Tuesday, March 8th, 2022
दख़ल ज़रूरी है आह्लादिनी का
डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ सृष्टि की उत्पत्ति से, सृजन की वेदिका से, अक्ष के केन्द्र से, धर्म के आचरण से, कर्म की प्रधानता से, कृष के आकर्षण से, सनातन के सत्य से , चेतन के अवचेतन से, जो ऊर्जा का ऊर्ध्वाधर प्रभाव पैदा होता है, वह निःसंदेह सृजन के दायित्वबोध के कारण संसार की आधी आबादी को समर्पित है। ब्रह्माण्ड की समग्र अवधारणा के केन्द्र में जो भाव स्थायी रूप से विद्यमान है, उन भावों के पोषण, पल्लवन और प्रवर्तन के लिए सृष्टि की प्रथम सृजक को पूजनीया के साथ-साथ पालक और पोषक की भूमिका का निर्वहन भी करना चाहिए। भगवत सत्ता द्वारा सृजन की परिकल्पनाRead More