सोशल मीडिया : ‘वाम’ के ट्रैप में है दक्षिण
आशुतोष सिंह
दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल क्लब सोशल मीडिया के धुरंधरों का गवाह बना हुआ था। मैं आखिरी सत्र में पहुँचा। सोशल मीडिया के सोशल होने और अनसोशल बनने की कहानियां सुनाई गई। इससे बचने के उपाय बताए गए।
अपने निजी संबंधों को ज्यादा तवज्जों देने की बात कही गयी। इन तमाम बातों के बीच जहाँ तक मेरी समझ बनी है इस माध्यम के बारे में वह यह की इस माध्यम का सदुपयोग और दुरुपयोग हमारे हाथ में है।
ब्लॉग लेखन से शुरू होकर ऑरकुट, फेसबुक, ट्वीटर, यूट्यूब एवं इंस्टाग्राम के इस युग में विगत 13 वर्षों से हूँ। इस दौरान हमने किसी की बात काटने की बजाय अपनी बात को मजबूती से रखने की कोशिश की। सफल भी रहा।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में देशब्यापी आंदोलन इसी सोशल मीडिया की बदौलत सफल रहा है। हजारों लोग स्वस्थ भारत अभियान से जुड़े और सेहत से संबंधित तमाम मुद्दों को हमने यहीं से एड्रेस किया। उसका असर भी हुआ।
भारत की दो बार यात्रा (अब तक 50 हजार किमी से ज्यादा) करने में इस सोसल मीडिया ने सहयोग दिया। जिन मित्रो से इस माध्यम ने मिलाया उन्होंने यात्रा में भरपूर सहयोग किया। आभासी दुनिया से शुरू होकर हम धरातल पर भी काम करने में सफल रहे।
यह सब इसलिए सफल हुआ क्योंकि हम अपने मुद्दे को लेकर गंभीर रहे। दूसरों की बात में उलझने की बजाय अपनी बात को तार्किकता एवं फैक्ट के साथ रखने की कोशिश की।
वैचारिक द्वंद की बात करें तो भारत के संदर्भ में वाम और दक्षिण दो विचार सक्रिय है। सोशल मीडिया का ट्रेंड देखें तो पता चलता है कि वाम अपने स्तर से एक नैरेटिव लॉन्च करता है और उसे आगे बढ़ाने का काम दक्षिण विचार वाले करते हैं। वाम तो चाहता ही यही है कि वो एक बिना सिर पैर की बात उछाले और दक्षिण के लोग उस बात में उलझकर कोई नया काम न करने पाए। और अभी तक वाम अपने एजेंडे में सफल होता हुआ नज़र आ रहा है।
दक्षिण विचार वालो के साथ ऐसा कम हुआ है कि वे अपना नैरेटिव सेट करें और उसके पीछे वाम वाले पागल हो जाएं। वाम आपकी बातों को इग्नोर करता है और अपनी पूरी शक्ति एक और नैरेटिव सेट करने में लगाता है।
नैमिषेय संवाद में इस तरह के नैरेटिव को काउंटर करने को लेकर भी चर्चा हुई। मुझे लगता है कि गर आप सोशल मीडिया का सदुपयोग करना चाहते हैं तो आप अपने विचार को पुख्ता तर्क और तथ्य के साथ प्रस्तुत करें। दूसरे के नैरेटिव में उलझकर अपनी ऊर्जा को बर्बाद न करें। दूसरे को नीचा दिखाने से बेहतर है कि अपनी लाइन बड़ी करें।
आपको लगता है की आपकी संस्कृति, धर्म, आस्था एवं विश्वास को झूठलाने का प्रयास कर रहा है तो आप अपनी संस्कृति, धर्म,आस्था एवं विश्वास को और मजबूत बनाने की कोशिश कीजिये। क्या आपका धर्म आपका विश्वास इतना कमजोर है कि वह किसी के गलत नैरेटिव से कमजोर हो जाएगा या टूट जाएगा।
दक्षिण विचार को वाम ने ट्रैप कर रखा है। दक्षिण को चाहिए कि वो वाम को इग्नोर करे। उसके होने को अस्वीकार करें। तब जाकर सोसल मीडिया पर दक्षिण विचार ज्यादा प्रबल, मारक और विस्तारित हो पाएगा। दक्षिण के सत्य से वाम को जूझने दीजिये। खुद ब खुद वाम का दीपक बुझ जाएगा। झूठ का नैरेटिव टूट जाएगा। बस आप अपने सत्य के साथ डटे रहिए। जमे रहिए। ध्यान रखिए जीत सत्य की होती है। किसी भी असत्य नैरेटिव का न तो शुरुआत कीजिये और न ही स्वीकार कीजिए।
सोशल मीडिया को जुड़ाव का प्लेटफॉर्म बनाइए। बिखराव का नहीं। सत्य का झंडा बुलंद कीजिये असत्य का नहीं।
इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आप ऑन स्क्रीन और ऑफ स्क्रीन दोनों जगह समान रूप से अपनी सामाजिकता का निर्वहन कर पाएंगे।
Malini Awasthi दीदी के आमंत्रण पर जाने का मौका मिला। एक बेहतरीन आयोजन के लिए आयोजक मंडल को बधाई।
Related News
इसलिए कहा जाता है भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर
स्व. भिखारी ठाकुर की जयंती पर विशेष सबसे कठिन जाति अपमाना / ध्रुव गुप्त लोकभाषाRead More
कहां जाएगी पत्रकारिता..जब उसकी पढ़ाई का ऐसा हाल होगा..
उमेश चतुर्वेदी हाल के दिनों में मेरा साबका पत्रकारिता के कुछ विद्यार्थियों से हुआ…सभी विद्यार्थीRead More
Comments are Closed