नीतीश के विजन में ऑफसरशाही का पलीता
प्रवीन बागी
इसमें कोई दो राय नहीं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विजनरी व्यक्ति हैं। उनके कार्यकाल में बिहार में विकास के कई महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। लेकिन उनकी टीम का होमवर्क कमजोर है। इसके चलते पैसे तो खूब खर्च हो रहे हैं, पर उसका पूरा लाभ जनता को नहीं मिल रहा। स्थिति ताड़ से गिरे तो खजूर में अटके वाली हो जा रही है।
पटना में दीघा से आर ब्लॉक तक बने अटल पथ को ही ले लीजिए। दिनभर में इससे 100 से अधिक गाड़ियां नहीं गुजरतीं। उस क्षेत्र के स्थानीय लोग भी उसका पूरा लाभ नहीं ले पा रहे। कल्पना थी कि बोरिंग रोड का ट्रैफिक अटल पथ पर शिफ्ट होगा। यह भी नही हुआ। स्थानीय लोगों ने जगह-जगह रोड की घेराबंदी काट कर आने-जाने का रास्ता बना लिया है। कैसे इस रास्ते का अधिकतम उपयोग हो सकता है और स्थानीय लोग भी इसका लाभ ले सकें, इसपर संपूर्णता में विचार कर योजना बनाई गई होती तो आज स्थिति दूसरी होती। उस सड़क पर इंट्री के रास्ते बहुत सीमित रखे गए हैं। सबसे बड़ी कठिनाई यही है।
दूसरा उदाहरण बैरिया में 25 एकड़ में बने आईएसबीटी (बस स्टैंड) का है। सितंबर 2020 में इसका उद्घाटन खुद मुख्यमंत्री ने किया था, लेकिन दो-तीन महीने पहले वहां से परिचालन शुरू हुआ। दावा था कि 3000 से ज्यादा बसें वहां पार्क होंगी। अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। अत्याधुनिक सुविधाएं तो नदारद हैं, बसें भी रोड पर खड़ी की जा रही हैं। वहां मीलों लंबा जाम लगा रहता है। आना-जाना मुश्किल है। अब कहा जा रहा है कि 15 एकड़ और जमीन का अधिग्रहण कर बस स्टैंड का विस्तार किया जाएगा। यानी पहले ठीक से होमवर्क नहीं किया गया। फलतः सुविधा बढ़ाने के बजाय नए बस स्टैंड ने समस्या बढ़ दी।
शास्त्री नगर अस्पताल में बिहार के पहले ट्रॉमा सेंटर का उदघाटन हुए तीन-चार महीने हो गए, लेकिन अभी तक वहां इलाज शुरू नहीं हो सका।
इसी प्रकार आयकर गोलंबर से लेकर पटेल भवन तक ट्रैफिक सिग्नल हटा दिए गए, ताकि जाम की समस्या दूर हो। ट्रैफिक स्मूथ हो। लेकिन यह करते वक्त पैदल या साइकिल से चलनेवालों का ध्यान नहीं रखा गया। बीच मे रोड क्रॉस करनेवालों का चेहरा कभी देखिए। वे इतने डरे सहमे होते हैं मानो मौत से सामना कर रहे हों। पदयात्री कैसे रोड क्रॉस करेंगे, इसके बारे में योजनाकारों ने सोचा ही नहीं।
ऐसे अनेक उदाहरण पूरे बिहार में मिल जाएंगे। यह नहीं कहा जा सकता कि सरकार ने गलत किया। सरकार की नीयत ठीक है। उसने लोगों को सुविधा देने के लिए काम किया, लेकिन जिनके लिए काम किया जा रहा है उनको अधिकतम लाभ कैसे मिले, इसपर विचार में कमी रह गई। अधिकारियों और कंस्ट्रक्सन कंपनियों ने अपनी सुविधा से योजना बनाई और काम किया।
पता नहीं अधिकारी मुख्यमंत्री को क्या पट्टी पढ़ाते हैं कि इंजीनियर होने के बावजूद उनकी नजर इन कमियों पर नहीं पड़ती।
अच्छा होता कि जिसको फायदा पहुंचाने के लिए योजनाएं बन रही हैं, उनकी भी राय ली जाती तो ये कमियां नहीं रहतीं।
#बिहारमेंअफसरशाही #विकासकाखेलजनताफेल
#नीतीशकुमार
(पवीन बागी के फेसबुक टाइम लाइन से साभार )
Related News
इसलिए कहा जाता है भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर
स्व. भिखारी ठाकुर की जयंती पर विशेष सबसे कठिन जाति अपमाना / ध्रुव गुप्त लोकभाषाRead More
पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल के लिए ‘कार्तिकी छठ’
त्योहारों के देश भारत में कई ऐसे पर्व हैं, जिन्हें कठिन माना जाता है, यहांRead More
Comments are Closed