भाजपा को बदलनी होगी ‘यादव पॉलिसी’
वीरेंद्र यादव, पटना।
बिहार विधान सभा चुनाव को लेकर भाजपा ने नये आधार विस्तार की रणनीति पर मंथन शुरू कर दिया है। जदयू के साथ संबंधों को लेकर भी भाजपा बहुत आश्वस्त नहीं है। इसलिए भाजपा अपनी रणनीति में किसी तरह की चूक नहीं करना चाहती है। इसी क्रम में भाजपा यादवों में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है। हालांकि भाजपा को अभी बहुत सफलता नहीं मिली है, लेकिन उम्मीदवारों के आधार पर सेंधमारी का प्रयास लगातार जारी है। वैसे हिंदुत्व के नाम पर भाजपा यादवों को जोड़ने में सफल नहीं हुई है।
2015 के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने यादवों को लेकर खास रणनीति बनायी थी। बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव इस दिशा में कोशिश भी करते दिखते रहे, लेकिन संवाद न विश्वसनीय बन पाया था और न स्थायी। चुनाव के बाद भाजपा ने नित्यानंद राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। लेकिन वह भी ज्यादा सफल होते नहीं दिखे।
2015 के उम्मीदवारों का आकलन करें तो भाजपा ने 21 यादवों को टिकट दिया था। यह पहली बार हुआ था, जब भाजपा ने भूमिहार से ज्यादा यादव को टिकट दिया था। भाजपा ने 2015 में सबसे अधिक राजपूत को 30 और यादव को 21 टिकट दिया था। जबकि भूमिहार को 20 टिकट दिया था। हालांकि जीत की दर भूमिहारों की सबसे अच्छी थी। 20 में से 9 भूमिहार जीत गये थे, जबकि 21 में मात्र 6 यादव जीत पाने में सफल हुए थे।
अब जबकि 2020 का चुनाव सामने है। भूपेंद्र यादव बिहार प्रभारी हैं। नित्यानंद राय केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं। वैसी स्थिति में भाजपा की कोशिश एक बार फिर यादवों में सेंधमारी की होगी। इसके लिए उसे सीट के चयन में भी सतर्कता बरतनी होगी। पिछली बार भाजपा ने महागठबंधन के 11 यादव उम्मीदवारों के खिलाफ अपने 11 यादव उम्मीदवार उतारे थे, उनमें से 9 हार गये। भाजपा सिर्फ बख्तियारपुर व दानापुर जीतने में सफल रही थी। जबकि महागठबंधन के 10 गैरयादव उम्मीदवार के खिलाफ भाजपा ने 10 यादव उम्मीदवार उतारे थे और उनमें से 4 सीट जीत ली थी। मतलब यह है कि लालू यादव खेमा के गैरयादव के खिलाफ भाजपा के यादव उम्मीदवार के जीतने की ज्यादा संभावना है। भाजपा के गैरयादव के खिलाफ यादव उम्मीदवार वोट तोड़ने में ज्यादा कारगर साबित होते हैं। उपचुनाव में इसी बात का संकेत मिलता है। डिहरी में राजद के फिरोज हुसैन के खिलाफ भाजपा के सत्यनारायण यादव चुनाव जीत जाते हैं, जबकि बेहलर में जदयू के यादव उम्मीदवार राजद के यादव उम्मीदवार से चुनाव हार जाते हैं। नवादा में भी यही हुआ। हम के भूमिहार के खिलाफ जदयू के यादव उम्मीदवार जीत गये।
इसलिए भाजपा को अब ‘यादव पॉलिसी’ में बदलनी होगी। यादवों को ज्यादा टिकट देने के साथ ही विपक्ष के गैरयादव के खिलाफ भाजपा को यादव उम्मीदवार बनाना चाहिए। पिछले चुनाव परिणाम इसी बात के संकेत देते हैं। वर्तमान राजनीतिक परिवेश में भाजपा को ‘भगोड़ा’ उम्मीदवारों के बजाये नये लोगों को टिकट देना चाहिए और यादव युवाओं को जोड़ना भी चाहिए। तभी वह अकेले दम पर सत्ता की सवारी करने में सक्षम हो पायेगी।
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2015 में भाजपा के यादव उम्मीदवार के खिलाफ महागठबंधन के उम्मीदवार
1. पीपरा — श्यामबाबू प्रसाद — कृष्णद चंद्र — जदयू — कुशवाहा
2. परिहार — गायत्री देवी — रामचंद्र पूर्वे — राजद — बनिया
3. बख्तियारपुर — रणविजय सिंह — अनिरुद्ध कुमार — राजद — यादव
4. पटना साहिब — नंदकिशोर यादव — संतोष मेहता — राजद — कुशवाहा
5. दानापुर — आशा देवी — राजकिशोर यादव — राजद — यादव
6. झाझा — रविंद्र यादव — रावत दामोदर — जदयू — धानुक
(बाद में डिहरी से उपचुनाव में सत्यनारायण यादव भी निर्वाचित हुए।)
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7. फुलपरास — रामसुदंर यादव — गुलजार देवी — जदयू — यादव
8. नरपतगंज — जर्नादन यादव — अनिल यादव — राजद — यादव
9. बिहारीगंज — रविंद्र चरण यादव — निरंजन मेहता — जदयू — कुशवाहा
10. मधेपुरा — विजय विमल — चंद्रशेखर — राजद — यादव
11. अलीनगर — मिश्रीलाल यादव — अब्दु लबारी सिद्दीकी — राजद — मुसलमान
12. केवटी — अशोक यादव — फराज फातमी — राजद — मुसलमान
13. मढ़ौरा — लालबाबू राय — जितेंद्र राय — राजद — यादव
14. राघोपुर — सतीश कुमार — तेजस्वी यादव — राजद — यादव
15. मोरवा — सुरेश राय — विद्यासागर निषाद — जदयू — मल्लाह
16. गोपालपुर — अनिल यादव — नरेंद्र नीरज — जदयू — गंगोता
17. बेलहर— मनोज यादव — गिरधारी यादव — जदयू — यादव
18. मुंगेर — प्रणव कुमार — विजय कुमार — राजद — यादव
19. इस्लारमपुर — बिजेंद्र गोप — चंद्रसेन प्रसाद — जदयू — कुर्मी
20. मनेर — श्रीकांत निराला — भाई वीरेंद्र — राजद —यादव
21. गोविंदपुर — फुलादेवी यादव — पूर्णिया यादव — कांग्रेस — यादव
— (सुझाव व संशोधन का स्वागत करेंगे।) —-
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