बंगाल चुनाव से काफी आगे की सोच रही है भाजपा

– राजेश जोशी

राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. उसे एकजुट रखने के लिए जिस धुरी की जरूरत है, वह कहीं दिख नहीं रही.
—————————
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव भले ही 4-5 महीने दूर हो, लेकिन चुनावी माहौल गरमाने लगा है. पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुआ हमला और उसके बाद की प्रतिक्रिया एक संकेत है कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव किस तरह की राजनीति के बीच होने वाले हैं. हमला किसने किया, क्यों किया , यह तो अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस पर इसका ठीकरा फोड़कर भाजपा पूरा फायदा उठाने की कोशिश कर रही है. जहां तक बंगाल की बात है, तो वहां पर राजनीतिक हिंसा का लंबा इतिहास रहा है. फर्क सिर्फ इतना है कि अब सोशल मीडिया और नेट कनेक्टेड मोबाइल फोन की वजह से इस तरह की घटनाएं कहीं ज्यादा बड़े स्तर पर सामने आती हैं और फैलाई जा सकतीं हैं. पिछले लोकसभा चुनावों में 18 सीटों और 41% वोटों के साथ बड़ी छलांग लगाने वाली भाजपा की उम्मीदें भी इस बार काफी बड़ी है. आने वाले महीनों में भाजपा की पूरी सेना बंगाल में दिखेगी. लेकिन इसे केवल बंगाल के चुनाव तक देखना शायद ठीक नहीं होगा. प्रकट रूप से बंगाल में भाजपा का आक्रामक अंदाज बिहार की जीत की वजह से भी दिखता है और असम समेत कई राज्यों में अगले एक से डेढ़ साल में होने जा रहे विधानसभा चुनावों की वजह से भी. पर भाजपा इससे भी आगे 2024 में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव को लक्ष्य बनाकर चल रही है.
जहां तक पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार की बात है, तो यह भाजपा के एजेंडे में उस वक्त से था जब अमित शाह पार्टी अध्यक्ष हुआ करते थे. शाह कई बार कह चुके हैं कि जब तक इन राज्यों में भाजपा सत्ता में नहीं आती तब तक लक्ष्य अधूरा रहेगा. हैदराबाद नगर निगम चुनाव में मिली सफलता के बाद भाजपा को लगता है कि तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और अब कुछ हद तक ओडिशा और असम में उसके लिए एक बड़ी गुंजाइश बनी है. इनमें से ज्यादातर राज्य ऐसे हैं जहां पर कभी कांग्रेस या वामपंथी दल बहुमत में थे, लेकिन आज उनकी हैसियत बहुत घट चुकी है. इसी रिक्तता का पूरा फायदा उठाने की कोशिश भाजपा की है. दूसरी तरफ विपक्ष इस वक्त सबसे कठिन राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. इतना कमजोर विपक्ष पिछले कई सालों में कभी नहीं था. चुनौती यह भी है कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट रखने, जिस धुरी की जरूरत होती है वह फिर कांग्रेस हो सकती है. लेकिन इस वक्त कांग्रेस अपनी ही पार्टी में चल रहे झंझावात से जूझ रही है. भाजपा की कोशिश किसी भी तरह कांग्रेस को चुनावी पटल से गायब करने या एकदम हाशिये पर ढकेलने की है. जहां से वापसी करना मुश्किल हो जाए. इसके बाद बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों में केवल क्षेत्रीय दल बच जाएंगे. 
अकल्पनीय संसाधनों से लैस भाजपा जैसी सुनामी का मुकाबला करना क्षेत्रीय दलों के लिए बहुत कठिन होगा. हैदराबाद के चुनाव के बाद भाजपा के इस खतरे को टीआरएस भी समझ गई है. आंध्र की सत्ता संभाल रही वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी, ममता बनर्जी और बीजद भी. ओडिशा में भी भाजपा आज नंबर दो पार्टी बन चुकी है. अब भाजपा की नजर उन राज्यों पर है जहां से उसे अगले लोकसभा चुनाव में और ज्यादा सीटें मिलने की गुंजाइश देख रही है. इसके पीछे मंशा यही है कि अगर हिंदी भाषी राज्यों में 2019 के नतीजों जैसा समर्थन नहीं मिला, तो बाकी राज्यों से उन सीटों की भरपाई हो जाए.
जहां तक बंगाल के विधानसभा चुनाव की बात है, तो भाजपा के लिए यह आसान बिल्कुल है, खासकर तब जब वह बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के उतरने की तैयारी में है. उसका मुकाबला ममता बनर्जी के चेहरे वाली तृणमूल से है. मुश्किल ये है कि ममता की टक्कर का कोई नेता बंगाल में भाजपा के पास नहीं है. ममता बनर्जी ने बाहरी बनाम बंगाली वाला जो दांव खेला है , उसकी काट भी भाजपा को तलाशने है. अगले 3 से 4 महीनों में बंगाल को कई राजनीतिक रंग देखने बाकी हैं. इसमें पार्टियों में तोड़फोड़ भी होगी, हिंसा भी होगी, वोटों का ध्रुवीकरण भी होगा. साथ ही साथ यह भी तय हो जाएगा कि भाजपा असम का चुनाव किस रणनीति से लड़ने वाली है. पश्चिम बंगाल और असर दोनों ही एेसे राज्य हैं, जहां मुसलमानों की आबादी अच्छी खासी है.



« (Previous News)



Related News

  • मोदी को कितनी टक्कर देगा विपक्ष का इंडिया
  • राजद व जदयू के 49 कार्यकर्ताओं को मिला एक-एक करोड़ का ‘अनुकंपा पैकेज’
  • डॉन आनंदमोहन की रिहाई, बिहार में दलित राजनीति और घड़ियाली आंसुओं की बाढ़
  • ‘नीतीश कुमार ही नहीं चाहते कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, वे बस इस मुद्दे पर राजनीति करते हैं’
  • दाल-भात-चोखा खाकर सो रहे हैं तो बिहार कैसे सुधरेगा ?
  • जदयू की जंबो टीम, पिछड़ा और अति पिछड़ा पर दांव
  • भाजपा के लिए ‘वोट बाजार’ नहीं हैं जगदेव प्रसाद
  • नड्डा-धूमल-ठाकुर ने हिमाचल में बीजेपी की लुटिया कैसे डुबोई
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com