Sunday, August 27th, 2023
कहां जाएगी पत्रकारिता..जब उसकी पढ़ाई का ऐसा हाल होगा..
उमेश चतुर्वेदी हाल के दिनों में मेरा साबका पत्रकारिता के कुछ विद्यार्थियों से हुआ…सभी विद्यार्थी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कुछ संस्थानों में पढ़ रहे हैं..कोई पहले साल का छात्र है तो कोई तीसरे साल का.. इन सभी छात्रों में एक समानता नजर आई…वे आज के टेलीविजन के एंकरों को खूब जानते हैं..लेकिन समाचार या विचार को नहीं..सोशल मीडिया में इन एंकरों की जो छवि है..जिस वैचारिक धारा के वे एंकर हैं..उनकी भी सोच कमोबेश वैसी ही है.. दो किश्तों में इन छात्रों से मुलाकात हुई..इनमें से दो याRead More
क्या बिना शारीरिक दण्ड के शिक्षा संभव नहीं भारत में!
क्या बिना मारे नहीं पढ़ा सकता शंभुआ! बोधिसत्व मेरे एक अध्यापक थे शंभु नाथ दुबे। वे हमारे गांव के प्रायमरी में पढ़ाते थे। उनका गांव भी एक गांव छोड़ कर पड़ता था। वे हरीपट्टी के हम भिखारी राम पुर के बीच में एक गांव था बनकट। वह भूगोल नहीं बदला है। अब वे शंभु नाथ दुबे गुरुजी शरीर में नहीं हैं। लेकिन मन में हैं! उनकी अकसर याद आती है। वैसे तो अनेक अध्यापक याद आते है लेकिन उनकी याद एक दो विशेष कारणों से आती है! शंभु नाथ दुबेRead More