यह कौन सी बात है जो पीएम मोदी को परेशान कर रही है

Tridib Raman

यह कौन सी बात है जो पीएम मोदी को परेशान कर रही है

त्रिदीब रमण-न्यूज ट्रस्ट ऑफ इंडिया

’अभी रौशन है चाहत के दीये हम सबकी आंखों में, बुझाने के लिए पागल हवाएं रोज़ आती हैं ये सच है नफ़रतों की आग ने सब कुछ जला डाला,
मगर उम्मीद की ठंडी हवाएं रोज़ आती है’
मुनव्वर राना ने जब अपने अल्फाजों को परवाज दिए होंगे तो शायद ही उन्हें इस बात का कोई इल्म होगा कि दिलवालों के शहर दिल्ली को भी उनके लफ्जों के मरहम की जरूरत पड़ जाएगी।
कहना मुश्किल है कि दिल्ली का दंगा कोई प्रयोग था या संयोग, शुरूआत कहां से हुई, किसकी ओर से हुई, पर शर्मशार तो मानवता ही हुई। घरों को आग लगी और उम्मीदें धू-धू कर जल गई। मां के रूदन में, बच्चों की चीखों में, खून के दरिया में, औरतों की लूटती अस्मतों में, कौन हिंदू, कौन मुसलमान? दंगे इस बात की परवाह भी कहां करते, वे तो हमारे वहशी होने की कीमत वसूल करते हैं। दिल्ली में जब नफरत की चिंगारियां फूट रही थीं तब हमारे गृह मंत्री अहमदाबाद
में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के स्वागत की तैयारियों में जुटे थे, उन्हें ट्रंप के लिए भीड़ जुटानी थी और भारत के लिए उम्मीदें। जब ट्रंप अहमदाबाद उतरने वाले थे इससे पहले ही अमित शाह को पीएम मोदी की ओर से संदेश चला गया कि आप दिल्ली जाइए, दिल्ली को संभालिए।
शायद यही वजह थी कि शाह अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में महज कुछ देर के लिए दिखे। पर, ट्रंप के तमाम स्वागत कार्यक्रमों से शाह अनुपस्थित रहे, राष्ट्रपति द्वारा ट्रंप के सम्मान में दिए गए भोज में भी अमित शाह मौजूद नहीं थे। राजनाथ सिंह की उपस्थिति उसमें अवश्य देखी गई। 3 दिनों तक दिल्ली सुलगती रही, पर सरकारों ने इस पर पानी डालने का काम नहीं किया। दिल्ली
के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी अपने दड़बे में घुसे रहे। सूत्रों की मानें तो फिर पीएम के कहने पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल हरकत में आए, वे गली-गली घूमे, पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और अगले ही दिन स्थिति नियंत्रण में आ गई। क्या मोदी की यह पूरी कवायद अपने नंबर दो को कोई बड़ा संदेश देने के लिए थी, सवाल यही सबसे बड़ा है।
सूत्रों की मानें तो पीएम इस बात से भी किंचित नाखुश बताए जाते हैं कि जेपी नड्डा को पार्टी का पूर्णकालिक अध्यक्ष बने एक अरसा हो गया, पर पार्टी अभी भी शाह के ही रहमोकरम पर है। पीएम चाहते हैं कि नड्डा जल्द ही पार्टी की कमान अपने तरीके से संभाले। सो, मुमकिन है कि अगले कुछ दिनों में पार्टी संगठन में कोई बड़ा फेरबदल देखने को मिले, चूंकि अब तक नड्डा शाह की पुरानी टीम से ही काम चला रहे हैं। सो, आने वाले दिनों में नंबर एक और नंबर दो के बीच के बदलते समीकरणों के दीदार हो सकते हैं?






Related News

  • मोदी को कितनी टक्कर देगा विपक्ष का इंडिया
  • राजद व जदयू के 49 कार्यकर्ताओं को मिला एक-एक करोड़ का ‘अनुकंपा पैकेज’
  • डॉन आनंदमोहन की रिहाई, बिहार में दलित राजनीति और घड़ियाली आंसुओं की बाढ़
  • ‘नीतीश कुमार ही नहीं चाहते कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, वे बस इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं’
  • दाल-भात-चोखा खाकर सो रहे हैं तो बिहार कैसे सुधरेगा ?
  • जदयू की जंबो टीम, पिछड़ा और अति पिछड़ा पर दांव
  • भाजपा के लिए ‘वोट बाजार’ नहीं हैं जगदेव प्रसाद
  • नड्डा-धूमल-ठाकुर ने हिमाचल में बीजेपी की लुटिया कैसे डुबोई
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com