…और अंधविश्वास में बर्बाद हुआ बिहार का एक महीना
– नवल किशोर कुमार
सचमुच भारत अंधविश्वासी देश है। अंधविश्वास को जितना प्रश्रय यहां हर स्तर पर दिया जाता है, उतना किसी और देश में शायद ही होता हो। अब बीते चार दिन पहले मेट्रो स्टेशन पर एक नजारा दिखा। दफ्तर से अपने रहवास आने के क्रम में एक मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलते वक्त सीढ़ी पर अचानक भीड़ लग गयी। मैं चौंक गया। आखिर वजह क्या हुई कि लोग अचानक से रूक गए हैं। क्या आगे कोई खतरा है!? इससे पहले कि किसी से पूछता, एक बिल्ली चुपके से निकल गई। उस बिल्ली का रंग उजला था। फिर मैं समझ गया कि यह खतरा इसी बिल्ली की वजह से है। मैंने लोगों से कहा कि मुझे आगे जाने दें। फिर यही हुआ। मैं आगे निकला तब लोग आगे बढ़े।
यह घटना यदि पटना में हुई होती तो निश्चित तौर पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं होता। वजह यह कि बिहार में अभी भी बहुत अधिक पिछड़ापन है। मैंने तो वहां सड़क पर लोगों को रूक जाते देखा है। सब यही चाहते हैं कि बिल्ली के रास्ता काट देने के बाद कोई अनजाने से आगे बढ़ जाय ताकि बिल्ली के रास्ता काटने से जो अपशकुन हो तो वह उसके हिस्से आए।
गजब की सोच है यह। मतलब हम इतने स्वार्थी हैं कि किसी दूसरे के बारे में कुछ भी नहीं सोचते। इतना स्वार्थ कहां से आता है? क्या यह हमारे धर्म में है? यदि है भी तो बिल्ली घरेलू जानवर है। घरों में रहती है। उसके रास्ता पार कर जाने से रास्ता खतरनाक कैसे हो सकता है। मेरे कई मित्र हैं जिन्होंने बिल्लियों को पाल रखा है। उन्होंने तो मुझे आजतक नहीं कहा कि बिल्लियों की वजह से उनके घरों में कोई अपशकुन हुआ है।
खैर, यह तो आम लोगों की बात हो गई। सरकारें भी इसे बहुत मानती हैं। एक बार फिर से बिहार का ही उदाहरण देता हूं। बिहार में नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार केवल इस कारण रोक रखा था कि 14 जनवरी तक खरमास था। अब यह अंधविश्वास का एक और अध्याय है। हिंदू धर्म में केवल बिल्लियां ही अपशकुन का प्रतीक नहीं हैं, महीने भी अपशकुन वाले माने जाते हैं।
मुझे एक घटना याद है। उस दिन सूर्यग्रहण होना था। नीतीश कुमार तब नये नवेले सीएम थे। उन्होंने अंधविश्वास को खारिज किया था। आज भी हिंदू धर्मालंबी यह मानते हैं कि ग्रहण के समय कुछ नहीं खाना चााहिए। इससे अपशकुन होता है। तब नीतीश कुमार ने मसौढ़ी के पास तारेगना जाकर सूर्यग्रहण के समय बिस्कुट खाकर एक नया संदेश दिया था। वहीं उनके इस व्यवहार की लालू प्रसाद ने आलोचना की थी। उनके मुताबिक नीतीश कुमार के कारण बिहार में आपदा आएगी।
खैर, वही नीतीश कुमार आज इतने अंधविश्वासी हो चुके हैं कि पूरा एक महीना उन्होंने जाया होने दिया। जाहिर तौर पर बिहार एक बड़ा राज्य है और राजकाज के लिए मंत्रियों की आवश्यकता है। लेकिन नीतीश कुमार ने बिहार के हितों के से अधिक अपने अंधविश्वास को महत्व दिया है।
बात केवल बिहार तक सीमित नहीं है। केंद्र सरकार के स्तर पर भी अंधविश्वास कम नहीं है। कल ही मेरी बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी से हो रही थी। पहले वे बिहार में आईएएस थे। तभी से उनसे बातचीत होती रही है। कल कोविड के वैक्सीन के संबंध में बातें हो रही थीं तो उन्होंने कहा कि वैक्सीन की शुरूआत तो 5 जनवरी से ही हो जाती। लेकिन सरकार ने खरमास के खत्म होने का इंतजार किया। अब यह 16 जनवरी से प्रारंभ होगा। इसकी शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। वह दृश्य भी कौन भूल सकता है जब फ्रांस की राजधानी पेरिस में हमारे देश के रक्षामंत्री ने राफेल के उपर मिर्ची और नींबू लटकाया था तथा उसके पहिए के नीचे नींबूओं की बलि दी थी।
सचमुच, हमारा देश अंधविश्वासों को मानने वाला देश है
– नवल किशोर कुमार
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