एक फोन आया और किस्सा खत्म, विधायकों के भी सूख रहे हलक
वीरेंद्र यादव, पटना।
अभी बिहार की राजनीति की सांस अटक गयी है। टिकट के दावेदार ही नहीं, विधायक का हलक भी सूख रहा है। राजद ने अपने आधा दर्जन विधायकों का टिकट काट दिया है तो लगभग इतने ही विधायकों ने पहले ही राजद का दामन छोड़ कर नीतीश का तीर थाम लिया था। लेकिन ऐसे ‘नाद फेरु’ विधायकों का टिकट भी अभी कंफर्म नहीं है। सभी पार्टियों को मिलाकर कम से कम दो दर्जन विधायक अपनी पार्टी के टिकट से बेपटरी हो सकते हैं।
पिछले दो-तीन दिनों में कई विधायक और टिकट के मजबूत दावेदारों से मुलाकात हुई। लेकिन सभी बेबस और मजबूर दिखे। सभी की जान पार्टी की बैठकों में अटकी है। राजद ने अपने गठबंधनों में सीटों की संख्या बांट ली, लेकिन अपनी ही सीटों के नामों का एलान नहीं किया है। कांग्रेस का भी यही हाल है। उधर चिराग पासवान के नीतीश कुमार से अलग होने की खबरों के बीच उम्मीदवारों की नयी कतार बन रही है। कई अखबारी पार्टियों के गठबंधन के ऐलान के बीच भी उम्मीदवारी की होड़ लग गयी है। लेकिन सबसे बड़ा संशय और बेचैनी भाजपा-जदयू के विधायकों और दावेदारों में है। कौन सीट किस पार्टी के खाते में जाएगी, अभी तय नहीं है। इसी कारण राजद और कांग्रेस अपनी सीट और उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं कर रही है। इस मामले में वामपंथी दलों ने जरूर तीव्रता दिखायी है और अपने कोटे की सीट और उम्मीदवारों के नाम एलान कर रहे हैं।
हर विधायक और दावेदार के समर्थकों के बीच सन्नाटा पसरा हुआ है। वे अपने चेहरे पर न उदासी दिखाना चाहते हैं और न खुशी। दावेदार बस एक फोन का इंतजार कर रहे हैं। जिनको पार्टी की ओर से टिकट देने का निर्णय लिया जायेगा, उन्हें फोन से सूचित कर दिया जायेगा। बाकी का इंतजार खत्म।
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