बिहार में ‘वर्चुवल वार’ कंटेंट कहां से लायेंगे !!
Nirala Bidesia
बिहार में चुनाव को लेकर सरगर्मी शुरू हो गयी है. विशेषकर मीडिया में. कोरोना काल में सियासत का पहला टेस्ट बिहार में ही होना है. यह कहा जा रहा है, माना जा रहा है कि बिहार चुनाव प्रचार,संवाद आदि के आधार पर वर्चुअल फ्रेम पर होगा. जो वर्चुअली, जितना ज्यादा संवाद करेगा, कंटेंट परोसेगा, संवाद करेगा, अपने मतदाताओं तक पहुंचेगा, वही बढ़त बनाएगा. बेशक, वर्चुअल माध्यम का महत्व बढ़ेगा, वर्चुअल प्रचार और वार इस बार दिलचस्प होगा लेकिन आज अनेक लोगों से बातचीत हुई, तो लगा कि वर्चुअल वार—प्रचार बिहार के सियासी गणित को तय नहीं करेगा. कुछ राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं से, कुछ नेताओं से और अधिकांश सामान्य जनों से बात हुई. वर्चुअल वार के लिए सभी पार्टियों की अपनी तैयारियां हैं. सूचना तो यह है कि पार्टियां अपने मतदाताओं को स्मार्टफोन तक मुहैया कराने की तैयारी में है, जिससे वे अपने कंटेंट लगातार उन्हें भेज सकें, वे देख सकें. यह सब होगा, तो वर्चुअल प्रचार और संवाद का असर होगा लेकिन बातचीत से ऐसा लगा कि इस बार बाजी वह मारेगा, जिसके कार्यकर्ता जितना ज्यादा से ज्यादा लोगों से संवाद कर उन्हें कनविंस करेंगे. जिनके कार्यकर्ता गांव—गांव तक होंगे, उनकी स्थिति मजबूत होगी. क्योंकि सोशल मीडिया यथा फेसबुक,व्हाट्सएव,वेबसाइट आदि की सूचनाओं को लेकर अब गांव—गांव तक यह धारणा धीरे—धीरे बननी शुरू हो चुकी है कि यह सब अर्जी—फर्जी होता है. वह बहुत देर तक दिमाग पर असर नहीं रखता. एक कंटेंट आता है, उसका असर तब तक रहता है, जब तक उसका काट न आ जाये. इस बार जो गांव—गांव तक, जो पारंपरिक तरीके से संवाद करेगा, आमने—सामने की बात कर कनविंस करेगा और यह बतायेगा कि यह जो वर्चुअल कंटेंट आते हैं, उनमें अधिकांश अर्जी—फर्जी होते हैं. यहां से काटकर, वहां से जोड़कर, बिना सिरपैर के, उसकी स्थिति मजबूत रहेगी.
Nirala Bidesia के फेसबुक टाइमलाइन से साभार
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