउद्दीन और पिता महबूब अली कैसर भी विधायक रहे हैं। श्री कैसर अभी खगडि़या के सांसद हैं। युसुफ पहली बार निर्वाचित हुए हैं। चकाई के विधायक सुमित सिंह के दादा श्रीकृष्ण सिंह और पिता नरेंद्र सिंह भी विधानमंडल के सदस्य रहे थे। दोनों राज्य सरकार में मंत्री भी थे। सुमित के दो भाई भी विधायक रहे हैं। सुमित दूसरी बार निर्वातिच हुए हैं।
सीतामढ़ी के पूर्व विधायक और वर्तमान सांसद सुनील कुमार पिंटू के दादा किशोरी लाल साह और पिता हरिशंकर प्रसाद दो-दो बार विधायक रहे थे। सुनील पिंटू खुद चार बार विधायक निर्वाचित हुए और राज्य सरकार में मंत्री भी थे।
पालीगंज से विधायक रहे जयबर्द्धन यादव के दादा रामलखन सिंह यादव सात बार विधान सभा के लिए चुने गये थे, जबकि पिता प्रकाश चंद्र 1991 में विधान परिषद के लिए चुने गये थे। 1980 में रामलखन सिंह यादव पालीगंज और बख्तियारपुर से एक साथ चुने गये थे। बाद में बख्तियारपुर सीट उन्होंने छोड़ दी थी, जिस पर हुए उपचुनाव में रामजयपाल सिंह यादव निर्वाचित हुए थे। जाले के पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा के दादा ललित नारायण मिश्रा और पिता विजय कुमार मिश्र भी विधान मंडल के सदस्य रहे थे। दोनों सांसद भी बने थे। ललित नारायण मिश्र कांग्रेस के बड़े नेता थे। उनके भाई डॉ जगन्नाथ मिश्र मुख्यमंत्री भी बने थे। डॉ मिश्र के पुत्र नीतीश मिश्र झंझारपुर से फिलहाल विधायक हैं। वे राज्य सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
पाठकों के पास तीन या चार पीढ़ी की विधायकी से जुड़ी किसी परिवार के बारे में सूचना हो तो जरूर बतायें और उनका मोबाइल नंबर भी उपलब्ध कराएं, ताकि हम विस्तृत जानकारी इकट्ठा कर सकें।
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