बिहार के IPS ने नेताजी सुभाष चंद्र के बारे में यह लिखा
विनय तिवारी, (आईपीएस, बिहार कैडर)
आज भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाहियों में सबसे रहस्यमयी एवं चमत्कारिक व्यक्तित्व और अद्भुत प्रतिभा नेतृत्व क्षमता के धनी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती है। विरल प्रतिभा के धनी जिन्होंने अपने ज्ञान, दूरदर्शिता और गहन राजनीतिक सूझबूझ के साथ स्वतंत्रता हेतु संघर्ष का अपना रास्ता चुना। आज़ाद हिंद फौज की स्थापना से पहले कुछ समय की तैयारी में उन्होंने आईसीएस की प्रतिष्ठित परीक्षा पास की लेकिन देश प्रेम और राष्ट्र भक्ति की प्रबल कामना ने उनको इस ओर न खींचा। उन्होंने इसके उलट सतत संघर्ष का मार्ग चुना। उनका मानना था कि “अगर संघर्ष न रहे ,किसी भी भय का सामना न करना पड़े ,तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है !”- वह स्वतंत्र मातृभूमि और अपनी शर्तों पर जीवन का स्वप्न देखते थे। यही वजह रही कि उनकी तर्कपूर्ण बातों और प्रभावी व्यक्तित्व ने जर्मनी से लेकर जापान, वर्मा और हिंदुस्तान तक आज़ादी की भावनाओं से ओतप्रोत माँ भारती के लाड़लों की फौज खड़ी कर दी। यद्यपि यह भी कहाँ आसान था पर वह जानते थे कि अंग्रेजी सत्ता द्वारा पैदा किये जा रहे संकटों से उनका अटल देशप्रेम नहीं डिगेगा। वह निडर नेतृत्व थे । उन्होंने कहा भी है कि
“मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता ! संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा !”- हम सब जानते हैं कि यह बात उनके जीवन में कितनी सत्यता से शामिल थी। अपने अर्जित सत्य के लिए सतत संघर्ष, एक स्वंत्रत मातृभूमि और समाज के लिए निडर निर्भीक होकर ही सफलता पाई का सकती है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे वैश्विक नेता हैं जिन्होंने अपने मानक स्वयं गढ़े और दुनिया को यह संदेश दिया कि चाहे कितनी विपरीत परिस्थितियाँ सामने हो, यदि आप अपने सत्य के साथ, स्वयं पर भरोसे के साथ अडिग हो तो उन परिस्थितियों से जूझकर उस स्थिति को बदल देने का माद्दा भी रखते है। अपने देश को आजाद करने के लिए बनाई गई आजाद हिंद फौज इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्र प्रथम बोध हम सबमें भरा है।
आज माँ भारती के उसी वीर सपूत की जयंती है।
आज़ाद हिन्द से लेकर जय हिन्द की कल्पना को साकार करने वाले महापुरुष को नमन।
शत शत नमन
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