रिश्तों के खून से लिखी जा रही बर्बादी की कहानी
अजित कुमार पांडेय, मोहनियां (भभुआ)। रिश्तों के खून से बर्बादी की कहानी लिखी जा रही है। इससे रिश्ते तार तार हो रहे हैं। परिवार तबाह हो रहे हैं। रिश्तों के खून से शर्मसार होती मानवता जनमानस को झकझोर रही है। सगा ही अपनों के साथ दगा कर रहा है। अपने ही अपनों के खून के प्यासे हो गए हैं। जब घर में ही आदमी सुरक्षित नहीं है तो कहां सुरक्षित रहेगा। यह बड़ा सवाल है।
हत्या के बाद मृत व्यक्तियों की आत्माएं खून करने वालों से यही सवाल करती होंगी। जिसका उसके पास जवाब नहीं है। ऐसे गद्दारों को परिवार व समाज कभी माफ नहीं करेगा। कैमूर जिला में इस तरह की घटनाओं की सूची लंबी होती जा रही है। मंगलवार की रात भभुआ थाना क्षेत्र के सोनडिहरा गांव में लालबाबू साह ने 25 वर्षीय अपनी गर्भवती पत्नी मोती देवी, चार वर्षीय पुत्री खुशी कुमारी व ढाई वर्षीय पुत्र शिवम उर्फ लड्डू की फरसे से काटकर निर्मम हत्या कर दी।
इस घटना को सुनकर लोगों का दिल दहल जा रहा है। जिस समय उसने घटना को अंजाम दिया उस समय मासूम बच्चे नींद की आगोश में थे। उन्हें क्या पता कि उसका पिता ही उनके खून का प्यासा है। तिहरे हत्या कांड को अंजाम देने के बाद लाल बाबू बोरे में भरकर तीनों शवों को ठिकाने लगाने के प्रयास में था। तभी पड़ोसियों ने देख लिया। जिससे हत्यारा पकड़ा गया। इस घटना ने 21 फरवरी 2007 को मोहनियां थाना क्षेत्र के बघिनी गांव में हुए तिहरे हत्याकांड की याद ताजा कर दी।
ज्ञात हो कि थोड़ी सी जमीन के लिए भतीजे ने ही चाचा, चाची व चचेरे भाई की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना में दारोगा ङ्क्षसह उनकी पत्नी शिव कुमारी देवी व पुत्र अभिषेक बहादुर ङ्क्षसह की मौत हो गई थी। घटना के समय तीनों लोग आंगन में बैठे थे। तभी भतीजे ने उन्हें मौत की नींद सुला दी। 24 जुलाई 2007 को मोहनियां थाना क्षेत्र के बरेज गांव में रिश्तों का कत्ल हुआ था। इस घटना में भाई भतीजों ने हीं निसंतान रामजी सिंह एवं उनकी पत्नी लालझरी देवी की निर्मम हत्या कर दी थी।
संपत्ति को लेकर ही भभुआ में 15 अगस्त 2010 को अग्रवाल दंपति की हत्या हुई थी। इसमें अपनों का ही हाथ था। 18 नवंबर 2012 की शाम मोहनियां थाना क्षेत्र के केकढ़ा गांव में रिश्तो ने खून की होली खेली थी। जिसमें तीन लोगों की जान गई थी। केकढ़ा गांव निवासी रीना ने गांव के ही दीनानाथ बिन्द के साथ प्रेम विवाह किया था। इसके बाद वे गांव छोड़ दिए थे।
काफी दिनों बाद रीना अपने पति व दो बच्चों के साथ गांव आई। उसके तीसरे दिन ही पिता और भाई ने घर में घुसकर रीना के पति दीनानाथ ङ्क्षबद, तीन वर्षीय पुत्री चकती कुमारी तथा एक वर्षीय पुत्र विवेक का कत्ल कर दिया था। रीना किसी तरह जान बचाकर भागने में सफल रही थी।
भूमि विवाद में अपने अपनों के बन रहे दुश्मन
24 अप्रैल 2014 की घटना को शायद ही जिला वासी भूल पाए होंगे। इस तिथि की काली रात को बहन ने हीं अपने चचेरे भाई की ब्लेड से गला रेत कर हत्या कर दिया था। पांच वर्षीय मासूम सूरज घर में सोया हुआ था। तभी बहन ने उसे घर से पीछे ले जाकर इस घटना को अंजाम दिया था। सूरज के पिता अखलासपुर निवासी रवि शंकर ङ्क्षसह व हत्या करने वाली बहन अनीता उर्फ मोंटी के पिता विजय शंकर सिंह सगे भाई थे।
संपत्ति के लिए ही इस घटना को अंजाम दिया गया था। 27 जुलाई 2012 की रात मोहनियां थाना क्षेत्र के मुठानी निवासी लोकेश द्विवेदी की अपहरण के बाद जिस बेरहमी से हत्या हुई थी उसे सुनकर लोगों का दिल दहल जाता है। अपने चचेरे भाइयों ने तीन लाख सुपारी देकर अपराधियों से घटना को अंजाम दिलवाया था। दो माह बाद एक अक्टूबर को शिवपुर गांव के समीप दुर्गावती नदी से लोकेश त्रिवेदी का शव बरामद हुआ था।
लंबे समय से इस परिवार में भूमि विवाद चल रहा है। जिसमें अपने ही अपनों का खून कर रहे हैं। यह सिसिला जारी है। अबतक भूमि विवाद में तीन लोगों की जान जा चुकी है। बीते माह भी इस परिवार के एक व्यक्ति की मोहनियां से ले जाकर चंदौली में हत्या की गई थी। पुलिस ने जीटी रोड के बगल में लावरिस हालत में खड़ी कार से शव बरामद किया था। पुलिस का ध्यान भटकाने को शव के बगल में सीट पर एक कट्टा भी रखा था।
यूपी पुलिस ने मामले की गंभीरता से जांच की तो इस घटना में परिजनों का ही हाथ था। जिन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। भूमि विवाद में वर्ष 2001 में इसी परिवार के अखिलेश त्रिवेदी की अपहरण के बाद हत्या हुई थी।
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