लॉबी में सन्नाटा, गलियारे में तपिश और ‘कुएं’ में लगी थी आग
लॉबी में सन्नाटा, गलियारे में तपिश और ‘कुएं’ में लगी थी आग
— वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ पत्रकार, पटना —
बिहार विधान सभा में मंगलवार को शाम 6 बजे शुरू हुआ था पुलिस बिल पर ‘महाभारत’। सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने नहीं था। दिन भर की गहमागहमी के बाद शाम 6 बजे फिर से बैठक शुरू होने की घंटी बजने लगी। दोनों पक्ष के लोग सदन में पहुंचने लगे। सत्ता पक्ष के लोग अपनी जगह पर और प्रतिपक्ष अपनी जगह से उठकर वेल में आ गया। वेल को हिंदी में कुआं भी कहते हैं। विपक्ष पुलिस बिल के विरोध में सदन में हंगामा कर रहा था। स्पीकर अपने चैंबर से निकलकर आसन तक आने की स्थिति में नहीं थे। कई बार माहौल शांत करने की कोशिश की गयी, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद अध्यक्ष के आदेश पर पुलिस ने सदन में घुसकर विपक्षी विधायकों को धकियाकर बाहर निकाला। सदन की कार्यवाही करीब शाम 7 बजे कर 42 मिनट पर शुरू हुई और कार्यवाही शुरू होने के करीब 7 मिनट बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन में आये।
इससे पहले 6 बजे से घंटी बजनी शुरू हुई और करीब 41 मिनट तक बजने के बाद घंटी बंद हो गयी। और पुलिस की कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हुई। हम सत्ता और विपक्ष दोनों की लॉबी में आ-जा रहे थे। लॉबी में कोई विधायक नहीं थे। लॉबी में सन्नाटा था। लेकिन लॉबी और सदन के बीच के गलियारे में तपिश बढ़ी हुई थी। गलियारे में सबसे परेशान दो लोग दिख रहे थे। संजय गांधी और श्रवण कुमार। दोनों अपने-अपने सदन में सत्तारूढ़ के मुख्य सचेतक हैं। श्रवण कुमार सदन से बाहर आकर संजय गांधी को अंदर की स्थिति से अवगत करा रहे थे और संजय गांधी मुख्यमंत्री तक सूचना पहुंचा रहे थे। इसके बाद बाहर की स्थिति और मुख्यमंत्री के संदेश संजय गांधी श्रवण कुमार के माध्यम से अंदर तक पहुंचा रहे थे। एक बार ऊर्जा मंत्री सदन से निकलकर गलियारे में आ गये तो श्रवण कुमार ने टोका। इस पर बिजेंद्र यादव ने कहा कि कब तक बैठे रहे। जब तक सदन में विपक्ष का हंगामा जारी रहा, तब तक संजय गांधी और श्रवण कुमार का संवाद निरंतर जारी रहा। विपक्ष की लॉबी में भी सन्नाटा पसरा हुआ था। कभी-कभार विधायक बाहर आ रहे थे और फिर हंगामा का हिस्सा बन जा रहे थे।
करीब 1 घंटा 40 मिनट तक कुंए (वेल) में ‘आग’ लगी रही। विधान सभा सचिव अपनी कुर्सी पर आकर बैठे रहे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। आसन के आसपास सत्ता और विपक्ष की महिलाएं उलझती दिख रही थीं। बाद में पुलिस द्वारा राजद की महिला विधायकों को सदन से बाहर निकाला गया। फिर पुलिस ने विपक्षी विधायकों को धकियाकर बाहर निकाला। कुछ देर के लिए सदन और स्पीकर के चैंबर के बाहर का इलाका ‘थानाध्यक्ष की कोठी’ में तब्दील हो गया था, जहां सिर्फ ‘वर्दी’ का राज चल रहा था। विधानसभा के सदस्यों का विशेषाधिकार ही ‘गिरवी’ रख दिया गया था। बाद में विपक्ष सदस्यों ने कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद स्पीकर आये और कार्यवाही शुरू हुई। जब सदन में हंगामा चल रहा था तब जदयू वाले तनाव में थे और कार्यवाही शुरू हुई तो भाजपा वाले नारा लगा रहे थे।
कार्यवाही शुरू होने के बाद हम तेजस्वी यादव के चैंबर में पहुंच गये। विपक्षी विधायक जमा होने लगे थे। उधर टीवी स्क्रीन पर तेजस्वी यादव कार्यवाही देख रहे थे और अपनी प्रतिक्रिया भी जता रहे थे। इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भाषण शुरू हुआ। मुख्यमंत्री ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज शाम को अध्यक्ष की ओर से सांस्कृतिक संध्या के साथ बढि़या भोजन का भी इंतजाम किया गया। इस बात पर किसी ने कहा कि विपक्षी विधायकों को लात मारने के बाद अब भोज-भात का आमंत्रण। इस पर ठहाका लगा। इस बीच में हम बाहर निकल लिये। विधान सभा से बाहर निलकते हुए हम यही सोच रहे थे स्पीकर ने मेरा विधान सभा पास रोककर मेरी खबरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी, उसकी परिणति विधान सभा परिसर में पत्रकारों की पिटाई तक पहुंच गयी है।
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