अबकी मुकेश साहनी के सीने में ‘भोंका’ खंजर
अबकी सीने में ‘भोंका’ खंजर
वीरेंद्र यादव, पटना।
बिहार सरकार में मंत्री हैं मुकेश सहनी। मल्लाह हैं। मछली से साथ जाति का रिश्ताकहै। उन्होंने अपना चुनाव चिह्न भी नाव रखा है। अभी किसी सदन में सदस्य नहीं हैं। वह छह साल के लिए एमएलसी बनना चाहते थे। भाजपा ने डेढ़ साल में निपटा दिया। रविवार की दोपहर तक डेढ़ साल की सदस्यता स्वीकार नहीं कर रहे थे, लेकिन भाजपा के नेता अमित शाह के इलाज के बाद घुटने टेक दिये। वे सोमवार को विधान परिषद में विनोद नारायण झा के इस्तीफ से खाली हुई सीट के लिए नामांकन करेंगे। उनके सामने दो ही विकल्प था -मंत्री पद त्याख करें या डेढ़ साल के लिए फिलहाल नामांकन करें। विधान सभा चुनाव के पहले मुकेश सहनी महागठबंधन में उपमुख्यमंत्री के दावेदार थे, लेकिन राजद ने इनकी सीट क्लीयर नहीं किया था तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजद पर पीठ में छोरा भोंकने के आरोप लगाकर एनडीए की ‘गोद’ में बैठ गये थे। अमित शाह को झोली इतनी बड़ी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। उस झोली में मुकेश सहनी की क्या पहचान है। पहचान को जीवित रखने के लिए मुकेश सहनी को भाजपा एमएलसी बनवा रही है। मुकेश सहनी का दुर्भाग्य है कि उनके चारों विधायक मूलत: भाजपा के वफादार सिपाही हैं। वे नाम के लिए वीआईपी के विधायक हैं। दरअसल भाजपा के विधायक हैं और भाजपा के इशारे में चारों एक साथ विधायक दल का भाजपा में विलय कर लेंगे। यही विवशता मुकेश सहनी को डेढ़ वर्ष का कार्यकाल स्वीकार करने को मजबूर किया है। इस बार भाजपा ने ‘सीने’ में खंजर भोंक दिया। छह साल का वादा करके डेढ़ साल में सिमट दिया, लेकिन मुकेश सहनी उफ् करने की स्थिति में भी नहीं हैं।
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