ये धक्का इतिहास रचेगा
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वाह्ह क्या खूब👉तालियां बजाईयें इनके सम्मान में। सही कहते है ये लोग कांग्रेस ने 70 साल में कुछ नही किया। इससे पहले जब किसी सरकार के शासन में कोई अपराध हो जाता था तो वो रक्षात्मक भूमिका में आ जाती थी। इन ईंटें कलर निसंतान लोगों ने देश के लोगों को दिखाया शासन कैसे किया जाता है।
जरा माईंड की गड्डी बैक गियर मे डाल कर 8 नवम्बर 2016 तक ले जाईये, नोटबंदी में बैंको में नोट बदलवाने वालो की बेतहाशा भीड़ ज़मा है। पुलिस नोट बदलवाने वालो पर लाठियां बरसा कर लाईन लगवा रही है। कुछ लोगों ने नोट बदलवाने की दम भी तोड़ दिया, लेकिन शासन करने वालों ने उफ्फ़ तक नही की।
याद करिये वो दृश्य जब मुखी विदेश से आपकी बेबसी का मजाक उड़ा रहे थे👉झक्क कुर्ता और वाईट लेंगिग्स में मॉडलिंग स्टेज पर कैटवाक करते हुये👉एक टांग उठा कर दोनो से तालियां बजाते हुये बोले, “घर मे शादी है, बैक मे पैसे जमा है, लेकिन निकाल नही सकते”, इसके साथ ही सभागार ठहाको की आवाज से गूंज जाता और मुखी विद दाढ़ी भी आपकी बेबसी पर खूंखार हंसी हंसते है।
उसके बाद प्रदेश में चुनाव होते है और आप सब नोटबंदी की लाईन वाले बेबस लोगों ने अपनी तकदीर की सारी तालों कुंजी इन्ही ईंटें कलर वालों को सौप दी और फिर इन्होने दिखाया देश को शासन करने का तरीका। इन्होने सिखाया की अपराध के बाद जनाक्रोश को कैसे हैंडल किया जाता है। जितना सख्त ये अपराध करने वालो पर नही हुये, उससे ज्यादा सख्ती इन्होने अपराध होने पर शासन के खिलाफ बोलने वालो पर करी। पुलिस का सही इस्तेमाल सिखाया इन ईंटाकलर धारियों ने। इससे पहले पुलिस अपराध रोकने और अपराधी के खिलाफ कार्रवाई में इस्तेमाल होती थी। इन्होने सिखाया की अपराध होने पर जिसके साथ अपराध हुआ है उसको कैसे हैंडल करना है। अपराध के खिलाफ विरोध का कैसे दमन करना है।
एक वक्त था👉अपने स्वयं के खिलाफ कार्रवाई में देश की संसद में फूट फूट कर रोयें थे। उस वक्त देश आजाद था जो लोग कुर्सी पर थे उन्होने रुमाल से आँसू पोंछे और मुँह धुलवाया के सामान्य किया। वक्त आज बदला खुद मूवेबिल कुर्सी पर विराजमान है। हाथरस की बच्ची की मौत एक बवाल बन जाती है और ईंटाकलर धारी मालिक की दैनिक पूजा में विध्न का कारण बनती है। बच्ची के मृत शरीर के अतिम संस्कार का प्रकृतिजन्य अधिकार छीन लिया और माता पिता, भाई सबको दरकिनार करते हुये रात मे ही अग्नि को समर्पित करवा दिया। जो इस घटना के विरोध में खड़े हुए आज जेल में है। 70 साल मे पहली बार ये समझना मुश्किल हो गया है कि अपराधी कौन है? वो जो अब इस दुनिया में नही है? माता पिता, भाई या वो लोग़ जो इस अन्याय मतलब बदली शासकीय सोच और व्यवस्था के खिलाफ है?
आज राहुल गाँधी को धक्का देकर जमीन पर गिराया गया। याद रखना होगा कि गाँधी को ट्रेन से धक्का देकर उतारा गया था और उसी धक्के से गाँधी ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी नीति की धज्जियां उड़ा दी और देश लौट कर वही धक्का ब्रितानी साम्राज्य के अंत का कारण बना.. Sunil Kumar Misra
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