बिहार के शिक्षकों की पॉलिटिक्स ऐसे समझिए
बिहार के शिक्षकों की पॉलिटिक्स ऐसे समझिए बिहार नियोजित शिक्षकों के हडताल के दो महीने कौन हैं
नियोजित शिक्षक और क्यों सूबे में ये अक्सर हड़ताल पर रहते हैं.
नीतीश पांडे.गोपालगंज.बिहार कथा. 17 फरवरी से प्रारंभिक शिक्षकों की हड़ताल जारी है। वहीं, 25 फरवरी से तमाम माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक हड़ताल पर हैं। इस दौरान हड़ताली शिक्षकों ने बिहार बोर्ड की ओर से आयोजित मैट्रिक परीक्षा का भी बहिष्कार किया। लेकिन सरकार भी उनके समक्ष नहीं डिगी. बिहार बोर्ड ने इंटरमीडिएट का रिजल्ट समय पर दिया. मैट्रिक रिजल्ट भी समय पर देने की तैयारी चल रही थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण मामला अटक गया. शिक्षकों ने हड़ताल को सम्मानजनक तरीके से समाप्त कराने, हड़ताल अवधि का वेतन भुगतान करने तथा दंडात्मक कार्रवाई रोकने की शर्त रखी है. ये शर्त शिक्षकों ने खुला पत्र जारी कर सरकार के समक्ष रखी है. शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार अपनी हैसियत के अनुसार नियोजित शिक्षकों के वेतन में वृद्धि करेगी. इनकी सेवाशर्तों में भी सुधार किया जाएगा.जो शिक्षक हड़ताल में शामिल थे, उन्हें सिर्फ जनवरी माह का वेतन भुगतान किया जायेगा| वहीं जिन शिक्षकों ने मूल्यांकन का कार्य किया था उन्हें दो माह का वेतन जारी किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट से इन शिक्षकों को समान काम-समान वेतन की मांग पर पहले ही झटका लग चुका है. बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी विधानसभा में अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं. हड़ताल की समस्या नियोजित शिक्षकों के बहाली की प्रक्रिया से जुड़ी है, कुछ डिग्री दिखाकर शिक्षक बने, तो कुछ TET/STET परिक्षा पास कर.
2003 में हुई थी बहाली
साल 2003 की बात है, बिहार सरकार दो समस्याओं से जुझ रही थी, एक थी बेरोजगारी की समस्या और दुसरा स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी थी.सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों की बहाली की जानी थी, लेकिन बिहार जैसे गरीब राज्य में उस वक्त भी फंड की कमी थी, आज भी कमी है. 2003 में प्राथमिक विद्यालयों में 11 महीने के अनुबंध पर शिक्षा मित्रों की बहाली पंचायत द्वारा 1500/- मासिक पर की गई. धीरे धीरे यह अनुबंध बढता रहा और वेतन भी बढा. इस प्रक्रिया में खामी यह थी कि शिक्षकों की बहाली 10वीं और 12वीं के अंकों के आधार पर पंचायत और नगर निकाय स्तर पर जबरदस्त भ्रष्टाचार और धांधली के साथ हुआ.उनकी योग्यता का कोई पैमाना नहीं रखा गया. सरकार भी इस बात से वाकिफ है कि जिस तरह से लोग बिहार में पास होते रहे हैं, और उस अंक के आधार पर हुई बहाली में खामियां तो होंगी ही. प्रारंभिक शिक्षक संघ के अनुसार इनकी संख्या लगभग 3 लाख 70 हजार है.TET/STET पास शिक्षकों की संख्या लगभग 40 हजार है. यहाँ शिक्षक दो गुट में बट जातें हैं -प्राइमरी और मिडिल (डिग्री दिखाकर नौकरी पाने वाले) दूसरे 10,+2 (परीक्षा पास कर नौकरी पाने वाले).
