2015 में राजपूतों का ‘भरोसा’ हासिल नहीं कर पायी थी भाजपा
2015 में राजपूतों का ‘भरोसा’ हासिल नहीं कर पायी थी भाजपा
बीजेपी के 30 उम्मीदवार में सिर्फ 8 जीत पाये थे
वीरेंद्र यादव.पटना।
2015 के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने सबसे अधिक भरोसा राजपूत जाति पर किया था। उस समय भाजपा के एक खेमे ने यह प्रचारित भी किया था कि पार्टी की सरकार बनी तो राजेंद्र सिंह मुख्यमंत्री के उम्मीदवार होंगे। चुनाव के समय ही अचानक राजेंद्र सिंह का नाम उभरा था, जो झारखंड में पार्टी संगठन के किसी बड़े पद पर थे। लेकिन राजपूतों ने भाजपा को सिरे से नकार दिया था।
2015 के चुनाव में भाजपा ने सबसे ज्यादा उम्मीदवार राजपूत जाति से दिये थे। उसने अपने 157 उम्मीदवारों में से अकेले 30 राजपूत को टिकट दिये थे। कुल उम्मीदवारों का लगभग 19 फीसदी। लेकिन राजपूज जाति के सिर्फ 8 उम्मीदवार ही चुनाव जीत पाये, शेष 22 को मुंह की खानी पड़ी थी। तब सवाल उठता है कि क्या भाजपा ने जरूरत से ज्यादा राजपूतों पर भरोसा कर लिया था।
दरअसल भाजपा यह मानती थी कि सवर्णों के भूमिहार, ब्राह्मण और कायस्थ के साथ बनिया उसका आधार वोट है। यादवों का भरोसा हासिल करने का अभियान भी तेज था। उस हड़बड़ी में भाजपा को लगा कि राजपूत को ज्यादा टिकट देकर उनका विश्वास हासिल किया जा सकता है। मुख्यमंत्री के रूप में राजेंद्र सिंह का नाम उछालकर भरमाने का प्रयास भी किया गया। लेकिन राजपूतों ने सिरे से नकार दिया। भाजपा ने अपने 30 उम्मीदवारों में सिर्फ 6 सीटों पर महागठबंधन के राजपूत उम्मीदवार के खिलाफ राजपूत उम्मीदवार दिये थे और सबके सब हार गये। यह इस बात का प्रमाण है कि जिन सीटों पर महागठबंधन के गैरराजपूत उम्मीदवार थे, वहां भी राजपूतों ने भाजपा के राजपूत उम्मीदवार को नकार दिया। सिर्फ 6 सीटों दरौंदा, बनियापुर, दिनारा, नवीनगर, औरंगाबाद और वजीरगंज में दोनों खेमों के राजपूत उम्मीदवार आमने-सामने थे। मुख्यमंत्री के कथित उम्मीदवार राजेंद्र सिंह खुद दिनारा में चुनाव हार गये।
भाजपा ने राजपूतों से ज्यादा उम्मीद पाल रखी थी, जबकि राजपूत महागठबंधन के साथ ज्यादा दिखे। यही कारण था कि 30 टिकट लेकर भी राजपूत सिर्फ 8 ही जीत पाये। ऐसी स्थिति में भाजपा को अब राजपूतों के संबंध में पुनर्विचार करना चाहिए। राजपूतों पर भाजपा का ज्यादा भरोसा आत्मघाती भी हो सकता है। दरौंदा का उपचुनाव इसी बात का प्रमाण है।
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2015 में भाजपा के राजपूत उम्मीदवार
——– निर्वाचित ————-
1. लौरिया —विनय बिहारी
2. रक्सौल — अजय सिंह
3. मधुबन — राणा रणधीर
4. छातापुपर — नीरज बबलू
5. पारु — अशोक सिंह
6. गोपालगंज — सुभाष सिंह
7. बाढ — ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू
8. रामगढ़ — अशोक सिंह
—— पराजित ———-
9. सुपौल — किशोर कुमार मुन्ना
10. किशनगंज — स्वीटी सिंह
11.गायघाट — वीणा देवी
12. वरुराज — अरुण कुमार सिंह
13. साहेबगंज — राजू कुमार सिंह
14. बरौली — रामप्रवेश राय
15. रघुनाथपुर — मनोज सिंह
16. दरौंदा — जीतेंद्र स्वामी
17. एकमा — कामेश्वर सिंह
18. बनियापुर — तारकेश्वर सिंह
19. तरैया — जनक सिंह
20. सोनपुर — विनय कुमार सिंह
21. महनार — अच्युतानंद सिंह
22. अमरपुर — मृणाल शेखर
23. संदेश — संजय सिंह टाइगर
24. बड़हरा — आशा देवी
25. आरा — अमरेंद्र प्रताप सिंह
26. दिनारा — राजेंद्र सिंह
27. नवीनगर — गोपाल नारायण सिंह
28. औरंगाबाद — रामाधार सिंह
29. वजीरगंज — वीरेंद्र सिंह
30. जुमई — अजय प्रताप
(संशोधन का स्वागत है)
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