बुधनमा, क्रिकेट ग्राउंड पर बल्ला नहीं, बंदूक चलाओ
– नवल किशोर कुमार
खेल खेल होता है और खेल में खेला जाता है न कि कुछ और। है कि नहीं? लेकिन इ बात बुधनमा को कहां बुझाता है। कबड्डी में हारता है तो माय-बहिन करे लगता है और शतरंज में एक बार हारने के बाद तो बुधनमा को तब तक चैन नहीं मिलता है जबतक कि वह दूसरे को हरा न दे। मत पूछिए कि बुधनमा खेल को लेकर कितना पैसनेट रहता है। एक बार बुधनमा लुडो खेल रहा था। मेहरारू के जोरे। खेल तो खेला ही होता है। हार-जीत भी सामान्य बात है लेकिन इ बुधनमा हारने के बाद लुडो तो फाड़वे किहिस, मेहरारू के गाल पर भी चार थप्पड़ लगा दिहिस बुरबक।
बताइए इ ठीक बात है। खेल है तो आदमी की तरह खेलिए। जीतने का दम रखते हैं तो हारने के लिए भी तैयार रहिए। लेकिन क्या किजिएगा। इ दोष केवल बुधनमा का ही नहीं है। पूरे देश का ही यही हाल है। देश भी जिम्मेवार कहां है इन सबके लिए। देश थोड़े न कहता है कि उसके नाम पर अपने ही साथी खिलाड़ी की मां-बहन कर दो। इ दोष तो राजा का है। प्रजा का क्या कसूर। जैसा राजा वैसी प्रजा। राजा यदि पाजी हो तो जनता के पाजी होने पर कोई आश्चर्य थोड़े न होता है।
अब देखिए एम एस धोनी को। ओही आज का बुधनमा है। वर्ल्ड कप खेल रहा है। सीनियर मोस्ट खेलाड़ी है। देश भर के किरकेट प्रेमी उसको भगवान की तरह तो नहीं लेकिन पूजते जरूर हैं। वर्ल्ड कप में बुधनमा विकेट कीपिंग करते समय जो दस्ताना पहनता है, उस पर उसने भारतीय सेना का मिशन शब्द लिखवा लिया बलिदान। यह देख आईसीसी का माथा घूम गया। उसने आव देखा न ताव, बीसीसीआई को नोटिस भेज दिया और कहा कि धोनी के दस्ताने से बलिदान मिटाओ।
बुधनमा तो हड़बड़ा ही गया। इसमें का गलत है भाई। बलिदान न लिखल है। थोड़े न यह लिखा है कि उसके देश का पीएम चोर है। लिखवा सकता था। जब बलिदान लिखवा सकता है तो कुछ भी लिखवा सकता है। मैं भी चौकीदान लिखवा लेता तो बुधनमा एकदम रातोंरात इहलोक का सबसे बड़का सुपरस्टार बन जाता। नरेंद्र मोदी किरकेट के पिच पर जाकर दर्शकों के सामने उसको गले से लगाते। गले पड़ने में मोदी जी का कोई सानी नही है।
खैर बुधनमा परेशान है। सोच रहा है कि हमसे का भूल हुई……जेके सजा हमका मिली…
मैं सोच रहा हूं कि बुधनमा का मार्गदर्शन कर ही देता हूं। ऐसे भी यह पुण्य का काम है। सोशल मीडिया पर खाली एगो हमही थोड़े, बात-बात पर लोग ज्ञान माथा पर बजार देते हैं। खैर बुधनमा किरकेट खेलो। हेलीकॉप्टर शॉट चलाओ। एकाध छक्का ऐसा मारो कि संसद भवन की खिड़की में लगा शीशा टूट जाय। पीएमओ के दफ्तर में दीवार पर लगी गांधी की प्रतिमा फूट जाय।
बुधनमा देश के लोग कह रहे हैं कि तुमको अपना दस्ताना नहीं बदलना चाहिए7 मैं भी कहता हूं कि तुम्हें बिल्कुल नहीं बदलना चाहिए। माथा पर लिखवा लो कि हम पैदायशी भारतीय हैं, पीठ पर लिखवा लो मोदी है तो मुमकिन है। वहीं जूता पर वंदे मातरम लिखवा लो और भी कहीं जहां तुम्हारी इच्छा हो। हम तुम्हारी इच्छा का सम्मान करते हैं।
लेकिन बुधनमा एगो सलाह और दे रहे हैं। सुनना जरूर। इस बार रविवार को जब तुम खेलने मैदान में उतरो तो दुई-चार-दस गो आर्म्ड फोर्स होने चाहिए। खूब सुरक्षा मिलेगा। दुश्मन खेलाड़ी पर भी विषम प्रभाव पड़ेगा। कदापि यह भी संभव है तुम्हारे तोप और बंदूकें देखकर दुनिया वाले तुम्हें बिना खेले ही ट्रॉफी दे दें। सैंया भए कोतवाल तब डर कैसन?
है ना रे बुधनमा। किरकेट पिच पर बल्ला नहीं एके-47 लाओ। कुछ लोग मरेंगे। मरते ही रहते हैं। तुम्हें उनके मरने का शोक क्यों हो बुधनमा?
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