बिहार के लाल ने खाड़ी देशों में फंसे बिहार के लोगों के वापसी का उठाया बेड़ा
विदेश में अच्छी नौकरी और बेहतर कैरियर के बावजूद भारतवंशियों की सेवा को अपना मिशन बनाकर यह युवक मानवता और सेवा की मिसाल पेश रहा है। चाहे कोविड-19 से उपजा संकट हो अथवा कोई और कारण, खाड़ी देशों में किसी वजह से फंसे भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए वह दूतावास से लेकर भारत सरकार तक ऐड़ी-चोटी का जोर लगा देता है। उसकी मेहनत का नतीजा है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के कई सांसदों ने दुबई और शारजाह में फंसे युवकों की स्वदेश वापसी का बीड़ा उठाया और उसका सुखद परिणाम भी सामने आया।
हम बात कर रहे हैं बिहार के नरकटियागंज निवासी और इस समय में आबूधाबी में एतिहाद एयरलाइंस के इंजीनियर रितेश मिश्रा की। खाड़ी देशों में कंपनियों की ज्यादतियों की वजह अथवा दलालों के चक्कर में फंसकर कैदी जैसी जिंदगी गुजार रहे बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए रितेश किसी दूत से कम नहीं हैं। एक ओर वह दुबई और शारजाह में भारतीय राजनयिकों से सीधे संपर्क कर फंसे भारतीयों को निकालने का प्रयास करते हैं, दूसरी ओर पूर्वी यूपी और बिहार के सांसदों की मदद से उनकी स्वदेश वापसी के लिए भारत सरकार पर दबाव बनाते हैं। उनके इस काम के मुरीद यूपी से लोकसभा सदस्य डा. रमापति राम त्रिपाठी भी हैं जो ट्वीट करके रितेश की प्रशंसा कर चुके हैं।
कोरोना वायरस की वैक्सीन परीक्षण के लिए शरीर समर्पित पिछले कई वर्षों से आबूधाबी में रहे रहे एविएशन इंजीनियर रितेश मिश्र ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के परीक्षण के लिए अपना शरीर समर्पित करने का संकल्प ले चुके हैं। इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल मीडिया पर पिछले दिनों एक वीडियो डालकर उन्होंने भारतवासियों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए अपने शरीर को टीके की टेस्टिंग के लिए देने का प्रस्ताव दिया है। उनका कहना है कि देश और देशवासियों की सेवा पहले है, बाकी सबकुछ उसके बाद आता है।
With thanks from amarujala
Related News
सहकारी समितियां भी बदल सकती हैं वोट का समीकरण
संपन्नता की राह सहकारिता ——————– सहकारी समितियां भी बदल सकती हैं वोट का समीकरण अरविंदRead More
भाई-बहिन के स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का इतिहास
भाई-बहिन के स्नेह का प्रतीक है रक्षाबंधन का पर्व रमेश सर्राफ धमोरा रक्षाबन्धन का पर्व भाई-बहिनRead More
Comments are Closed