तुलसी में हैं ढेरों औषधीय गुणों की खान
संजय अभय
सुख और कल्याण की प्रतीक तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। धार्मिक महत्व के अलावा तुलसी को एक औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में तुलसी और उसके विभिन्न औषधीय गुणों का विशेष स्थान है जो स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होता है। आयुर्वेद के डॉ अरविंद कुमार दुबे बताते है कि तुलसी का रस कटु-तिक्त होता है और विपाक कटु होता है जिसके कारण यह श्रेष्ठ कफनाशक होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है। तुलसी की जड़, उसकी शाखाएं, पत्ती और बीज सभी का अपना अलग महत्व है।
गले में दर्द, मुंह में छाले, आवाज खराब होने पर तुलसी
डॉ अरविंद कुमार दुबे की माने तो आमतौर पर घरों में दो तरह की तुलसी देखने को मिलती है। एक जिसकी पत्तियों का रंग थोड़ा गहरा होता है और दूसरा जिसकी पत्तियों का रंग हल्का होता है। तुलसी जिसकी पत्तियां हरी होती हैं ओर कृष्णा तुलसी जिसकी पत्तियां निलाभ-कुछ बैंगनी रंग लिए होती हैं। इसके प्रयोग से क्या हैं लाभ : अगर मुंह से बदबू आती है, तो 4 या 5 तुलसी के पत्तों को मुंह में रखकर चबाने से बदबू नहीं आएगी। खासी या जुकाम होने पर इसका प्रयोग शहद के साथ करना फायदेमंद होता है। गले में दर्द, मुंह में छाले, आवाज खराब होने पर तुलसी के रस की एक बूंद के बराबर मात्रा का सेवन बेहद लाभ होता है। दात का दर्द, दात में कीड़ा लगना, मसूड़ों से खून आने जैसी समस्याओं में इसके रस की 4 से 5 बूंद पानी में डालकर कुल्ला करने से आराम मिलता है।
दमा और टीबी रोग में बहुत लाभकारी
तुलसी, दमा और टीबी रोग में बहुत लाभकारी है। इसमें पाया जाने वाला उड़नशील तैल से दमा और टीबी में लाभ मिलता है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से दमा, कफ और सर्दी में राहत मिलती है। तुलसी का काढ़ा ज्वरनाशक होता है। तुलसी, अदरक और मुलैठी को घोंटकर शहद के साथ लेने से बुखार में आराम होता है। तुलसी के रस में पाया जाने वाला थाइमोल त्वचा के रोगों में लाभकारी होता है। इसकी पत्तियों के रस में नींबू का रस मिलाकर लगाने से झाइया नहीं रहतीं, फुंसिया भी ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है। तुलसी के पत्तों का क्वाथ बनाकर उसका ठंडा लेप लगाने से व्रणों शीघ्र भरते हैं और संक्त्रमण ग्रस्त जख्मों को धोने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। सिर दर्द में सुबह-शाम एक चौथाई चम्मच भर तुलसी के पत्तों का रस, एक चम्मच शुद्ध शहद के साथ लेने से 15 दिनों में रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है।
Related News
IRCTC आपको सीट चुनने की आज़ादी क्यों नहीं देता ?
क्या आप जानते हैं कि IRCTC आपको सीट चुनने की अनुमति क्यों नहीं देता है?Read More
Comments are Closed