इसलिए होती है मंत्री पद के लिए ‘मारामारी’ -1
हम मंत्रियों की बात कर रहे थे। मुख्यमंत्री और मंत्री को देय सुविधाओं में कोई ज्यादा अंतर नहीं होता है। कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति को भी कैबिनेट मंत्री के समान सुविधाएं मिलती हैं। मुख्यमंत्री को दो आप्त सचिव (पीएस), दो निजी सहायक, एक कनीय लिपिक और 4 आदेशपाल मिलते हैं। मुख्यमंत्री के दोनों पीएस बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होते हैं। पीएस को छोड़कर सभी स्टाफ गैरसरकारी होते हैं। लगभग यही सुविधाएं मंत्रियों को भी देय हैं, लेकिन थोड़ा अंतर भी है। मंत्री को दो पीएस (निजी सचिव) मिलते हैं। इसमें एक बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होते हैं, जबकि दूसरा मंत्री किसी भी व्यक्ति को उस पर नियुक्त कर सकता है। मंत्री को 2 निजी सहायक, एक कनीय लिपिक और 3 आदेशपाल मिलते हैं। ये सभी गैरसरकारी होते हैं। यानी इनकी नियुक्ति मंत्री अपनी पसंद से करते हैं। इन पदों पर नियुक्त गैरसरकारी स्टाफ का वेतन वही होता है, जो उस पद पर नियुक्त सरकारी कर्मचारी का होता है। अंतर इतना है कि सरकारी कर्मचारी का वेतन व भत्ता समय-समय पर बढ़ता है, लेकिन इसका लाभ निजी स्टाफ को नहीं मिलता है। नियुक्ति के वेतनमान पर ही उनकी ‘विदाई’ भी होती है।
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