क्राइम कन्ट्रोल का बिहार मॉडल !
क्राइम कन्ट्रोल का बिहार मॉडल !
पुष्यमित्र
आनंद मोहन, पप्पू यादव, शाहबुद्दीन, मुन्ना शुक्ला, अनंत सिंह, वगैरह वगैरह। ये कुछ नाम हैं, जो महज डेढ़ दो दशक पहले तक बिहार में आतंक के पर्याय थे। आज इनमें से कुछ जेल की सजा काट रहे, कुछ जेल में दिवंगत हो गए, कुछ सुधर गए और बाहर सज्जन की तरह जी रहे हैं।
जब इनकी तूती बोलती थी तो किसी ने सोचा नहीं था कि इन्हें कोई नियंत्रित कर पाएगा। मगर अब इनमें से किसी का खौफ लोगों पर नहीं है। सच तो यह है कि आज की तारीख में बिहार में कोई इनके जैसा बड़ा माफिया या गैंगस्टर नहीं है। इन्हें नीतीश सरकार ने नियंत्रित किया। इसके लिए मौजूदा सरकार ने किसी गैरकानूनी तरीके का इस्तेमाल नहीं किया।
भाजपा के नेता और बिहार के दूसरे लोग आज यूपी में हुए एनकाउंटर पर फिदा हैं और कह रहे हैं कि बिहार में भी ऐसा होना चाहिए। मगर उन्हें यह अहसास नहीं है कि बिहार का अपराधियों को काबू करने का मॉडल यूपी ही नहीं देश के किसी भी राज्य से बेहतर है।
यहां जो हुआ सब कानूनी तरीके से हुआ और कभी न्यायपालिका का रोना नहीं रोया गया। जो लोग आज न्याय में देरी का रोना रोते हैं उन्हें ठहर कर क्राइम कंट्रोल के बिहार मॉडल को देखना चाहिए।
फैसला ऑन द स्पॉट बहुत आकर्षक लगता है, मगर यह एक गलत परम्परा है। जब सत्ता और पुलिस के हाथों न्याय करने का अधिकार आ जाए तो वह किसी को कहीं ठोक सकते हैं। यह कोई एकतरफा मामला नहीं है। जहां बीजेपी सरकार नहीं है वहां कोई आरोप लगाकर बीजेपी नेता को भी ठोका जा सकता है। यह परंपरा किसी के हित में नहीं है।
भले कानून के न्याय में देर होती है, मगर पुलिस सड़कों पर न्याय करने लगे यह अच्छी परंपरा नहीं है। अपराध का फैसला अदालत में ही हो यही बेहतर है। कम से कम बिहार का अनुभव तो यही कहता है।
Related News
क्राइम कन्ट्रोल का बिहार मॉडल !
क्राइम कन्ट्रोल का बिहार मॉडल ! पुष्यमित्र आनंद मोहन, पप्पू यादव, शाहबुद्दीन, मुन्ना शुक्ला, अनंतRead More
बेटी का अपहरण करने आए वांटेड क्रिमिनल से अकेले भिड़ गई मां
महिला ने बदमाश से छीने हथियार, हथियार के साथ पकड़ाए दो अपराधी झाझा (जमुई)। बिहारRead More
Comments are Closed