बाज़ार में बिकने वाले शुद्ध देशी घी की असलियत क्या है?
दिनेश सरस्वा
बाज़ार में बिकने वाले शुद्ध देसी घी की असलियत क्या है? अगर इसकी बजाय “नकली घी कैसे बनता है?” पूछा होता तो शायद मैं एक बहुत बड़े आक्षेप से बच जाता।
जैसे कि मेरे मित्र जानते ही हैं कि मैं खरी खरी कहने वाला लेखक हूं। जब बात उठकर ऊपर तक आ जाती है तो मैं लिखे बिना नहीं रह पाता। फिर परिणाम में चाहे मेरा जवाब छुपा दिया जाए या फिर कमेंट में नकारात्मक टिप्पणियों की बाढ़ आ जाए।
नकली घी कैसे बनता है, और क्यों नही खाना चाहिए…। मैं सलाह दूंगा कि ऐसा घी खाने के बजाय नही खाना अच्छा… खाए तो गौ शाला से खरीद कर..
चमड़ा सिटी के नाम से मशहूर कानपुर में जाजमऊ से गंगा जी के किनारे किनारे 10 -12 किलोमीटर के दायरे में आप घूमने जाओ तो आपको नाक बंद करनी पड़ेगी।
यहाँ सैंकड़ों की तादात में गंगा किनारे भट्टियां धधक रही होती हैं। इन भट्टियों में जानवरों को काटने के बाद निकली चर्बी को गलाया जाता है। इस चर्बी से मुख्यतः 3 चीजे बनती हैं।
1- एनामल पेंट (जिसे हम अपने घरों की दीवारों पर लगाते हैं)
2- ग्लू (फेविकोल इत्यादि, जिन्हें हम कागज, लकड़ी जोड़ने के काम में लेते हैं)
3- और तीसरी जो सबसे महत्वपूर्ण चीज बनती है वो है “शुध्द देशी घी”
जी हाँ ” शुध्द देशी घी”
यही देशी घी यहाँ थोक मंडियों में 250 से 450 रूपए किलो में भरपूर बिकता है।
इसे बोलचाल की भाषा में “पूजा वाला घी” बोला जाता है। इसका सबसे ज़्यादा प्रयोग भंडारे कराने वाले करते हैं। लोग 15 किलो वाला टीन खरीद कर मंदिरों में दान करके पूण्य कमा रहे हैं।।
इस “शुध्द देशी घी” को आप बिलकुल नही पहचान सकते बढ़िया रवेदार दिखने वाला ये ज़हर सुगंध में भी एसेंस की मदद से बेजोड़ होता है।
औधोगिक क्षेत्र में कोने कोने में फैली वनस्पति घी बनाने वाली फैक्टरियां भी इस ज़हर को बहुतायत में खरीदती हैं,
अब आप स्वयं सोच लो आप जो वनस्पति घी ” डालडा” “फॉर्च्यून” खाते हो उसमे क्या मिलता होगा।
कोई बड़ी बात नही देशी घी बेंचने का दावा करने वाली कम्पनियाँ भी इसे प्रयोग करके अपनी जेब भर रही हैं।
क्षमा करें, मेरा उद्देश्य आप सब को डराना नहीं है। लेकिन सच्चाई भी यही है कि बाजार में देशी घी के नाम पर यही बेचा जा रहा है। पूजा पाठ में प्रयोग कर हम किस तरह की पूजा कर रहे हैं ये भी सोचने की बात है। अगर आपको असली शुद्ध देसी घी खाना ही है तो किसी गांव में चलें जाएं और किसी घर से बिलौना वाला घी खरीद लीजिए। महंगा ही सही लेकिन आपके लिए गुणकारी होगा।
अच्छा, चलते चलते आपको एक जोक सुनता चलूं –
जिस शुद्ध देसी घी को आप 500/600 रुपए प्रति किलो के भाव से खरीदते हो ना।
वह एक किलो घी कम से कम 30 किलो गाय के दूध से बनता है।
अगर गाय का दूध किसान या पशु पालक से कम से कम 30 रुपए प्रति किलो भी खरीदा गया होगा तो केवल दूध की कीमत ही 900 रुपए हो जाएगी (30 किलो दूध) और उस पर डेयरी वालों का, ट्रांसपोर्ट और दूध बेचने वाली कम्पनी का खर्चा और फिर दूध से घी निकालने की प्रोसेस तथा सबसे आखिर में वितरण, इन सबका खर्चा अगर कम से कम भी जोड़ा जाए तो एक किलो शुद्ध देसी घी की कीमत होगी न्यनूतम 1500 रुपए प्रति किलो।
इस हिसाब से बाज़ार में बिकने वाला 90% शुद्ध देसी घी कैसा है आप खुद अंदाजा लगा लो।
https://hi.quora.com/ से साभार
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