सभी शिक्षक योग्य नहीं
इन शिक्षकों को लगा कि उनके काम के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा. ऐसा नहीं है, कि उनकी वेतन में वृद्धि नहीं हुई है, समयानुसार वृद्धि के परिणामस्वरूप आज एक शिक्षक बिहार में 20 से 30 हजार तक वेतन ले रहा है. लेकिन अगर उनको नियमित किया गया, तो पहले एक तो गुणवत्ता का मुद्दा है, ऐसा नहीं है कि सभी शिक्षक बिल्कुल ही योग्य है, ये जमीनी हकीकत है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुद्दा समान काम समान वेतन का नहीं
चुनावी साल में, परीक्षा के समय शुरू हुए शिक्षकों के हड़ताल को आज दो महीने पुरे हो गए.लेकिन राज्य सरकार के सामने दुविधा ये है कि अगर सरकार उनकी मांग के अनुसार फैसला लेती है, तो वेतन करीब 40 हजार तक हो जाएगा और इस अतिरिक्त खर्च को क्या राज्य सरकार वहन कर पाएगी? यह सबसे बड़ा सवाल है, क्योंकि अगर हडताली शिक्षकों की मांग मान लिया तो करीब 28 हजार करोड़ का भार बढेगा और अगर एरियर के साथ दिया तो करीब 52 हजार करोड़ अधिक लगेंगे. पटना हाईकोर्ट में शिक्षक अपना मुकदमा जीत गए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि यह समान काम और समान वेतन का मुद्दा नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट से हार चुके हैं शिक्षक नेता
जब 2018 में यह केस सुप्रीम कोर्ट में आया था तब एटर्नी जनरल वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था, कि अगर समान वेतन दिया जाए तो राज्य सरकार पर करीब- करीब 1.36 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च बैठेगा और जाहिर है, राज्य सरकार उस स्थिति में नहीं है.सुप्रीम कोर्ट में शिक्षक मुकदमा हार गए.
सुशील मोदी ने रंग बदला
राज्य के खजाने की स्थिति के हिसाब से अब बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील मोदी कह रहे हैं कि समान वेतन देना हमारे बस में नहीं है, हाँ समयानुसार वेतन वृद्धि होती रहेगी. ये वही सुशील मोदी है जब महागठबंधन की सरकार थी, तो अपनी सरकार बनने पर शिक्षकों की मांग मान लेने का आश्वासन दिया करते थे.
नीतीश ने यह किया अहसान
नीतीश कुमार का स्टैंड क्लीयर है, विधानसभा में कह दिए शिक्षकों की संख्या 4 लाख है तो हमें डराइए मत. भ्रष्टाचार युक्त अयोग्य बहाली के बाद भी सबकी नौकरी बचाकर हमने उपकार किया है.परीक्षा के समय हड़ताल कर आपको जनता की सहानुभूति नहीं मिलने वाली. आपको मुझे वोट देना हो दीजिएगा. नहीं मन, मत दीजिएगा.
नीतीश पांडे.गोपालगंज.बिहार कथा. 17 फरवरी से प्रारंभिक शिक्षकों की हड़ताल जारी है। वहीं, 25 फरवरी से तमाम माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षक हड़ताल पर हैं। इस दौरान हड़ताली शिक्षकों ने बिहार बोर्ड की ओर से आयोजित मैट्रिक परीक्षा का भी बहिष्कार किया। लेकिन सरकार भी उनके समक्ष नहीं डिगी. बिहार बोर्ड ने इंटरमीडिएट का रिजल्ट समय पर दिया. मैट्रिक रिजल्ट भी समय पर देने की तैयारी चल रही थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण मामला अटक गया. शिक्षकों ने हड़ताल को सम्मानजनक तरीके से समाप्त कराने, हड़ताल अवधि का वेतन भुगतान करने तथा दंडात्मक कार्रवाई रोकने की शर्त रखी है. ये शर्त शिक्षकों ने खुला पत्र जारी कर सरकार के समक्ष रखी है. शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार अपनी हैसियत के अनुसार नियोजित शिक्षकों के वेतन में वृद्धि करेगी. इनकी सेवाशर्तों में भी सुधार किया जाएगा.जो शिक्षक हड़ताल में शामिल थे, उन्हें सिर्फ जनवरी माह का वेतन भुगतान किया जायेगा| वहीं जिन शिक्षकों ने मूल्यांकन का कार्य किया था उन्हें दो माह का वेतन जारी किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट से इन शिक्षकों को समान काम-समान वेतन की मांग पर पहले ही झटका लग चुका है. बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी विधानसभा में अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं. हड़ताल की समस्या नियोजित शिक्षकों के बहाली की प्रक्रिया से जुड़ी है, कुछ डिग्री दिखाकर शिक्षक बने, तो कुछ TET/STET परिक्षा पास कर.
