नीतीश कुमार का दांव ही निर्णायक है
नीतीश कुमार का दांव ही निर्णायक है
Dhananjay Kumar
भाजपा बिहार में अपना कद बढ़ाने को उद्दत है, इसीलिये वह डबल गेम खेल रही है, एक तरफ अपने केन्द्रीय मंत्रियों को आवारा छोड़ साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा ध्रुवीकरण का रास्ता तलाश रही है, ताकि नीतीश कुमार से किनारा किया जा सके, जैसे पिछले चुनाव में महाराष्ट्र में शिवसेना से किनारा करने की कोशिश की थी, तो दूसरी तरफ नीतीश कुमार के साथ सुशील मोदी को लगा नीतीश को साथी बनाए रखने की कवायद भी कर रही है, ताकि कुसमय में नीतीश का साथ लाज रख ले. इसीलिए, नीतीश के साथ आने के बाद मांझी, कुशवाहा और पासवान बीजेपी के लिए निरर्थक हो गए हैं और वह उनके राजद के करीबी जाने के अंदेशे और संदेशे को भी नजरअंदाज कर रही है.
राजद भी जानती है कि बीजेपी से बड़ा रोड़ा नीतीश कुमार हैं, अगर साम्प्रदायिक तनाव बढ़ता है तो चुनाव में सीधा मुकाबला राजद बनाम बीजेपी होगा, तीसरा धड़ा यानी नीतीश कुमार गायब. इसलिए राजद का हमला भी बीजेपी से ज्यादा नीतीश कुमार पर है. सीधा मुकाबला हुआ तो बीजेपी और राजद दोनों को ज्यादा फ़ायदा दिख रहा है. नीतीश राजद के साथ नहीं हैं, तो जाहिर है राजद आरपार की लड़ाई में अपना फ़ायदा देख रहा है, मांझी, कुशवाहा या पासवान नीतीश के कद के नहीं हैं, इसलिए उनके साथ सीट शेयर करने में भी उसे कोई ख़ास दिक्कत नहीं है.
ये बात भाजपा भी समझती है कि इसीलिये वह अभी दो नाव की सवारी कर रही है, अपने मंत्रियों और कार्यकर्ताओं को आग लगाने पर भी लगा रखा है और नीतीश कुमार पर भी सीधे सीधे कोई दबाव नहीं बना रही है.
इस राजनीति को नीतीश कुमार भी समझ रहे हैं, इसलिए वह भी शान्ति और सावधानी से अपना दांव चल रहे हैं, न ममता की तरह राजनीतिक तौर पर उभारे जा रहे लंठहिन्दूवाद को कठोर होकर दबा रहे हैं और न ही मुस्लिम अल्पसंख्यकवाद को लेकर अति सतर्क हो रहे हैं. वह रामनवमी का जुलूस भी निकालने दे रहे हैं और प्रशासन को चुस्त दुरुस्त कर दंगा भी भड़कने नहीं दे रहे हैं. नीतीश कुमार के लिए यह परिस्थिति तलवार की धार पर चलने जैसी है, लेकिन वह जानते हैं यही मध्यमार्ग उनके वजूद को बनाकर रखेगा.
हमारे समाज के ज्यादातर लोग, हिन्दू हों या मुसलमान आज भी शांति चाहते हैं. नीतीश कुमार इस जनभावना को समझ रहे हैं. और इसी में उन्हें बड़ा भविष्य भी दिख रहा है. अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी जब संकट में आ जायेगी, तो जैसे कांग्रेस, गठबंधन सरकार की स्थिति में किसी अन्य नेता को प्रधानमंत्री के लिए बाहर से समर्थन कर सकती है, वैसे ही बीजेपी के लिए आदर्श किरदार नीतीश हो सकते हैं.
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