कुचायकोट के दो चुनावों का हिसाब किताब ऐसा था, अब आगे क्या होगा ?
कुचायकोट के दो चुनावों का हिसाब किताब ऐसा था, अब आगे क्या होगा ?
बिहार कथा न्यूज नेटवर्क. गोपालगंज.गोपालगंज में रूपंचक नरसंहार कांड से अजग राजनीतिक सरगर्मी चल रही है. लॉकडाउन की सुस्त जिंदगी में जो राजनीतिक हलचल हिलोरे मार रही है, उसकी राजनीतिक झंकार आगामी विधानसभा चुनाव में दिखने को मिलेगी…फिलहाल नरसंहार में न्याय की राजनीति के ड्राइवर तेजस्वी यादव खुद स्टेयरिंग संभाल रहे हैं. सधे कदमों से पटना से गोपालगंज तक आती बोल बचनों से आहट और प्रतिआहट आपस में टकरा कर काफी अलग तरीके की ध्वनि सुना रहे हैं. फिलहाल एक दो हल्की सी बात पर गौर करें. 2010 के चुनाव में भाजपा जदयू के गठबंधन में कुचायकोट विधानसभा में कुल पडे मतों में से 40.92 प्रतिशत वोट यानी 51815 वोट लेकर अमरेंद्र पांडे ने जीत का सेहरा पहना था. तो वहीं उस समय उनके निकटतम प्रतिद्वंदी काली पांडे के भाई आदित्य नारायण पांडे
जो अब भाजपा से एमएलसी हैं, तब राजद से 25.5 प्रतिशत वोट यानी कुल 32297 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे. तब नोटा नहीं था, लेकिन उमेश प्रधान ने निर्दलीय करीब 12.33 प्रतिशत यानी 15615 वोट इसके अलावा कुछ अन्य निर्दलिय उम्मीदवारों ने वोटों में सेंधमारी कर अमरेंद्र पांडे की जीत के अंतर को बडा किया था.
अब जरा आखिरी चुनाव 2015 का परिणाम पर गौर करिये. गठबंधन राजद और जदयू का था. जिसका परिणाम यह रहा है कि 2010 के चुनाव में 51815 हजार वोट पाने वाले अमरेंद पांडे 2015 में 72224 प्रतिशत वोट पाए. यह परसेंटेज 2010 में जहां 40.92 था, वह 20156 में 43.28 रहा. लेकिन 2015 के चुनावी मैदान में निर्दलीय 2015 की तरह पॉवरफुल नहीं रहे. लेकिन नोटा मजबूती से अपना दमखम दिखा दिया. इस चुनाव में काली पांडे 68662 वोट प्राप्त किये, और इसका प्रतिशत रहा 41.14. अमरेंद्र पांडे जितने वोटों से जीते उससे कहीं ज्यादा वोट नोटा में पडे. नोटा के कुल वोट ािे 7512 यानी कुल वोट के 4.5 प्रतिशत. हार के परसेंटज अंतर का ग्राफ इसलिए नहीं गिरा क्योंकि गठबंधन होने से काफी कुछ सॉलिट वोट एकमुश्त तरीके से अमरेंद्र पांडे के खाते में चल गए. तब कुचायकोट में तेजस्वी यादव ने अमरेंद्र पांडे के साथ राजनीतिक मंच साझा की थी और एक दूसरे को हाथ मिलाया था.
खौर अभी प्रसंग रूपंचक नरसंहार कांड को लेकर है तो बयानों में तीर चल रहे हैं. तेजस्वी ने पटना से हथुआ तक अपने विधायकों के साथ मार्च की चेतावनी दी तो चट से अमरेंद्र पांडे ने यह राजनीतिक चुनौति दी कि वे भी अपने समर्थकों के साथ पटना तक मार्च करेंगे. आरोप लगाया कि उनके भाई भतीजा को बिना जांच के गिरफ्तार किया गया है. अब देखना कि आगे क्या होता है. अखाडे में यह परंपरा रही है कि भीडने से पहले खिलाडी पहले आपसे में हाथ मिलाते हैं.
Related News
25 से 30 सांसदों की लालच में कांग्रेस ने लालू को अपना संगठन बेचा : प्रशांत किशोर
संवाददाता, मधुबनी : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधाRead More
जाति आधारित गणना के गर्भ से निकली थी महागठबंधन सरकार
अब सर्वे रिपोर्ट बताएगी उसकी ताकत —- वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ पत्रकार —- प्रदेश में जातिRead More
Comments are Closed