2003 में हुई थी बहाली
साल 2003 की बात है, बिहार सरकार दो समस्याओं से जुझ रही थी, एक थी बेरोजगारी की समस्या और दुसरा स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी थी.सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों की बहाली की जानी थी, लेकिन बिहार जैसे गरीब राज्य में उस वक्त भी फंड की कमी थी, आज भी कमी है. 2003 में प्राथमिक विद्यालयों में 11 महीने के अनुबंध पर शिक्षा मित्रों की बहाली पंचायत द्वारा 1500/- मासिक पर की गई. धीरे धीरे यह अनुबंध बढता रहा और वेतन भी बढा. इस प्रक्रिया में खामी यह थी कि शिक्षकों की बहाली 10वीं और 12वीं के अंकों के आधार पर पंचायत और नगर निकाय स्तर पर जबरदस्त भ्रष्टाचार और धांधली के साथ हुआ.उनकी योग्यता का कोई पैमाना नहीं रखा गया. सरकार भी इस बात से वाकिफ है कि जिस तरह से लोग बिहार में पास होते रहे हैं, और उस अंक के आधार पर हुई बहाली में खामियां तो होंगी ही. प्रारंभिक शिक्षक संघ के अनुसार इनकी संख्या लगभग 3 लाख 70 हजार है.TET/STET पास शिक्षकों की संख्या लगभग 40 हजार है. यहाँ शिक्षक दो गुट में बट जातें हैं -प्राइमरी और मिडिल (डिग्री दिखाकर नौकरी पाने वाले) दूसरे 10,+2 (परीक्षा पास कर नौकरी पाने वाले).
सभी शिक्षक योग्य नहीं
इन शिक्षकों को लगा कि उनके काम के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा. ऐसा नहीं है, कि उनकी वेतन में वृद्धि नहीं हुई है, समयानुसार वृद्धि के परिणामस्वरूप आज एक शिक्षक बिहार में 20 से 30 हजार तक वेतन ले रहा है. लेकिन अगर उनको नियमित किया गया, तो पहले एक तो गुणवत्ता का मुद्दा है, ऐसा नहीं है कि सभी शिक्षक बिल्कुल ही योग्य है, ये जमीनी हकीकत है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुद्दा समान काम समान वेतन का नहीं
चुनावी साल में, परीक्षा के समय शुरू हुए शिक्षकों के हड़ताल को आज दो महीने पुरे हो गए.लेकिन राज्य सरकार के सामने दुविधा ये है कि अगर सरकार उनकी मांग के अनुसार फैसला लेती है, तो वेतन करीब 40 हजार तक हो जाएगा और इस अतिरिक्त खर्च को क्या राज्य सरकार वहन कर पाएगी? यह सबसे बड़ा सवाल है, क्योंकि अगर हडताली शिक्षकों की मांग मान लिया तो करीब 28 हजार करोड़ का भार बढेगा और अगर एरियर के साथ दिया तो करीब 52 हजार करोड़ अधिक लगेंगे. पटना हाईकोर्ट में शिक्षक अपना मुकदमा जीत गए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि यह समान काम और समान वेतन का मुद्दा नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट से हार चुके हैं शिक्षक नेता
जब 2018 में यह केस सुप्रीम कोर्ट में आया था तब एटर्नी जनरल वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था, कि अगर समान वेतन दिया जाए तो राज्य सरकार पर करीब- करीब 1.36 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च बैठेगा और जाहिर है, राज्य सरकार उस स्थिति में नहीं है.सुप्रीम कोर्ट में शिक्षक मुकदमा हार गए.
सुशील मोदी ने रंग बदला
राज्य के खजाने की स्थिति के हिसाब से अब बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील मोदी कह रहे हैं कि समान वेतन देना हमारे बस में नहीं है, हाँ समयानुसार वेतन वृद्धि होती रहेगी. ये वही सुशील मोदी है जब महागठबंधन की सरकार थी, तो अपनी सरकार बनने पर शिक्षकों की मांग मान लेने का आश्वासन दिया करते थे.
नीतीश ने यह किया अहसान
नीतीश कुमार का स्टैंड क्लीयर है, विधानसभा में कह दिए शिक्षकों की संख्या 4 लाख है तो हमें डराइए मत. भ्रष्टाचार युक्त अयोग्य बहाली के बाद भी सबकी नौकरी बचाकर हमने उपकार किया है.परीक्षा के समय हड़ताल कर आपको जनता की सहानुभूति नहीं मिलने वाली. आपको मुझे वोट देना हो दीजिएगा. नहीं मन, मत दीजिएगा.
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