मांझी को लेकर खींचतान, लालू से लेकर बीजेपी तक लाना चाहती हैं साथ
राजेश कुमार ओझा
पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को लेकर राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और उसकी विरोधी पार्टियों के बीच खींचतान शुरू हो गई है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भाजपा विरोधी मोर्चे में मांझी को भी लेने की बात कही। वहीं, केंद्रीय दूरसंचार मंत्री और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने मांझी को साथ लाने का संकेत दिया है। कांग्रेस भी मांझी को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है। बिहार में नई पार्टी बनाने वाले आरजेडी के पूर्व नेता पप्पू यादव ने भी मांझी के साथ गठबंधन की बात की है। एक टीवी चैनल पर एनडीए सरकार के कामकाज को लेकर बातचीत के दौरान जब केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से पूछा गया कि क्या बीजेपी मांझी के साथ गठबंधन करेगी, तो इसके जवाब में प्रसाद ने कहा कि बिहार में विधानसभा चुनाव के बाद देखना होगा कि क्या होता है। उन्होंने कहा, ह्यमैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि मांझी के साथ बुरा बर्ताव किया गया था।
लालू के बयान से जेडीयू में खलबली
गुरुवार की सुबह पटना से दिल्ली रवाना होने से पहले लालू ने मांझी को भी साथ लेने की वकालत की। हालांकि, मांझी को साथ लेने के सवाल पर जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा, ह्यमांझी अपनी मर्जी से जदयू छोड़कर गए थे और अब उनकी वापसी पर सबकी राय अनिवार्य है। नीतीश कुमार ने उन्हें राज्य का सबसे बड़ा पद दिया। उनके सम्मान में कोई कमी नहीं थी, लेकिन मांझी ने हमें छोड़ने का फैसला कर लिया।ह्य यह पूछे जाने पर कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद भाजपा के खिलाफ लड़ाई में मांझी को भी साथ लाना चाहते हैं, जदयू अध्यक्ष ने कहा, ह्यवे खुद हमें छोड़ कर गए। हम राजद अध्यक्ष के बयान पर तो कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन वे अगर मांझी को साथ लाना चाहते हैं तो यह एक गंभीर सवाल है। इस पर हमारी राय भी मायने रखेगी। इस मामले पर बिना जदयू की राय के कोई फैसला नहीं लिया जा सकता।
मांझी को लेकर लालू के बयान की वजह?
मांझी को लेकर लालू की बयानबाजी के पीछे जानकार यही कारण देख रहे हैं कि अगर जेडीयू से गठबंधन नहीं हो पाया तो लालू मांझी वगैरह को जोड़कर मजबूत मोर्चा खड़ा करने के विकल्प को भी जिंदा रखना चाहते हैं।
जनता परिवार को लेकर 22 मई को आखिरी फैसला
सूत्रों की मानें तो जनता परिवार के विलय को लेकर आखिरी फैसला 22 मई को होना है। शुक्रवार को दिल्ली में मुलायम सिंह यादव के घर पर नीतीश-लालू समेत पुराने जनता परिवार के दूसरी पार्टियों के नेताओं की बैठक होगी और इसी बैठक में यह फैसला होगा कि आखिरकार विलय होगा या नहीं। सूत्रों के मुताबिक, विलय को लेकर अब समाजवादी पार्टी के अंदर ही बड़ा विरोध पैदा हो गया है। यूपी के सीएम अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव समेत कई नेता विलय के विरोध में नजर आ रहे हैं। बिहार में भी सीटों के बंटवारे को लेकर आरजेडी और जेडीयू के बीच खींचतान चल रही है और विलय में यह बड़ी बाधा बनकर उभरी है।from dainikbhaskar.com
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