Thursday, March 2nd, 2023
ऊधो मोहि ब्रज बिसरत नाही
ऊधो मोहि ब्रज बिसरत नाही पंडित अनूप चौबे कंस वध के बाद मथुरा में पहली बार रंगोत्सव का त्योहार मनाया जा रहा है। चारो ओर गीत, ढप, झांझर, और उल्लास का शोर है। निर्द्वन्द्व और अभय के वातावरण में पौधे प्राणी मानव आज खुलकर उत्सव मना रहे पर कृष्ण यमुना के इस पार खड़े होकर उस पार निरंतर निहारे ही जा रहे हैं। ‘उस पार क्या देख रहे हो मित्र? होली नही खेलोगे?’ उद्धव ने कन्हैया कर कंधे पर हाथ रखा। ‘किंचित अब नही मित्र। मेरी होली तो मेरी बांसुरीRead More