चिराग पासवान के बहाने संतानों की मान्यता की समाजिक हकीकत यह है

संजय तिवारी
निम्न वर्ण की महिला जब उच्च वर्ण के पुरुष से विवाह करे तो उससे उत्पन्न होनेवाली संतान को हेय दृष्टि से देखा जाता है। ये भारत की सामाजिक सच्चाई है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन ये तो सिक्के का एक पहलू है। सिक्के का दूसरा पहलू ये है कि जब उच्च वर्ण की महिला किसी निम्न वर्ण के पुरुष से विवाह करती है तो उसकी संतान को भी निम्न वर्ण के समाज में भी बहुत हेय दृष्टि से देखा जाता है।
जिन्हें हम निम्न वर्ण कहते हैं वह निम्न वर्ण भी किसी उच्च वर्ण की महिला से उत्पन्न संतान को स्वीकार नहीं करता। ये दोनों ही तरह की संताने वर्णशंकर मानी जाती हैं। उन्हें अपनी अपनी जाति समाज में ही पहचान और मान्यता के संकट से गुजरना पड़ता है।
चिराग पासवान के मामले में यही हो रहा है। राम विलास पासवान ने भले ही एक पंजाबी ब्राह्मण महिला से विवाह करके संस्कारी संतान उत्पन्न कर लिया हो लेकिन अब उस संतान को राम विलास पासवान का परिवार और समाज ही स्वीकार करने को तैयार नहीं है। राम विलास पासवान के भाई हों या समर्थक वो चिराग से वो अपनापन कभी नहीं दिखा पायेंगे जो पासवान की स्वजातीय पुत्र से होता। इसलिए मैं इस ताजा राजनीतिक लड़ाई को उस दृष्टिकोण से नहीं देख रहा हूं जिससे लोग देख रहे है। ये राजनीतिक युद्ध भर नहीं है। ये स्वीकार्यता का सामाजिक संघर्ष है।
मैं जानता हूं कि बहुत सारे तर्कवादी इस बात पर आपत्ति करेंगे। ये तर्कवादी लोग समाज में नहीं रहते। हवा में रहते हैं और अपने तर्क को संसार का यथार्थ मानने की भूल करते हैं। लेकिन सामाजिक सत्य तो यही है कि आज भी वर्णशंकर संतानों के सामने पहचान का संकट है। इससे अंतर नहीं पड़ता कि वह वर्णशंकर संतान किस जाति और कुल में पैदा हुई है।
भारत में निम्न से निम्न कही जानेवाली जाति भी उसी संतान को सामाजिक मान्यता देती है जो उसके जाति की लड़की से पैदा होती है। जिन्हें मेरी बात पर भरोसा न हो, वो इसी विषय पर एक सामाजिक अध्ययन कर लें।
संजय तिवारी के फेसबुक टाइमलाइन से साभार



« (Previous News)



Related News

  • मणिपुर : शासन सरकार का, ऑर्डर अलगावादियों का
  • ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले का सामाजिक आंदोलन और उसका प्रभाव
  • ओह ! दलाई लामा ने ये क्या किया
  • भारत में होने लगा साइबरस्टॉकिंग से बच्चों का यौन शोषण
  • अफ्रीका से इस दुर्लभ बीमारी का ऑपरेशन कराने बिहार पहुंचा विदेशी मरीज, 75 प्रतिशत तक खर्च बचा
  • मोबाइल पर अवांछित कॉल और मैसेज से हो रही ठगी : संजय स्वदेश
  • Vuln!! Path it now!!
  • सीबीआई से ज्यादा चर्चा ईडी की क्यों ?
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com