उत्तर बिहार में बाढ़ को समझना है तो यह पढ़िये

#रिपोस्ट : पुष्यमित्र

उत्तर बिहार में बाढ़ की आशंकाओं के बीच कुछ ज्ञान की बातें

1. यह सच है कि उत्तर बिहार में बाढ़ नेपाल और उत्तरी बंगाल से आने वाली नदियों में पानी की मात्रा बढ़ जाने के कारण आती है।

2. गजानन मिश्र जी के मुताबिक नेपाल से इस वक़्त 206 जलधाराएं बिहार में प्रवेश कर रही हैं। इनमें घाघरा, गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला, बलान, कोसी आदि नदियां प्रमुख हैं, शेष छोटी छोटी जलधाराएं हैं। उत्तरी बंगाल यानी सिलिगुडी से महानंदा और डोंक नदी किशनगंज के इलाके में प्रवेश करती हैं।

3. ये सभी हिमालयी नदियां हैं। पहाड़ पर जब भारी बारिश होती है तो ये नदियां पहले नेपाल में उफनती हैं फिर उत्तर बिहार के इलाकों में फैलती है।

4. हिमालय के इलाके में वनों की कटाई के कारण अपरदन यानी मिट्टी का कटाव बढ़ा है, जिससे इन नदियों का पानी तेजी से बिहार आने लगा है और पिछ्ले कुछ वर्षों में गाद भी भारी मात्रा में लाने लगा है।

5. बिहार सरकार ने अपनी लगभग तमाम नदियों को तटबंध से घेर दिया है, इसलिये गाद का फैलाव नहीं हो पा रहा है और यह नदी की पेटी में ही जमा हो रहा है, जिससे नदियां उथली हो जा रही हैं।

6. नदियों के उथले होने के कारण अब उनमें अधिक मात्रा में पानी रखने की जगह नहीं है। इसके अलावा तटबंधों के कारण बड़ी नदियों का अपनी सहायक नदियों से और चौरों से सम्पर्क कट गया है।

7. पहले जब तटबंध नहीं थे तो पानी अधिक होने पर नदियां अपना सरप्लस पानी सहायक नदियों और चौरों को दे देती थी अब उसे इस अधिक पानी को कहीं फैलाने का रास्ता नहीं मिलता जिस वजह से बाढ़ आना अवश्यंभावी हो जाता है। इसलिये हाल के दिनों में बाढ़ बढ़े हैं।

8. काश हम इस अतिरिक्त पानी को गर्मी के मौसम के लिये कहीं सहेज कर रख पाते, यह नदियों को सहायक नदियों, चौरों, तालाबों से जोड़ने से मुमकिन हो सकता था। मगर हमारे जल संसाधन या जल शक्ति विभाग के पास इसकी कोई योजना नहीं है। उनका पूरा जोर बरसात के मौसम में उफनती नदियों के पानी को सुरक्षित तरीके से समुद्र तक पहुंचा देने में रहता है। इसलिये वे लगातार तटबंध को मजबूत करने में जुटे रहते हैं।

9. अगर बहुत कुछ वे करेंगे तो इस पानी को नहरों में डाल देंगे। मगर इस मौसम में जब खेत ही डूबे हैं तो नहरों के पानी की जरूरत किसे हैं।

10. सारांश यह है कि बाढ़ का पानी जो आज खतरा लग रहा है वह वरदान हो सकता है, अगर हम बड़ी नदियों को फिर से उनकी सहायक नदियों से जोड़ सकें, जो सम्पर्क पिछ्ले दिनों टूट गया है। सूखे पड़े कांवर लेक को और ऐसे कई बड़े तालाबों को नदियों से जोड़ सकें, या नदियों के किनारे बड़े तालाब बने। फिर हम इस मौसम में आये जल रूपी धन का संचय कर पायेंगे। ऐसे में बाढ़ का खतरा भी कम होगा और गर्मियों में होने वाले जल संकट से भी निजात मिलेगा।

11. बाढ़ खतरा नहीं है अगर हम इस दौरान आये अधिक जल के संचय के लिये सही बर्तन का इन्तजाम कर लें।

(और हां, इस भ्रम का निवारण कर लें, नेपाल किसी बराज से पानी नहीं छोड़ता। नेपाल से बिहार आने वाली सिर्फ दो नदियों गंडक और कोसी पर बराज है। दोनों का संचालन बिहार के जल संसाधन विभाग के हाथों में है। वे अपनी सहूलियत से पटना से आदेश मिलने पर ही बराज का फाटक खोल कर पानी छोड़ते हैं। इसलिये बाढ़ के वक़्त ‘नेपाल ने पानी छोड़ा’ जैसे जुमले का इस्तेमाल करने से बचें। हां सिलिगुडी में महानंदा पर जरूर बराज है और बंगाल सरकार बिना बताये पानी छोड़ दिया करती है।)






Related News

  • क्या बिना शारीरिक दण्ड के शिक्षा संभव नहीं भारत में!
  • मधु जी को जैसा देखा जाना
  • भाजपा में क्यों नहीं है इकोसिस्टम!
  • क्राइम कन्ट्रोल का बिहार मॉडल !
  • चैत्र शुक्ल नवरात्रि के बारे में जानिए ये बातें
  • ऊधो मोहि ब्रज बिसरत नाही
  • कन्यादान को लेकर बहुत संवेदनशील समाज औऱ साधु !
  • स्वरा भास्कर की शादी के बहाने समझे समाज की मानसिकता
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com