दबे पांव फिर लौट रहे कोरोना की अनदेखी हो सकती है घातक

केरल, महाराष्ट्र, बंगाल के बाद सबसे ज्यादा नए मरीज छत्तीसगढ़ में मिल रहे हैं. पिछले 48 घंटों में सामने आए नए संक्रमितों के लिहाज से छत्तीसगढ़ देश का चौथा-पांचवां सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य था.

– राजेश जोशी
राष्ट्रीय स्तर पर लगातार घटते जा रहे कोविड-19 के नए संक्रमण के मामले जहां राहत की उम्मीद जगा रहे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ जैसे कुछ राज्यों में हालात अभी भी पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं माना जाना चाहिए. सितंबर की तुलना में संक्रमण की संख्या भले ही घटी है पर राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में रोज सामने आ रहे नए मरीज इस बात की और इशारा कर रहे हैं कि कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ है. पिछले 24 घंटों में सामने आए नए संक्रमितों के लिहाज से छत्तीसगढ़ देश का पांचवा सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य था. गुरुवार सुबह तक चौथा. केरल और महाराष्ट्र, बंगाल के बाद सबसे ज्यादा नए मरीज छत्तीसगढ़ में मिल रहे हैं. एक वक्त पर कोरोना कैपिटल माने जा रहे दिल्ली में आज छत्तीसगढ़ की तुलना में नए मरीज एक तिहाई हैं. छत्तीसगढ़ में कोरोना की टेस्ट पॉजिटिविटी दर भी राष्ट्रीय औसत से इस वक्त ज्यादा है. मृत्यु दर राष्ट्रीय से बहुत थोड़ी ही कम. छत्तीसगढ़ में संक्रमण में वृद्धि की एक बड़ी वजह त्यौहार और शादियों का सीजन भी हो सकता है. इसमें बहुत सारे लोगों ने कोरोना की सावधानियों की चिंता नहीं की. सामान्य तौर पर कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण 10 से 15 दिनों बाद सामने आते हैं. पिछले एक हफ्ते से रायपुर जिले में नए संक्रमण का ग्राफ ऊपर जा रहा है. कुछ और जिलों में भी यही स्थिति है. ग्रामीण इलाकों में तो बुरा हाल हो सकता है. वहां कोरोना संक्रमण की असल में क्या स्थिति है, किसी को पता नहीं. ज्यादातर इलाकों में कोरोना टेस्ट हो ही नहीं रहे. मास्क और सोशल –फिजिकल डिस्टेंसिंग तो लोग पूरी तरह से भूल ही गए हैं. जिस तरह की लापरवाही हर स्तर पर देखी जा रही है, उससे कोरोना संक्रमण के बड़े विस्फोट का खतरा बना हुआ है.  राज्य के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे धरना-प्रदर्शन, सामाजिक बैठकों में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग नियमों की तो धज्जियां उड़ रहीं हैं. जबकि संक्रमण रोकने का इससे बढ़िया उपाय तो फिलहाल कोई नहीं है. इस तरह के हालात में संक्रमण का फैलाव और तेजी से होने का खतरा बना हुआ है.
जहां तक कोरोना वायरस से बचाने वाली वैक्सीन की बात है, तो अभी तक किसी वैक्सीन को भारत सरकार ने आपात इस्तेमाल के लिए मंजूर नहीं किया है. जो वैक्सीन दुनिया के कुछ अन्य देशों में इस्तेमाल की जा रही हैं, उनके नतीजे भी बहुत उत्साहजनक नहीं है. ब्रिटेन के बाद अमेरिका में भी फाइजर की वैक्सीन की वजह से दो मरीजों को गंभीर रिएक्शन का सामना करना पड़ा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत दुनियाभर के महामारी विशेषज्ञ संस्थान इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना वायरस के लिए तैयार की जा रही वैक्सीन हल नहीं है. क्योंकि यह वैक्सीन कितने दिनों तक हमें संक्रमण से बचाएगी, किसी को पता नहीं? वैक्सीन लेने के बाद भी हमें अपने व्यवहार में वही सावधानियां बरतनी पड़ेंगीं, जो हम कोरोना संक्रमण की शुरुआत में बरत रहे थे. हर्ड इम्युनिटी या कम से कम 70-80 फीसदी आबादी को कोरोना संक्रमण हो जाने की स्थिति आने तक कोविड-19 वायरस का खतरा बना रहेगा. ये समझना होगा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई को हल्के में लेने का जोखिम उठाने की स्थिति में छत्तीसगढ़ नहीं है.
आज छत्तीसगढ़ की छवि एक ऐसे राज्य की है, जिसने कोरोना वायरस संक्रमण को वक्त रहते ना केवल नियंत्रित किया बल्कि अनलॉक के बाद अर्थव्यवस्था में भी जोरदार वापसी की. उसकी पहचान पूरे देश में ऐसे राज्य की है, जिसने संक्रमण और आजीविका दोनों को संतुलित करने की कोशिश की. अब छवि को बनाए रखना सरकार और प्रशासन की बड़ी जिम्मेदारी होनी चाहिए.






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