चीन का इरादा पूरे विवादित इलाके पर कब्जा करना
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भारत- चीन सीमा के विवादित हिस्से पर घुसपैठ के अलावा वहां पर पक्की बस्तियां बसाने के पीछे निश्चित रूप से चीन की एक सोची- समझी रणनीति है.
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राजेश जोशी
लद्दाख में पिछले 8 महीनों से चले आ रहे टकराव के बीच चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. हाल में खुलासा हुआ कि उसने अरुणाचल प्रदेश में करीब 4 किलोमीटर अंदर भारतीय सीमा में घुसपैठ करके पूरा एक गांव बसा लिया है. यह पूरा घटनाक्रम पिछले एक से सवा साल के अंदर हुआ. अवैध कब्जे को भारत सरकार ने भी सीधे तौर पर खारिज नहीं किया है. सरकार की तरफ से अभी यह बात स्पष्ट होना बाकी है कि जिस इलाके में चीन के गांव बनाए जाने की बात है, उस जमीन पर किसका नियंत्रण है. इस बात की पुष्टि हो गई है कि यह इलाका अधिकृत नक्शे में भारत का हिस्सा है. इस पर राजनीति भी गरमा गई है. कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. यह मुद्दा राष्ट्रीय हित और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे केवल राजनीतिक हित-अहित से ऊपर उठकर देखने की जरूरत है।
यह मामला केवल एक गांव तक सीमित नहीं है. दरअसल यह चीन की एक सोची-समझी रणनीति है, जिस पर वह पिछले कई सालों से काम कर रहा है. पिछले दो-तीन सालों के घटनाक्रम को अगर बारीकी से देखें, तो सारी कड़ियां जोड़ना और आसान हो जाएगा. 2017 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि भारत से लगी तिब्बत की सीमा पर लोगों की बसाहट बढ़ाई जानी चाहिए. पिछले करीब एक साल से चीन के मीडिया में लगातार सैकड़ों की संख्या में नए गांवों को भारत-चीन सीमा पर स्थानांतरित किए जाने की खबरें आ रहीं हैं. अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ कर गांव बनाना इसी रणनीति का एक हिस्सा है. यही हरकतें चीन सिक्किम, लद्दाख में भी कर चुका है और डोकलाम में भी. यह बहुत कुछ इजराइल जैसी रणनीति है. गाजा पट्टी में इजरायल भी इसी तरह से भवन बनाता है और वहां आबादी को बसा देता है. थोड़ा सा पीछे जाएं, तो 2005 में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर एक करार हुआ था. इसमें भविष्य के सीमा विवाद समझौतों के बारे में जिक्र था. तय हुआ था कि सीमा विवाद का निपटारा करते वक्त उस इलाके में रहने वाले स्थानीय लोगों की भावनाओं का भी ध्यान रखा जाएगा.
विवादित हिस्से में गांवों को बसाने के पीछे भी चीन की यही मंशा दिख रही है. ताकि कुछ सालों बाद अगर दावेदारी की बात आए, तो इस बसाहट के आधार पर चीन का दावा भारत से कहीं ज्यादा मजबूत होगा. अंतरराष्ट्रीय कानून के हिसाब से भी अगर किसी विवादित स्थल पर मानव बसाहट हो, तो उसे संबंधित देश के मालिकाना हक में सबसे बड़ा आधार माना जाता है. चीन का इरादा इसी तरह दोनों देशों के बीच विवादित जमीन का अस्तित्व ही खत्म करने का है. चीन सीमा पर बसाए जा रहे ये गांव आगे चलकर देश की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बनेंगे. ये गांव चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए न केवल खुफिया सूचनाओं का स्रोत बनेंगे, बल्कि सशस्त्र टकराव के वक्त इन्हीं गांव से चीन को अच्छी खासी मदद मिलेगी. अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनशिरी इलाके में कब्जे की ताजा घटना में चीन ने करीब 101 मकान बनाए हैं. मकानों की बनावट एेसी है कि अगर उनका बैरक की तरह इस्तेमाल किया गया, तो वहां आसानी से एक से डेढ़ हजार सैनिकों का इंतजाम हो जाएगा.
भारत से उलट चीन ने 1980 के बाद से लगातार भारत से लगी सीमा पर सड़क, पुल समेत बाकी आधारभूत संरचनाओं में जबर्दस्त सुधार किया है. चीन की कोशिश यही है कि सीमा पर जंग की तैयारी इतनी बेहतर कर दो कि भारतीय सेना को भविष्य में सीमा विवाद के बाद हमला करने के पहले 10 बार सोचना पड़े. दक्षिण चीन सागर में भी चीन ने कृत्रिम द्वीप भी बनाकर वहां पर मिसाइल और फाइटर जेट तैनात कर दिए हैं, ताकि कोई चाहकर भी टकराव मोल ना ले सके. न केवल अक्साई चीन बल्कि अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे इलाके में चीन ने सैन्य तैनाती, उन्नत रडार बढ़ाने के अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारा है. लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश की सीमा तक जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की तैनाती हो रही है. भारत और चीन की सीमा इतनी ज्यादा लंबी, दुर्गम है कि सेना के लिए एक-एक इंच इलाके पर अपनी नजर रखना बहुत मुश्किल है. इसलिए जरूरी है कि सीमाई इलाकों में बसाहटों को बढ़ाने और आधारभूत संरचनाएं तेजी से सुधारने की दिशा में काम हो. जैसा चीन करता जा रहा है.
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