किस घाट के रहे अशोक चौधरी !

अशोक चौधरी मंत्री पद से दे सकते हैं इस्तीफा 

वीरेंद्र यादव, पटना
भवन निर्माण और शिक्षा जैसे महत्व पूर्ण विभाग के मंत्री अशोक चौधरी विधान परिषद के लिए मनोनयन के पहले मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। इसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार में फिर शपथ दिलायी जा सकती है। यह तकनीकी पक्ष है और बहुत हद तक राज्यपाल की इच्छा पर निर्भर करता है। पिछले साल महाराष्‍ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद में अपने मनोनयन की अनुशंसा राज्यपाल को भेजी थी, जिसे राज्यपाल ने अस्वीकार कर दिया था। राज्यपाल का कहना था कि मंत्रिमंडल अपने किसी सदस्य के मनोनयन की अनुशंसा नहीं कर सकता है। इसका आशय है कि मुख्यमंत्री या मंत्री मंत्रिमंडल के सदस्‍य होते हैं। इसलिए कैबिनेट के किसी भी सदस्य के नाम की अनुशंसा राज्यपाल कोटे के तहत मनोनयन के लिए नहीं भेजा जा सकता है। अशोक चौधरी अभी मंत्रिमंडल के सदस्य हैं। इस कारण कैबिनेट उनके नाम की अनुशंसा नहीं भेज सकता है। इसलिए मनोनयन के पूर्व उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ सकता है। हालांकि पशुपति कुमार पारस के नाम की अनुशंसा उनके मं‍त्री रहते हुए कैबिनेट ने भेजा था और राज्यपपाल ने स्‍वीकार कर लिया था। लेकिन उद्धव ठाकरे प्रकरण ने इस मुद्दे को उलझा दिया है। यदि राज्यपाल फागू चौहान संविधान की आंख में धूल झोंकने की गारंटी सरकार को दे देते हैं तो अशोक चौधरी को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैसी स्थिति में विपक्ष नीतीश कुमार की आंख की चैन छीन लेगा।
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