सजा के बाद विधायकी गंवाने वाले बाहुबली अनंत सिंह की राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा INSIDE STORY

बिहार विधानसभा से बर्खास्‍त हुए बाहुबली अनंत सिंह, सवाल यह कि अब कौन संभालेगा राजनीतिक विरासत …INSIDE STORY

पटना. बिहार के मोकामा से राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) के बाहुबली विधायक रहे अनंत सिंह (Anant Singh) अब भूतपूर्व विधायक हो गए हैं। घर से एके-47 और हैंड ग्रेनेड मिलने के मामले में एमपी- एमएलए कोर्ट ने उन्‍हें बीते 21 जून को 10 साल कैद की सजा दी। इस सजा के कारण बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) ने उन्‍हें बर्खास्‍त किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी। अब बड़ा सवाल यह है कि उनकी राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा? आखिर कौन होगा मोकामा विधानसभा क्षेत्र (Mokama Assembly Seat) से उनकी पार्टी का अगला प्रत्‍याशी?

प्रावधानों की बात करें तो दो साल या अधिक की सजा मिलने पर विधानमंडल या संसद की सदस्‍यता समाप्त हो जाती है। चूंकि कोर्ट ने अनंत सिंह को 21 जून को सजा दी थी, इसलिए उनकी विधानसभा की सदस्‍यता सजा की तारीख से समाप्‍त की गई है। ऐसे मामलों में विधानसभा स्वत: संज्ञान लेकर सदस्यता रद नहीं करता है। कोर्ट से सजा के आदेश की मिलने पर विधानसभा अध्यक्ष के विमर्श पर विधानसभा के सचिव संबंधित विधायक की सदस्यता समाप्त कर उसकी सूचना चुनाव आयोग को देते हैं। फिर, चुनाव आयोग उस सीट को रिक्त घोषित कर वहां उपचुनाव की तारीख घोषित करता है। अनंत सिंह की रिक्‍त सीट पर कार्यकाल 41 महीने बचे हैं, इसलिए वहां उपचुनाव हाेगा। ऐसे में वहां उनके उत्‍तराधिकारी का सवाल खड़ा हो गया है।

अनंत सिंह की विधायकी जाने के बाद आरजेडी की एक सीट कम हो गई है। पार्टी को विधान सभा चुनाव में 75 सीटें मिली थीं। करीब एक पखवारे असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) को झटका देते हुए आरजेडी ने उनकी पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) के चार विधायकों को अपने में शामिल करा लिया था। आरजेडी ने बोचहां में हुए उपचुनाव (Bochaha Assembly By-Election) में भी जीत हासिल की थी। इसके बाद आरजेडी विधायकों की 80 हो गई थी, जो अनंत सिंह की सदस्‍यता जाने पर अब 79 हो गई है। तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) को मुख्‍यमंत्री व अपनी सरकार बनाने के आरजेडी के मिशन में एक-एक विधायक मायने रखते हैं। ऐसे में आरजेडी के लिए मोकामा का उपचुनाव जीतना अहम मुद्दा होगा।

मोकामा में अनंत सिंह बड़ा फैक्‍टर हैं। आरजेडी उन्‍हें नजरअंदाज नहीं कर सकती है। ऐसे में आश्‍चर्य नहीं कि पार्टी के प्रवक्‍ता चितरंजन गगन ने कहा है कि उपचुनाव का टिकट उसी को दिया जाएगा, जिसे अनंत सिंह चाहेंगे। यहीं पर अनंत सिंह के राजनीतिक उत्‍तराधिकारी की बात आती है। माना जा रहा है कि अनंत सिंह मोकामा सीट पर उपचुनाव में पत्नी नीलम देवी (Neelam Devi) को उम्मीदवार बनाना चाहेंगे। नीलम देवी साल 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Shabha Election 2019) में मुंगेर लोक सभा सीट (Munger Lok Shabha Seat) पर जनता दल युनाइटेड (JDU) के वर्तमान अध्‍यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं।

राजनीतिक उत्‍तराधिकार सौंपने के भरे पड़े उदाहरण
बिहार की राजनीति में आपराधिक मामलों में सजा होने पर पत्‍नी या बेटे-बेटियों को राजनीतिक उत्‍तराधिकार सौंपने के उदाहरण भी भरे पड़े हैं।

  • आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने चारा घोटाला के मामले में जेल जाने पर पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Devi) को मुख्यमंत्री बना दिया था। बाद में उनके बेटे तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) व तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) तथा बेटी मीसा भारती (Misa Bharti) ने भी राजनीतिक उत्‍तराधिकार संभाला।
  • दुष्‍कर्म के मामले में सजा होने के बाद आरजेडी विधायक राजबल्लभ यादव (Raj Ballabh Yadav) की पत्नी विभा देवी विधायक बनीं।
  • फुलपरास के विधायक देवनाथ यादव (Deonath Yadav) जब अयोग्य करार दिए गए, तब पत्नी गुलजार देवी विधायक बनीं।
  • आनंद मोहन (Anand Mohan) की विरासत संभालकर पत्नी लवली आनंद (Lovely Anand) विधायक और सांसद बनीं तो बेटे चेतन आनंद (Chetan Anand) अभी शिवहर से आरजेडी विधायक हैं।
  • परिहार से विधायक रामनरेश यादव (Ram Naresh Yadav) की पत्नी गायत्री देवी भी विधायक बनीं।
  • बलिया से सांसद सूरजभान सिंह (Suraj Bhan Singh) के सदन के लिए आयोग्य करार दिए जाने पर पत्नी वीणा देवी (Veena Devi) मुंगेर से तो भाई नवादा से सांसद बने।
  • प्रभुनाथ सिंह (Prabhunath Singh) के बेटे रणधीर सिंह भी छपरा से विधायक बने।
  • जहानाबाद से सांसद डा.जगदीश शर्मा (Dr. Jagadish Sharma) की सदस्यता जाने पर उनके बेटे राहुल शर्मा विधायक बने।

ऐसे में माना जा रहा है कि मोकामा से अनंत सिंह की उत्‍तराधिकारी पत्‍नी नीलम देवी ही होंगी।






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