जेल में बंद कुख्यात सुरों से बांध रहे समां

bhagalpur central jailसत्यप्रकाश
भागलपुर. कभी दहशत के पर्याय रहे जेल में बंद कुख्यात अब सुरों से समां बांध रहे हैं। हथियार व बम बनाने में माहिर हाथों में तबला, गिटार व हारमोनियम देख हर कोई दंग रह जा रहा है। इन कुख्यातों के गले से संगीत की सुरीली तान निकल रही है। ऐसा शहीद जुब्बा सहनी विशेष केन्द्रीय कारा (सेंट्रल जेल) में हो रहा है। इस जेल के कैदियों के बीच चलाए गए संगीत कौशल विकास कार्यक्रम के बाद बंदियों का हुनर निखरकर सामने आने लगा है। सुर व ताल की युगलबंदी से बंदियों का दिन मनोरंजन के बीच कट रहा है। बंदियों के हुनर को देखकर जेल अधिकारी भी खुश हैं। कैदियों का फेवरेट गीत ह्यहम से का भूल हुई, जो ए सजा हमका मिली है।
संगीत में रुचि रखने वाले अन्य कैदी जेल के अंदर ही ट्रेनिंग ले रहे हैं। साथी कैदी ही वाद्य यंत्र बजाने, माइक पकड़ने, स्टेज शो, गाना आदि की ट्रेनिंग दे रहे हैं। संगीत कौशल विकास कार्यक्रम से बंदियों के बीच व्यापक असर पड़ा है। बंदी अब ताश खेलने या अपराध की रणनीति बनाने की बजाए संगीत में दिलचस्पी ले रहे हैं। वार्डों में अंत्याक्षरी खेलने की होड़ सी लग गई है। कैदियों के बदले स्वरूप से जेल परिसर का माहौल संगीतमय हो गया है।
15 बंदियों की है टीम
संगीत कौशल विकास टीम में 15 बंदियों को शामिल किया गया है। इनमें वाद्य यंत्र बजाने व गाने वाले बंदी हैं। गिटार, हरमोनियम, ड्रमबीट, सिंगर, तबला बजाने वालों में कुणाल, दीपक, सूरज राय, मो. समीर, मो. रजा, सैप साहब, रवींद्र तांती, कुंदन तांती, मो. रहीम, गब्बर दास, साजन सिंह, आनंद कुमार साह, चिंटू सिंह, प्रेम शंकर मंडल और पिंटू उपाध्याय शामिल हैं। कुंदन तांती, गिटार व हारमोनियम, पिंटू उपाध्याय और प्रेम शंकर मंडल ड्रमबीट व सिंगर ट्रेनर भी हैं।
कैदियों के बीच होगी प्रतियोगिता
बंदियों के अनुरोध पर जेल प्रशासन ने उन्हें वाद्ययंत्र उपलब्ध कराए हैं। गाना बजाने व गाने से बंदियों के बीच फर्क भी दिखने लगा है। फिलहाल सप्ताह में एक दिन सुविधा दी गई है। सफलता को देखते हुए दिनों की संख्या और बढ़ÞÞाई जाएगी व कैदियों के बीच प्रतियोगिता भी करवाई जाएगी। विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा।- नीरज झा, अधीक्षक, शहीद जुब्बा सहनी कारा






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